हुण वारी पंजाबियां दी : उग्र तेवर केे साथ पंजाबियों ने मांगी विधानसभा की टिकट

पंचायत कर अपना प्रत्याशी चुनाव में उतारे का किया फैसला, प्रत्याशी चयन के लिए कमेटी का गठन,

दो साल पहले नगर परिषद के चुनाव में भी ऐसा हुआ था, निर्णय के बाद कोई नहीं आया चेयरपर्सन के लिए नामांकन दाखिल करने

ईश्वर धामु

भिवानी।  पहले ब्राह्मण, फिर अग्रवाल, इसके बाद राजपूत फिर पिछड़ा वर्ग और अब पंजाबी समाज ने भाजपा और कांग्रेस से भिवानी से टिकट देने की मांग की है। टिकट की मांग को लेकर पंजाबी समाज पहले से ही सक्रिए था। परन्तु भाजपा और कांंग्रेस के आवेदनों में कोई भी जीताऊ चेहरा उभर कर सामने नहीं आया। इसलिए टिकटों में किसी भी पंजाबी नेता का नाम नहीं चल पाया। अब भिवानी के पंजाबी समाज ने पंचायत कर टिकट के लिए आवाज को बुलंद किया है। वरिष्ठ पंजाबी नेता सोहनलाल मक्कड़ की अध्यक्षता में हुई बैठक मेें प्रमुख राजनैतिक दलों से टिकट की मांग की गई।

पंचायत में वक्ताओं ने भिवानी को पंजाबियों की सीट बताया। कहा गया कि भिवानी विधानसभा क्षेत्र में करीब 26 हजार पंजाबी मतदाता हैं, जो किसी भी पार्टी की हार-जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अधिकांश पंजाबी समाज भाजपा समर्थक रहा है। परन्तु पार्टी में निरंतर उपेक्षा के चलते इस बार पंजाबी समाज भाजपा से नाराज दिखाई पड़ रहा है। कहा जा रहा है कि साढ़े 9 साल के राज में पंजाबियों को उपेक्षित रखा गया। किसी भी बड़े भाजपा नेता ने पंंजाबी कार्यकर्ताओं को नहीं अपनाया। कोई भी भाजपा नेेता ऐसा नहीं रहा जो पंजाबियों की तकलीफों को महसूस कर सके। ऐसी तमाम बाते इस पंजाबी पंचायत में उभर कर सामने आई और वक्ताओं ने अपना रोष जताया। पंचायत में निर्णय लिया गया कि अगर कांग्रेस या भाजपा किसी पंजाबी को अपना प्रत्याशी नहीं बनाती है तो पंजाबी समाज अपना उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारेगा।

इसके लिए सोहन लाल सरदाना की अध्यक्षता में 15 सदस्यीय कमेटी बनाई गई, जो पंचायती उम्मीदवार के बारे में निर्णय लेगी। यह भी निर्णय हुआ कि राजनैतिक दलों की टिकट सूची आने के बाद पंजाबी समाज एक सर्वजातीय पंचायत बुलायेगा और पंचायती प्रत्याशी के लिए समर्थन की अपील करेगा। अभी पंचायती उम्मीदवार के लिए किसी का नाम उभर कर सामने नहीं आया है। पर समझा जाता है कि चयन कमेटी तीन दिन में नाम अवश्य फाइनल कर लेगी, जो सर्वमान्य हो। वहीं, भिवानी में पंजाबियों का एक गुुट ऐसा भी है, जो इस पंचायत का समर्थक नहीं है। इस गुट का मानना है कि पंचायत को निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में नहीं उतारना चाहिए। पंजाबी प्रत्याशी  का कद तब बनता है, जब वह किसी पार्टी की टिकट से चुनाव लड़े और पूरा समाज उसका समर्थन करें।

इस बारे सूत्रों से पता चला है कि पंजाबी समाज के इस गुट से सम्पर्क में इनेलो और जेजेपी दोनों पार्टियां हैं। बताया गया है कि इनेलो ने ऑफर दिया है कि वें चुनाव में मायावती और इनेलो सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला की चुनावी सभा करवा देंगे। मिली जानकारी तक अभी इस बारे मेंं गुट ने कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है। पर चर्चाकारों का कहना है कि अगर यह गुट पंजाबी पंचायत से आगे निकल कर अपना प्रत्याशी मैदान में लाते हैं तो उनका रूझान जेजेपी की ओर रहेगा। लेकिन चर्चाकार यह भी कहते हैं कि पंजाबी समाज राजनैतिक पार्टियों पर टिकट के लिए दबाव बना रहे हैं। क्योकि 2022 में नगर परिषद चुनाव के समय में भी ऐसा ही हुआ था। नगर परिषद केे चेयरमैन के लिए पंजाबी समाज ने सत्तासीन पार्टी भाजपा पर पूरा दबाव बनाया। पर भाजपा ने जाट समाज से नेत्री को अपना प्रत्याशी बना दिया था। इस पर पंजाबी बिरादरी भडक़ गई। सामूहिक गुस्सा व्यक्त करने को पंजाबी समाज की एक पंचायत बुलाई गई। इस पंचायत में पंजाबी नेताओं ने उग्र तेवर दिखाए और पंचायती उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारने की सहमति भी बन गई। पर जब आर्थिक मदद की बात आई तो पंचायत में सन्नाटा छा गया। फिर अंतिम दिन तक किसी भी निर्दलीय पंजाबी ने अपना नामांकन पत्र दाखिल नहीं किया। हुआ यह कि दो दिन बाद एक पंजाबी नेता ने बिरादरी को मना लिया और बहुतायत  पंजाबी समाज भाजपा के चुनावी जलुस में शामिल होकर भारत माता की जय के नारे लगाते दिखे। चर्चाकार कहते हैं कि इस बार भी बात इससे आगे बढ़ेगी, इसमें संदेह लगता है।

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