देश के लोगों की आमदनी घटी, खर्चे बढ़े:  कुमारी सैलजा

आरबीआई के ताजा उपभोक्ता सूचकांक सर्वे से खुली भाजपा सरकार की पोल

लोगों का देश की मौजूदा आर्थिक हालत से डगमगाया रहा भरोसा

चंडीगढ़, 15 अगस्त। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा से लोकसभा सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि देश के आर्थिक हालात पर लोगों का भरोसा लगातार घट रहा है। तीन चौथाई लोगों का मानना है कि उनकी आमदनी घट रही है, जबकि खर्चे लगातार बढ़ रहे हैं। महंगाई और बेरोजगारी आज भी देश में सबसे बड़े मुद्दे हैं, लेकिन भाजपा की डबल इंजन सरकार के दोनों इंजन कुछ भी संभालने की बजाए पूरी तरह से डिरेल हो चुके हैं।

मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि यह सब खुलासा भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के ताजा उपभोक्ता सूचकांक सर्वे से हो रहा है। आरबीआई ने इस सर्वे में 19 राज्यों के 06 हजार लोगों को शामिल किया, जिन्होंने केंद्र सरकार की बनावटी आंकड़ेबाजी की पोल खोल कर रख दी। यह लगातार तीसरा मौका ऐसा माना जा रहा है, जब देश की जनता का इकोनॉमी पर से भरोसा घट रहा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सर्वे के दौरान 75.8 प्रतिशत लोग ऐसे सामने आए, जिन्होंने कहा कि उनकी आदमनी बढ़ने की बजाए घट गई और खर्चे कम होने के मुकाबले बढ़ गए। सर्वे में राय देने वाले लोगों का कहना है कि तमाम प्रतिकूल हालातों के कारण खर्चे बढ़े हैं। लोगों ने यह भी माना है कि नौकरियों के अवसर घट रहे हैं, जबकि जरूरी वस्तुओं के दाम पहले से ज्यादा हो चुके हैं।

कुमारी सैलजा ने कहा कि आरबीआई के घरेलू महंगाई सर्वे के अनुसार लोगों को घरेलू उपयोग की वस्तुओं के दाम घटने की उम्मीद अब कम ही है। लोगों का मानना है कि जरूरी वस्तुओं के दाम इसी तरह बढ़ते रहेंगे। महंगाई दर भी 8.1 प्रतिशत के अनुमान के मुकाबले बढ़कर 10.1 प्रतिशत पहुंच चुकी है। सर्वे में 60.5 प्रतिशत लोगों ने तो साफ कहा है कि सभी जरूरी वस्तुओं के दाम आने वाले समय में मौजूदा स्तर से भी ज्यादा होंगे। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हरियाणा के मतदाता बेहद जागरूक हैं, इसलिए भाजपा को लोकसभा चुनाव में सिर्फ 5 सीटों पर ही समेट दिया। प्रदेश में हर मोर्चे पर फेल साबित हुई भाजपा के 10 साल के कुशासन के लोग गवाह बन चुके हैं। ऐसे में अब इन्हें 10 साल के बाद एक भी अतिरिक्त देने को तैयार नहीं हैं। लोगों को विधानसभा चुनाव का बेसब्री से इंतजार है, ताकि इन्हें हरियाणा में 2014 से पहले की स्थिति में पहुंचा सकें।

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