अदालत ने बिजली चोरी का मामला पाया गलत …….

जमा कराई गई जुर्माना राशि का भुगतान उपभोक्ता को करने का बिजली निगम को दिया आदेश

गुडग़ांव, 21 सितम्बर (अशोक) : बिजली चोरी मामले की सुनवाई करते हुए सिविल जज अंशुमन की अदालत ने मामले को गलत करार देते हुए बिजली निगम को आदेश दिए हैं कि उपभोक्ता द्वारा जमा कराई गई जुर्माना राशि उपभोक्ता को लौटाई जाए। हालांकि अदालत ने वर्ष 2020 में जमा कराई गई जुर्माना राशि पर कोई ब्याज उपभोक्ता को नहीं दिया है। जबकि बिजली निगम उपभोक्ता से जुर्माना राशि न जमा कराए जाने पर करीब 16 प्रतिशत का ब्याज वसूल करता है। अब उपभोक्ता ब्याज दर के लिए जिला एवं सत्र न्यायालय में अपील करेगा।

ओल्ड डीएलएफ कालोनी क्षेत्र के उपभोक्ता हरमीत सिंह के अधिवक्ता क्षितिज मेहता से प्राप्त जानकारी के अनुसार बिजली निगम ने 26 अप्रैल 2019 को उसके आवासीय परिसर में लगे बिजली के मीटर को उतारकर बिजली निगम की लैबोरेट्री में 28 जनवरी 2020 को चैक कराया था और उस पर आरोप लगाया था कि उसने मीटर की रीडिंग काउंटर टैंपर्ड कर बिजली की चोरी की है और उपभोक्ता पर बिजली चोरी का केस बनाकर उस पर 4 लाख 19 हजार 566 रुपए का जुर्माना भी लगा दिया था। उपभोक्ता ने बिजली निगम के अधिकारियों से आग्रह भी किया था कि उसनेे कोई बिजली की चोरी नहीं की है। लेकिन अधिकारियों नेे उसकी एक नहीं सुनी और उसे धमकाया गया कि यदि उसने जुर्माना राशि का भुगतान नहीं किया तो उसका बिजली का कनेक्शन काट दिया जाएगा। जिस पर उपभोक्ता ने पूरी जुर्माना राशि बिजली निगम में जमा कराकर 24 फरवरी 2020 को अदालत में केस दायर कर दिया था।

अधिवक्ता का कहना है कि अदालत ने मामले की सुनवाई की। बिजली निगम अदालत में बिजली चोरी का मामला सिद्ध नहीं कर सका। जिस पर अदालत ने उपभोक्ता के हक में फैसला देेते हुए बिजली निगम को आदेश दिए कि जमा कराई गई जुर्माना राशि का भुगतान उपभोक्ता को किया जाए। लेकिन अदालत ने जुर्माना राशि पर कोई ब्याज नहीं दिया है। अब उपभोक्ता ब्याज के लिए जिला एवं सत्र न्यायालय में अपील करेगा। अधिवक्ता का यह भी कहना है कि इससे पूर्व भी बिजली चोरी के मामलों को बिजली निगम अदालत में सिद्ध नहीं कर सका है।

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