तीन मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने ईडी के क्रियाक्लापों व ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट द्वारा पीएमएलए आरोपियों को जमानत न देने पर गंभीर सवाल उठाते हुए ईडी व अदालतों को कटघरे में खडा किया है : विद्रोही

29 अगस्त 2024 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने कहा कि तीन मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने ईडी के क्रियाक्लापों व ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट द्वारा पीएमएलए आरोपियों को जमानत न देने पर गंभीर सवाल उठाते हुए ईडी व अदालतों को न केवल कटघरे में खडा किया है अपितु उन्हे संवेदनशीलता के साथ अपने अधिकारों का उचित प्रयोग करने का भी निर्देश दिया। विद्रोही ने कहा कि मनीष सिसोदिया, के कविता के मामले के बाद झारखंड मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सहयोगी प्रेमप्रकाश को पीएमएलए मामले में जमानत देते हुए तीसरी बार स्पष्ट किया कि जमानत नियम है और जेल अपवाद। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने पीएमएलए को हथियार बनाकर लोगों को जेलों में डाले रखने को आमदा ईडी को भी कडा संदेश देते हुए रूलिंग दी कि पीएमएलए मामले में जमानत देने के मामले भी अन्य मामलों की तरह है। पीएमएलए मामलों में भी जमानत नियम व जेल अपवाद वालीे ही रूलिंग को ट्रायल कोर्ट व हाईकोर्ट को अपनाना होगा। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को कडी फटकार लगाते हुए यह भी कहा कि ईडी अधिकारी निष्पक्षता से काम करेे और लोगों को मनमाने ढंग सेे पीएमएलए एक्ट में गिरफ्तार करने से बचे।  

विद्रोही ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की उक्त टिप्पणियां बताती है कि मोदी राज में ईडी अपने राजनीतिक आकाओ के इशारे पर विपक्षी नेताओं को मनमाने ढंग से गिरफ्तार करके न केवल अपने अधिकारों का दुरूपयोग कर रही है अपितु जांच एजेंसियां मोदी-भाजपा की राजनीतिक शाखा बनकर काम कर रही है। ईडी पीएमएलए कानून का दुरूपयोग करके विपक्षी दलों के नेताओं व मोदी-भाजपा-संघ के राजनीतिक, वैचारिक विरोधियों को एक सुनियोजित षडयंत्र के तहत अनावश्यक रूप से जेल में बंद करके लोगों के संवैद्यानिक अधिकारों को कुचल रही है। वहीं ट्रायल कोर्ट व हाईकोर्ट अपना माइंड अप्लाई किये बिना ईडी का मोहरा बनकर आरोपियों को जमानत न देकर संविधान व कानून की भावना के विपरित आचरण कर रहे है। विद्रोही ने कहा कि पीएमएलए के तीन मामलों में आरोपियों को जमानत देते लिखित आदेश में की गई सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियां ईडी, ट्रायल कोर्ट व हाईकोर्टो की कार्यशैली पर तो गंभीर प्रश्नचिन्ह है, साथ में यह भी बताता है कि ईडी अपनी निष्पक्षता को खोकर एक जांच एजेंसी के रूप में काम करने की बजाय भाजपा का इलेक्शन डिपार्टमैंट के रूप में काम कर रही है। यदि सुप्रीम कोर्ट की इन टिप्पणियों के बाद भी ईडी, ट्रायल कोर्ट व हाईकोर्ट ने अपना रवैयो नही बदला तो इसके गंभीर दुष्परिणाम निकलने तय है।   

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