मोदी ने टिकट बंटवारे से पहले दिल्ली बुलाया, खट्टर- गुर्जर- सैनी भी पहुंचे

राव तुलाराम के वारिसों की राजनीतिक महत्वाकांक्षा क्या अब होगी सड़क पर?

आपसी लड़ाई में कही रामपुरा हाउस रुतबा न खो जाए, आरती के लिए पशोपेश

क्या कोसली विधानसभा सीट पर चाचा भतीजी होंगे आमने-सामने? 

अटेली विधानसभा सीट पर भी आरती के सामने चचेरे भाई ने ठोका दावा

अशोक कुमार कौशिक 

दक्षिणी हरियाणा की भाजपा की सियासत में राव इंद्रजीत सिंह की नाराजगी को लेकर हड़कंप मचा हुआ है। केंद्रीय मंत्री न बनाने, अमित शाह द्वारा नायब सैनी को अगला सीएम घोषित करने, अपनी बेटी आरती राव को टिकट पक्का ना होने से तथा समर्थकों के नाम लिस्ट में न डालने पर राव की नाराजगी ज्यादा बढ़ गई है। राव इंद्रजीत सिंह इससे पहले कोई धमाका करें ‘नाराजगी’ का ‘आभास’ मिलते ही शीर्ष नेतृत्व ने इस मामले में सीधा हस्तक्षेप कर कर अपनी दखल दे दिया है। 

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राव इंद्रजीत सिंह को दिल्ली बुला लिया है। उनके साथ केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर, केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर और मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को भी आने को कहा गया है। मोदी की मौजूदगी में अहीरवाल क्षत्रप की नाराजगी पर मंथन किया जाएगा। अहीरवाल के राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार राव इंद्रजीत सिंह किसी भी क्षण भाजपा को छोड़ने का निर्णय ले सकते हैं।

प्रदेश चुनाव समिति में दिखाई थी नाराजगी 

कुछ दिन पहले गुरुग्राम में भाजपा की प्रदेश चुनाव समिति की मीटिंग हुई थी जिसमें भाजपा ने राव इंद्रजीत सिंह को उनकी बेटी आरती राव के लिए सीट चुनने को कहा था। यह सुनकर राव ने दो टूक इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि यह आरती राव और पार्टी के बीच का मामला है । वह कोई बात नहीं करेंगे आरती राव चुनाव लड़ेगी या नहीं और अगर लड़ेगी तो कौन सी सीट चाहिए, फैसला आरती राव का ही होगा। 2014 में कांग्रेस छोड़ भाजपा में आने के बाद वह आरती राव को चुनाव लड़वाना चाहते थे। इससे इसके लिए पहले 2014 फिर 2019 में उन्होंने आगे बढ़कर टिकट मांगी थी। हालांकि उनकी मांग को खारिज कर दिया गया। जिसकी वजह से आरती राजनीति में एंट्री नहीं कर पाई। इसके अलावा नाराजगी का दूसरा बड़ा कारण यह भी है कि उनके समर्थकों के नाम शुरुआती लिस्ट में नहीं डाला गया। राव समर्थकों ने उन्हें बताया कि उन्होंने आवेदन किया था लेकिन जिला प्रधानों ने आगे ही नाम नहीं बढ़ाए।

उधर अहीरवाल की दो विधानसभा सीटों कोसली और अटेली पर आरती राव के चुनाव में उतरने को लेकर खूब चर्चाओं में है। ‘राव तुलाराम’ के ‘वंशजों’ चाचा और भतीजी व भाई और बहन के बीच जोरदार सियासी लड़ाई हो सकती है। ‘रामपुरा हाउस’ की सियासत पर आजकल अहीरवाल में हर शख्स अपने अपने ढंग से कयास लगा गुणा भाग करने में मशगूल है। 

बात कर रहे है कोसली व अटेली सीट की। खबरों के मुताबिक, हरियाणा बीजेपी की चुनाव कमेटी ने गुरुग्राम के सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती राव के लिए अटेली और कोसली विधानसभा सीटें आरक्षित रखी हैं। आरती राव से कहा गया है कि वह केंद्रीय चुनाव समिति को बताएं कि वह इनमें से किस सीट से चुनाव लड़ना चाहती हैं। हालांकि राव इंद्रजीत सिंह ने समिति के सामने कह दिया है कि इसका निर्णय आरती राव स्वयं करेगी, पर आरती राव की ताजपोशी के लिए ‘राव राजा’ ललायित अवश्य है, यह बात किसी से छुपी नहीं हैं।

‘अहीर राज परिवार’ में इस सीट पर आपसी जंग इसलिए हो सकती है क्योंकि कोसली सीट से राव इंद्रजीत सिंह के छोटे भाई और पूर्व विधायक राव यादुवेंद्र सिंह उर्फ बलजीत चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। राव यादुवेंद्र सिंह पहले भी कोसली से विधायक रह चुके हैं। राव यादुवेंद्र सिंह ने अपनी भतीजी आरती राव से कहा है कि वह कोसली सीट से चुनाव ना लड़ें, वरना दोनों को यहां से हार का मुंह देखना पड़ सकता है। उन्होंने कोसली सीट से अपना पक्का दावा ठोका है और कहा है कि मैं ही यहां से टिकट लूंगा, भले ही दावेदार कितने भी हो। उन्होंने कहा जो टिकट मंगता है वह दावेदार ही होता है, लेकिन दावेदार तो कोई भी हो सकता है। देखना यह चाहिए कि वजनदार कौन है ? हवा तो कांग्रेस की है लेकिन इसका मतलब ये तो नहीं कि वजनदार को छोड़कर किसी को टिकट दे दो।

बंट सकते हैं अहीर मतदाताओं के वोट

राव यादुवेंद्र सिंह ने कहा है कि अगर आरती राव कोसली सीट से चुनाव लड़ीं तो इससे अहीर मतदाताओं के वोटों का बंटवारा हो सकता है और इसका फायदा किसी और नेता को मिल सकता है। बता दे कि वह 2005 में राव इंद्रजीत सिंह के समर्थन से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीते थे। उस समय राव इंद्रजीत भी कांग्रेस में ही थे। तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने यादवेंद्र को अपने पाले में कर लिया और रामपुरा हाउस में फूट डाल दी। 2014 में राव इंद्रजीत सिंह भाजपा में शामिल हो गए फलस्वरुप 2014 और 2019 में भी राव यादवेंद्र ने कोसली से चुनाव लड़े लेकिन तब उन्हें जीत नहीं मिली थी। राव इंद्रजीत सिंह ने भले ही हुड्डा से मतभेद के चलते कांग्रेस छोड़ी लेकिन उनके छोटे भाई राव यादवेंद्र सिंह को आज भी हुडा समर्थित नेताओं में गिना जाता है। यह भी बताना जरूरी है कि 2014 और 2019 के चुनाव में राव इंद्रजीत सिंह समर्थित भाजपा उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी। सूत्रों के अनुसार इस बार कोसली सीट पर राव इंद्रजीत सिंह अपने किसी चहेते को लड़ाना चाहते हैं और आरती राव को अटेली से मैदान में उतरना चाहते हैं।

इस बार राव यादवेंद्र सिंह को उम्मीद है कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के बेहतर प्रदर्शन के बाद वह कोसली से चुनाव जीत सकते हैं। आरती राव के कोसली से चुनाव लड़ने की चर्चाओं पर राव यादवेंद्र सिंह ने कहा अगर आरती चुनाव मेरे सामने लड़ती है तो मैं फाइट करूंगा पहले बात तो यह है की आरती यहां नहीं आएगी अगर आएगी तो हम दोनों चुनाव लड़ेंगे तो दोनों हारेंगे और कोई बीच में से निकल जाएगा जो हमारे परिवार का हिमायती होगा वह यह कभी नहीं चाहेगा।

राव यादुवेंद्र सिंह को यहां कांग्रेस में भी चुनौती मिल रही है। इस सीट से पूर्व मंत्री जगदीश यादव टिकट मांग रहे हैं। जगदीश यादव बीते साल ही कांग्रेस में शामिल हुए थे। उनका कहना है कि पार्टी उन्हें जरूर टिकट देगी। 

भाई के इधर-उधर की चर्चा से किया किनारा 

राव यादवेंद्र सिंह ने बड़े भाई राव इंद्रजीत सिंह को लेकर कहा है कि मैं अभी कांग्रेस में हूं और वह भाजपा में है राव इंद्रजीत सिंह के इधर-उधर बातचीत की चर्चा पर यादवेंद्र ने कहा मुझे इसकी कोई जानकारी नहीं है मुझे तो खुद मीडिया से ही जानकारियां मिल पाती है।

आरती कर चुकी हैं चुनाव लड़ने का ऐलान

यहां बता दें कि लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद से ही राव इंद्रजीत सिंह कई बार कह चुके हैं कि आरती राव इस बार विधानसभा चुनाव लड़ेंगी। आरती भी चुनाव लड़ने की तैयारी में है। इस तरह की चर्चा है कि आरती राव अटेली या कोसली में से किसी एक सीट से ही चुनाव लड़ेंगी।

अटेली में आरती के चचेरे भाई कर रहे हैं तैयारी 

वहीं दूसरी तरफ आरती राव के महेंद्रगढ़ जिले की अटेली विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की चर्चा बड़े जोरों पर है परंतु उनके लिए परेशानी का सबब यह है कि उनके चचेरे भाई राव अभिजीत सिंह भी कांग्रेस की टिकट पर दावेदारी ठोक रहे अभिजीत सिंह राव इंद्रजीत सिंह के छोटे बेटे और राव इंद्रजीत सिंह के भतीजे हैं। इससे पहले उनके स्वर्गीय भाई राव अर्जुन सिंह ने कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा था लेकिन वह 10000 मत भी हासिल नहीं कर पाए और हार गए। पिछले साल राव अर्जुन सिंह का निधन होने के बाद अभिजीत सिंह राजनीति में सक्रिय हुए हैं।

केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह का अहीरवाल में बड़ा सियासी जनाधार है।

राव इंद्रजीत सिंह ने 2014 और 2019 के विधानसभा चुनाव में भी आरती राव के लिए रेवाड़ी सीट से टिकट मांगा था लेकिन तब बीजेपी ने परिवारवाद के आरोपों से बचने के लिए उन्हें टिकट नहीं दिया था। लेकिन इस बार आरती राव खुलकर विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी हैं। 

आरती की जीत के लिए पूरा जोर लगाएंगे राव

अगर आरती राव कोसली से ही चुनाव लड़ती हैं तो निश्चित रूप से यहां पर मुकाबला जोरदार होगा क्योंकि आरती राव इंद्रजीत सिंह की राजनीतिक वारिस हैं। राव इंद्रजीत सिंह आरती को चुनाव जिताने के लिए पूरा जोर लगाएंगे और ऐसे में एक ही परिवार के लोग चुनाव में जीत के लिए एक-दूसरे से भिड़ते दिखाई देंगे।

बड़े कद के नेता हैं राव इंद्रजीत सिंह

राव इंद्रजीत सिंह अब तक छह बार लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं। वह चार बार गुरुग्राम की सीट से और दो बार भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से चुनाव जीते हैं। 2014 से पहले वह कांग्रेस में थे और यूपीए की सरकार में भी विदेश और रक्षा राज्य मंत्री जैसे बड़े पदों पर रहे हैं।

सीएम की कुर्सी की दावेदारी शाह के ऐलान से खारिज हुई

राव के पिता राव बीरेंद्र सिंह हरियाणा के दूसरे मुख्यमंत्री थे। राव हरियाणा में चार बार विधायक रहे और राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे। राव इंद्रजीत सिंह केंद्र में राज्य मंत्री बनाए जाने के बाद हरियाणा के अगले सीएम की कुर्सी की दावेदारी जता रहे थे। उन्होंने अपने इरादे लोकसभा चुनाव की जीत के बाद ही स्पष्ट कर दिए थे । हालांकि कुछ दिन पहले पंचकूला में अमित शाह ने ऐलान कर दिया कि अगला चुनाव नायब सिंह सैनी की अगुवाई में ही लड़ा जाएगा। इसे साफ हो गया की तीसरी बार भाजपा की सरकार बनी तो सीएम नायब सिंह ही होंगे। वैसे अमित शाह ने महेंद्रगढ़ की ओबीसी रैली में इंद्रजीत सिंह को खुश करने की कोशिश की लेकिन उसके बाद से इंद्रजीत सिंह चुप्पी साधे हैं।

समर्थकों के लिए भी टिकट चाहते हैं राव इंद्रजीत सिंह

राव इंद्रजीत सिंह लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद इस बात को लेकर नाराजगी जाहिर कर चुके हैं कि उन्हें मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री नहीं बनाया गया। राव इंद्रजीत सिंह अहीरवाल में कम से कम 6 सीटों पर अपने समर्थकों को टिकट दिलाना चाहते हैं। इसमें अटेली, नारनौल, कोसली, बावल, बादशाहपुर और पटौदी सीट शामिल है। सूत्रों के अनुसार राव इंद्रजीत सिंह की दावेदारी पर भाजपा राव को अटेली, कोसली, बादशाहपुर और नारनौल सीट देने को तैयार है । इसके अलावा यह भी कहा गया कि पटौदी में बावल सीट पर पार्टी के किसी कार्यकर्ता को राव की रजामंदी से टिकट दे दी जाएगी। माना जा रहा है कि इस राव ज्यादा खुश नहीं है। वह गुरुग्राम से भी अपने एक समर्थक को टिकट दिलाना चाहते हैं।

इससे पहले राव इंद्रजीत सिंह हिसार में कह चुके हैं कि हिसार में सरकार का रास्ता अहीरवाल से जाता है। 2014 और 2019 में अहीरवाल की वजह से ही भाजपा सत्तासीन हुई। 2024 के लोकसभा चुनाव में भी अपने बलबूते से गुरुग्राम और भिवानी महेंद्रगढ़ सीट जीतकर उन्होंने अपने ‘वजूद’ का एहसास कराया है। अहीरवाल में गुरुग्राम, बादशाहपुर, सोहना, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, पटौदी, नारनौल, नांगल चौधरी, बावल, कोसली और अटेली विधानसभा सीटें आती हैं। इन सभी सीटों पर राव के समर्थकों की ठीक-ठाक संख्या है। 

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