नारनौल विधानसभा में दो ‘निराले’ निर्दलीय प्रत्याशी, एक पैदल तो दूसरा बाइक पर ही कर रहा प्रचार

नारनौल के क्रांतिकारी उमाकांत छक्कड़ लड़ चुके अमेठी में राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव

भारत सारथी कौशिक 

उमाकांत छक्कड़

नारनौल। हरियाणा के नारनौल में विधानसभा का चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों में से दो ऐसे भी प्रत्याशी हैं, एक पैदल साथ में छोटा स्पीकर लिए तो दूसरा बाइक पर ही माइक लगाकर अपना प्रचार प्रसार करते हैं। यही नहीं वे अपने पंपलेट भी खुद ही लोगों को बांट रहे हैं। ऐसे नेताजी की चर्चा भी अब लोगों में होने लगी है।

विधानसभा के चुनाव में जहां प्रत्याशी लाखों करोड़ों रुपए खर्च कर रहे हैं। वहीं नारनौल विधानसभा से चुनाव लड़ रहे नारनौल शहर के क्रांतिकारी उमाकांत छक्कड़ तथा गांव मंडलाना निवासी कृष्ण कुमार ऐसे प्रत्याशी हैं, जो करोड़ों रुपए के ताम झाम से बचकर खुद ही साधारण तरीके से अपना प्रचार कर रहे हैं।

क्रांतिकारी उमाकांत छक्कड़ कभी चंद्रशेखर आजाद की तरह, तो कभी सुभाष चंद्र बोस की तरह पोशाक पहनकर चुनाव प्रचार कर रहे हैं। आजादी के क्रांतिकारी शहीदों से प्रेरित होने के कारण लोगों ने उनके नाम के साथ क्रांतिकारी जोड़ दिया। वह सुबह-सुबह अपने चार-पांच साथियों के साथ पैदल ही शहर में प्रचार को निकल जाते हैं। 2014 में उन्होंने अमेठी से राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा था। परिवारवाद के खिलाफ उसे चुनाव में कुमार विश्वास (तीसरा) के बाद उनका चौथा नंबर था। भारत की बात है कि उन्होंने जनता से वोट नहीं मांगे केवल वंशवाद के खिलाफ आवाज बुलंद की थी। वह अब तक एक लोकसभा तथा दो विधानसभाओं के चुनाव लड़ चुके हैं। क्रांतिकारी छक्कड़ के अनुसार उन्होंने वंशवाद के खिलाफत के कारण दो वंशवादी पार्टियों की टिकटों को ठुकरा दिया।

हरियाणा में हुए नगर परिषद के चुनाव में उन्होंने नारनौल शहर में जनता को नोटा को लेकर प्रचार किया। पूरे हरियाणा में नारनौल नोटा (कोई पसंद नही) में सबसे अव्वल रहा। 2024 के लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने नोट को लेकर जन जागरण चलाया था। यह जन जागरण केवल नारनौल शहर में ही किया गया था और 5297 वोट नोटा को मिले।

समय-समय पर समाज के विभिन्न मुद्दों को लेकर वह आंदोलित रहे हैं। मामला चाहे गैस की ब्लैक से जुड़ा हुआ हो या नगर परिषद में भ्रष्टाचार से, वह हर मामले में आवाज उठाते रहे हैं। वह कहते हैं कि अब उनकी लड़ाई जाति बनाम राष्ट्रभक्ति की लड़ाई है । वह लोगों में जातिवाद के खिलाफ चेतना पैदा करके राष्ट्रवाद की भावना को प्रेरित कर रहे हैं।

कृष्ण कुमार ने बताया कि वे नारनौल विधानसभा के गांव मंडलाना के रहने वाले हैं वहीं गांव सुराणा मैं भी उनके परिवार रहता है। उनके तीन दादा थे, जिनमें से एक दादा मंडलाना रहने लगे तथा अन्य परिवार के सदस्य सुराणा गांव में रहते हैं।

कृष्ण कुमार ने बताया कि वे दसवीं पास है तथा गांव में खेती-बाड़ी करते हैं। उसके पास करीब 10 एकड़ जमीन है। उसने बताया कि उन्होंने चुनाव लड़ने का फैसला इसलिए लिया कि इस क्षेत्र के लोग हर तरीके से पिछड़े गए हैं। नेताओं ने यहां पर कोई विकास के कार्य नहीं करवाए। हर जगह भ्रष्टाचार है, इन सब को खत्म करने के लिए उसने चुनाव लड़ने का फैसला किया है।

बाइक पर सुबह ही निकल जाते हैं चुनाव प्रचार के लिए

नेताजी बाइक पर सुबह ही अपने चुनाव प्रचार के लिए निकल जाते हैं तथा जहां पर भीड़  होती है वहां पर अपनी बाइक को खड़ा करके पंपलेट वगैरह बनते हैं। नेताजी ने बताया कि दो गांव में उनकी पकड़ है।

दोनों ही निर्दलीय प्रत्याशियों का कहना है कि प्रथम उन्हें विश्वास है की व्यवस्था परिवर्तन के लिए लोग उनको वोट देंगे। जाति के खिलाफ लड़ाई में राष्ट्रभक्ति की आवश्यक जीत होगी।

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