-धर्मार्थ ट्रस्ट की संपत्ति का किसी निजी व्यक्ति को बेचने का नहीं दे पाए तथ्य, सब रजिस्ट्रार ने लगाई रोक भिवानी, 11 सितंबर। शहर के आजाद नगर स्थित भोलाराम डालमिया धर्मार्थ ट्रस्ट की करीब 200 साल पहले बना प्राचीन शिव मंदिर, दो कुएं और बगिची की संपत्ति बिक्री पर सब रजिस्ट्रार ने मामला उजागर होने के बाद रोक लगा दी है। स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने 200 साल पुरानी धर्मार्थ ट्रस्ट की संपत्ति बिक्री मामले में क्षेत्र के लोगों की शिकायत पर संज्ञान लेते हुए इस मामले में उच्चाधिकारियों को अवगत कराया था। जिसके बाद इस मामले में सब रजिस्ट्रार भिवानी ने भोलाराम धर्मार्थ ट्रस्ट की करोडों की संपत्ति की गलत तरीके से बिक्री पर रोक लगा दी है। बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि भिवानी सब रजिस्ट्रार कार्यालय से प्राप्त हुई प्रमाणित कॉपी में धर्मार्थ ट्रस्ट की संपत्ति की बिक्री पर रोक लगाते हुए सब रजिस्ट्रार ने कुछ तथ्यों को चिहिनत भी किया है। जिसमें ट्रस्ट को एक धर्मार्थ ट्रस्ट बताया गया है। धर्मार्थ ट्रस्ट की संपत्ति को किसी निजी व्यक्ति को बिक्री किए जाने संबंधी कोई भी तत्थ या दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए गए। इसके अलावा धर्मार्थ ट्रस्ट के ट्रस्टियों के संबंध में भी कोई दस्तावेज पेश नहीं किए गए। इतना ही नहीं जो ट्रस्टी धर्मार्थ ट्रस्ट की संपत्ति को बिक्री करना चाहता है वह अपनी नियुक्ति के संबंध में भी कोई दस्तावेज पेश नहीं कर पाया। मिलीभगत कर धर्मार्थ ट्रस्ट की संत्ति को बिक्री मामले में सब रजिस्ट्रार भिवानी ने रोक लगाने के आदेश जारी कर दिए हैं। धर्मार्थ ट्रस्ट की छह हजार वर्गगज भूमि में कई प्राचीन धरोहर बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि धर्मार्थ ट्रस्ट की करीब छह हजार वर्गगज से अधिक दायरे में एक प्राचीन दो समाध बनी है, जबकि इसी परिसर में करीब 200 साल पुराना शिव मंदिर भी बना है। यहां दो प्राचीन कुएं भी हैं। परिसर में एक प्राचीन बगिची भी है, जिसमें आसपास के लोग भ्रमण के लिए आते हैं वहीं करीब डेढ सौ साल पुराने प्राचीन पेड भी यहां लगे हुए हैं। ट्रस्ट डीड के अनुसार यह ट्रस्ट इस प्राचीन धरोहर की देखरेख के लिए बनाई थी। ये हैं सुप्रीम कोर्ट के आदेश स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि माननीय र्स्वोच्च न्यायालय के आदेश अनुसार न्यायालय व रजिस्ट्रार की अनुमति के बिना कोई भी ट्रस्ट अपनी संपत्ति को नहीं बेच सकता है। न्यायालय व रजिस्ट्रार की अनुमति मिलने के बाद भी धर्मार्थ ट्रस्ट की संपत्ति को पारदर्शी तरीके से ट्रस्ट के लाभ के लिए बेची जा सकती है। किसी निजी व्यक्ति को इस तरह की संपत्ति बेचने का अधिकार नहीं है, जबकि ट्रस्ट के सही ढंग से संचालन के लिए ही संपत्ति को बेचने की विषेश परिस्थितियों में अनुमति न्यायालय से लेनी अनिवार्य है। Post navigation एक नया भूमि घोटालाः 200 साल पुरानी ट्रस्ट के नाम धरोहर को बेचने की साजिश, कालोनी के लोग आए सामने चुनाव के समय महापंचायतों के दौर से गुजरती टिकट की राजनीति