राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने वर्ष 2000 में पहली बार अपने नागपुर मुख्यालय में तिरंगा फहराया था : विद्रोही

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जब तिरंगा को राष्ट्रीय ध्वज बनाया था, तब से लेकर वर्ष 1999 तक तिरंगे के विरोध में रहकर इसमें बदलाव की मांग करके तिरंगे की जगह भगवा झंडे को राष्ट्रीय ध्वज बनाने का राग अलापते रहे है : विद्रोही

इतिहास गवाह है कि आजादी आंदोलन में भाजपा केे वैचारिक व पैतृक पुरखे आरएसएस अंग्रेजों की मुखबरी, दलाली करके अंग्रेजी हुकूमत की भक्ति दिखाकर आजादी आंदोलन का विरोध करते रहे : विद्रोही

13 अगस्त 2024 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि भाजपा के वैचारिक, पैतृक पुरखे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जब तिरंगा को राष्ट्रीय ध्वज बनाया था, तब से लेकर वर्ष 1999 तक तिरंगे के विरोध में रहकर इसमें बदलाव की मांग करके तिरंगे की जगह भगवा झंडे को राष्ट्रीय ध्वज बनाने का राग अलापते रहे है। विद्रोही ने कहा कि इतिहास गवाह है कि आजादी आंदोलन में भाजपा केे वैचारिक व पैतृक पुरखे आरएसएस अंग्रेजों की मुखबरी, दलाली करके अंग्रेजी हुकूमत की भक्ति दिखाकर आजादी आंदोलन का विरोध करते रहे जिसके अनेक दस्तावेज भारत सरकार की फाईलों में दर्ज है और कोई भी आर्काई में उन्हे देखे व पढ़ सकता है। जिन संघीयों ने कभी तिरंगे का सम्मान नही किया, आजादी आंदोलन में भाग नही लिया, उसके वंशज आज तिरंगा यात्रा के नाम पर सत्ता बल पर अपने को देशभक्त व आजादी आंदोलन के खैरखवाह साबित करने का असफल कुप्रयास कर रहे है। सारा देश जानता है कि वर्तमान प्रधानमंत्री मोदी महात्मा गांधी के बाद आजादी आंदोलन के सबसे बडे नायक रहे देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को अपमानित करने और उसके प्रति दुष्प्रचार करने का कोई मौका नही चूकते है और विदेशों में जाकर भी नेहरू जी के प्रति बेशर्मी से दुष्प्रचार करते है। यह दूसरी बात है कि उन्ही देशों के राष्ट्राध्यक्ष मोदी जी की मौजूदगी में ही नेहरू जी का गुणगान करके मोदीजी को आईना भी दिखा देते हे। फिर भी मोदी जी नेहरू जी के प्रति दुष्प्रचार करने के कुकृत्यों से बाज नही आते।  

विद्रोही ने कहा कि पूरो देश जानता है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने वर्ष 2000 में पहली बार अपने नागपुर मुख्यालय में तिरंगा फैहराया था। वहीं आरएसएस के नागपुर मुख्यालय पर 1999 में तिरंगा फहराने वाले तीन कांग्रेस कार्यकर्ताओं के खिलाफ आरएसएस ने मुकदमा दर्ज करवाया, उनके खिलाफ नागपुर अदालत में केस चला और आखिरकार वे अदालत से बाइज्जत बरी हुए जिसे कोई भी अदालत के रिकार्ड में देख सकता है। सवाल उठता है कि जिस भाजपा के वैचारिक पुरखे आरएसएस ने वर्ष 2000 तक तिरंगा नही फैहराया, आज वे अपने आपको तिरंगे का सम्मान करने वाले साबित करने के कुप्रयास में पूरे देश के साथ क्रूर मजाक कर रहे है। वहीं वर्तमान प्रधानमंत्री ऐसा प्रदर्शित करते रहते है कि मानो भारत का उदय ही वर्ष 2014 के बाद हुआ है। विद्रोही ने सवाल किया कि जिस आरएसएस की तिरंगे के प्रति ऐसी सोच रही हो, उसकी राजनीतिक शाखा भाजपा तिरंगा यात्रा निकालने का ढोंग करके देशवासियों को ठगने का जो कुप्रयास कर रही है, उसे आमजन को अच्छी तरह से समझना होगा।    

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