पॉलिटिकल पार्टियों ने अभी तक घोषित नहीं किए अपने सभी उम्मीदवार

5 से 12 सितंबर तक नामांकन इसी बीच में चुनना होगा अपना लकी डे

टिकट मिलने के बाद ही नामांकन का निकलवाना होगा शुभ मुहूर्त

फतह सिंह उजाला

गुरुग्राम । टीवी पर आने वाले धार्मिक सीरियल महाभारत का आरंभ मैं समय हूं के उद्घोष के साथ आज भी सभी को याद है । लेकिन समय का चक्र चलता ही रहता है। यह बात भी सत्य है, कोई भी कार्य किया जाए सभी व्यक्ति उसके लिए ज्योतिष के मुताबिक या ज्योतिष की गणना के अनुसार श्रेष्ठ समय और शुभ मुहूर्त का चयन करते आ रहे हैं। यह विश्वास सनातन संस्कृति में अनादि काल से चला आ रहा है ।

कटु सत्य यही है, समय परिवर्तनशील है और आज के समय में पॉलिटिकल पार्टियों की इच्छा शक्ति पर ही पॉलीटिशियन का किसी हद तक भविष्य, लकी डे और शुभ मुहूर्त निर्भर होता हुआ महसूस किया जा सकता है । हरियाणा में विधानसभा चुनाव का बिल्कुल बजने के साथ 5 सितंबर से नामांकन आरंभ हो चुके हैं और इसके लिए अंतिम तिथि 12 सितंबर निर्वाचन आयोग के द्वारा घोषित की जा चुकी है। अब सवाल यह है उठता है की चंडीगढ़ विधानसभा में पहुंचने वाले पॉलीटिशियनों के द्वारा निश्चित रूप से ज्योतिष के अंक गणित और ज्योतिषाचार्य से अपने उज्जवल भविष्य का मार्गदर्शन लेकर ही टिकट के लिए आवेदन किया गया होगा। टिकट मिलने की कितने प्रतिशत संभावना है? टिकट मिल गई तो उसके बाद जीत के लिए क्या कुछ उपाय हो सकते हैं ? यह सब गणित का आकलन और भी अन्य तमाम दैनिक कार्यों में आम जनता के द्वारा भी किया अथवा मार्गदर्शन लिया जाता आ रहा है।

समय का चक्र ऐसा घुमा कि अब पॉलिटिकल पार्टियों के सीनियर लीडर, सेंट्रल इलेक्शन और सिलेक्शन कमेटी, स्क्रीनिंग कमेटी के फैसले किए जाने के बाद ज्योतिषाचार्य  का काम आरंभ होता देखा जा सकता है। सीधा-सीधा गणित यही है पॉलीटिकल पार्टी अपने उम्मीदवार का नाम घोषित करेगी, इसके बाद उम्मीदवार शुभ दिन और शुभ समय का मुहूर्त लेकर अपनी टिकट प्राप्त करने संबंधित पार्टी के मुख्यालय अथवा नेताओं के यहां पहुंचेंगे । उसके बाद आरंभ होगा चंडीगढ़ विधानसभा का रास्ता नॉनस्टॉप और बाधा रहित बनाने के लिए शुभ मुहूर्त निकलवा कर नामांकन पत्र दाखिल करवाया जाए । यह सब कार्य इलेक्शन फाइट करने वाले नेता, उनके परिजन, उनके शुभचिंतक या अन्य कोई भी बेहद नजदीकी व्यक्ति भी हो सकता है और ऐसा होता भी आया है।

वर्ष 2024 के सत्ता के संघर्ष के बने हुए माहौल में हालात कुछ अलग ही महसूस किया जा सकते हैं। मुख्य मुकाबला वाली पॉलीटिकल पार्टी भाजपा और कांग्रेस इन दोनों में भी कहीं ना कहीं सत्ता से दूर होने का डर अधिक महसूस किया जा सकता है । अब इस बात को लेकर कोई भी दावा नहीं किया जा सकता । उम्मीदवारों की घोषणा क्या ज्योतिषीय गणना के मुताबिक की जा रही है या फिर संभावित बगावत के लिए कोई ज्योतिषीय गणना या फिर इशारा हो चुका है ? 12 सितंबर तक उम्मीदवारों के द्वारा नामांकन किए जाने हैं और इससे पहले पहले कांग्रेस और भाजपा के साथ ही अन्य सभी पॉलिटिकल पार्टियों के द्वारा अपने-अपने उम्मीदवारों की घोषणा भी कर दी जाएगी। अब ऐसे में पॉलिटिकल पार्टियों और वरिष्ठ नेताओं का ही ज्योतिष और समय का चक्र एक चाल में चलता हुआ दिखाई दे रहा है । फिर भी यह बात साफ है कि जैसे-जैसे नाम की घोषणा होने के साथ टिकट हाथ में आती चली जाएगी । वैसे-वैसे ही शुभ दिन, शुभ घड़ी और शुभ मुहूर्त के मुताबिक नामांकन का सिलसिला भी तेजी पकड़ता चला जाएगा। हार- जीत जो कुछ भी भाग्य में लिखी है। वह भविष्य के गर्भ में और पॉलिटिकल पार्टियों के समर्थक कार्यकर्ताओं के हाथ में ही है।

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