क्या मोदी-शाह संगठित कर पाएंगे हरियाणा भाजपा को?

भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। 2014 के बाद यह शायद पहला मौका है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा विधानसभा उम्मीदवारों की लिस्ट जारी करने के पश्चात वह लिस्ट रोकनी पड़ी। इससे बड़ी बात एक सितंबर को अमित शाह की जींद रैली प्रस्तावित थी, जो स्थगित करनी पड़ी।

अगर विगत पर नजर डालें तो यह कहना अनुचित नहीं होगा कि मोदी का भाग्योदय हरियाणा से ही है, क्योंकि हरियाणा से ही वह सीधे गुजरात जाकर मुख्यमंत्री बने थे और हरियाणा के रेवाड़ी में पहली रैली करने के पश्चात प्रधानमंत्री पद पर आसीन हुए थे लेकिन वर्तमान में जो दिखाई दे रहा है कि भाजपा अनेक टुकड़ों में बंटी हुई है और उसे मोदी-शाह की जोड़ी एक करने में सफल नहीं हो पा रही। ऐसे में अनेक अनुमान लगाए जा रहे हैं।

अगर हरियाणा की बात करें तो हरियाणा में चर्चा है कि पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के पार्टी में गुटबाजी के चलते यह सबकुछ हो रहा है। कुछ का कहना है कि अब मोदी मैजिक समाप्त हो गया है और भाजपा की नीति रही है कि स्थानीय नेता को नहीं पनपने देना है। ऐसी स्थितियों में यदि हरियाणा भाजपा के हाथ से जाता है तो दिल्ली की सत्ता पर भी खतरे के बादल मंडराएंगे।

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