-भोलाराम डालमिया धर्मार्थ ट्रस्ट के नाम है आजाद नगर में 9 कनाल 9 मरला ऐतिहासिक सम्पति

-करीब 200 साल पुराने प्राचीन शिव मंदिर, दो ऐतिहासिक कुएं और समाध भी परिसर में बनी

-स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन ने लिया भूमाफिया के खिलाफ संज्ञान

-भिवानी तहसील कार्यालय में मिलीभगत कर धर्मार्थ ट्रस्ट की भूमि बिक्री की भी तैयारी

भिवानी, 31 अगस्त। नगर परिषद में करोडों के भूमि घोटाले की जांच अभी ठंडी भी नहीं पडी है कि भिवानी के आजाद नगर में एक धर्मार्थ ट्रस्ट की करीब 200 साल पुराने ऐतिहासिक संपत्ति को बेचने की तैयारी हो गई है। कोलकाता में बैठे ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने धर्मार्थ ट्रस्ट की 9 कनाल 9 मरला भूमि में बने प्राचीन शिव मंदिर, दो गुमंद बने ऐतिहासिक कुओं के साथ प्राचीन समाध को भी बेचने का सौदा तय कर दिया है। राजस्व रिकार्ड में आज भी प्राचीन धरोहर की ये संपत्ति भोलाराम डालमिया धर्मार्थ ट्रस्ट के नाम से दर्ज है।

स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार के समक्ष आजाद नगर कॉलोनी के लोगों लिखित शिकायत देकर धर्मार्थ ट्रस्ट की ऐतिहासिक धरोहर को बेचने की साजिश करने वालों पर कार्रवाई कराने व मदद की गुहार लगाई। इस पर संगठन अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने संज्ञान लेते हुए इस मामले में मिलीभगत करने वाले जिला राजस्व विभाग अधिकारियों और ट्रस्ट की संपत्ति बेचने का प्रयास करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के लिए कदम उठाया है। बृजपाल सिंह ने बताया कि आजाद नगर में भोलाराम डालमिया धर्मार्थ ट्रस्ट की करीब 15 करोड की 200 साल पुरानी ऐतिहासिक संपत्ति है, जिसमें भिवानी का पुराना इतिहास भी झलक रहा है। इस संपत्ति को कोलकाता में बैठे तथाकथित ट्रस्ट पदाधिकारियों ने साजिश के तहत इस संपत्ति को पूजा नामक महिला को बेच डाला है। जिसका भिवानी सब रजिस्ट्रार कार्यालय में भी प्रलेख प्रस्तुत किया जा चुका है, जिसमें इस सपंत्ति को 2 करोड 25 लाख रूपये में बेचा गया है। जिसमें 11 लाख 25 हजार रूपये का स्टॉप डयूटी का भुगतान भी किया गया है। जबकि माननीय सर्वाच्च न्यायालय और पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेशों में स्पष्ट है कि सार्वजनिक भूमि को बेचा व खरीदा नहीं जा सकता है। इसकी मालिक शहर में नगर परिषद और गांव में ग्राम पंचायत होती है।

पहले भी हो चुके हैं भिवानी सब रजिस्ट्रार कार्यालय में कारनामें

भिवानी सब रजिस्ट्रार कार्यालय में पहले भी सार्वजनिक भूमि की बिक्री और खरीद के कई कारनामें उजागर हो चुके हैं। इसमें भिवानी के हांसी गेट स्थित बैप्टिस्ट चर्च की 200 करोड की संपत्ति को भी बिक्री का मामला सामने आ चुका है। जिसमें तत्कालीन तहसीलदार सहित अन्य के खिलाफ धोखाधडी का केस दर्ज हुआ और आरोपियों की भी गिरफतारी हो चुकी है। लेकिन इसके बावजूद भी भिवानी सब रजिस्ट्रार कार्यालय में अधिकारियों की मिलीभगत से भिवानी की ऐतिहासिक धरोहरों की खरीद और बिक्री का खेल नहीं थम रहा है।

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