स्कूलों को परेशान करने का रवैया बदले अधिकारी : नरेश सेलपाड़

बोले: बात-बात पर स्कूल संचालकों पर मामले दर्ज करने वाले सरकारी स्कूलों की कमियों पर भी दे थोड़ा सा ध्यान

बोले, स्कूलों को राहत देने की बजाय उन्हें परेशान करने की नीति छोड़े अधिकारी

चेतावनी: यदि किसी स्कूल संचालक से रिश्वत मांगी या परेशान किया तो खैर नहीं

जिस भी अधिकारी ने स्कूलों संचालकों को अनावश्यक परेशान, उसके कार्यालय का होगा घेराव

हिसार। सामाजिक संस्था राह ग्रुप फाउंडेशन के चेयरमैन व केश कलां एवं कौशल विकास बोर्ड के निदेशक नरेश सेलपाड़ ने कहा है कि सरकार का काम स्कूल खोलना है ना बंद करवाना। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के आदेशों की आड़ व एक के बाद एक मनमाने नियमों व अधिकारियों की मनमानी व हठधर्मिता के कारण आज प्रदेश के सैकड़ों स्कूल संचालक परेशान है। प्रदेश सरकार के मंत्री व राजनेता जहां स्कूलों को राहत देने की बात करते हैं, वहीं कुछ अधिकारी स्कूलों में एक के बाद एक छापामार कार्यवाही को अंजाम देने में लगे हैं।

चेयरमैन नरेश सेलपाड़ ने दोहराया है कि कभी हरियाणा एवं पंजाब हाईकोर्ट का हवाला देकर तो कभी नए व पुराने नियमों का हवाला देकर कुछ अधिकारी प्रदेश के छोटे व मध्यम स्कूलों को बंद करवाने पर तुले हंै। उन्होंने कहा कि कल तक स्वयं स्कूलों को मान्यता दे चुके अधिकारी अब स्कूल संचालकों को बात-बात पर परेशान करने में जुटे हंै। चेयरमैन नरेश सेलपाड़ ने जोर देते हुए कहा है कि स्कूल से उगाही या रिश्वत मांगने वाले अधिकारियों के खिलाफ वो स्कूलों से मिलकर प्रदर्शन करेंगे व ऐसे अधिकारियों के कार्यालय का घेराव भी किया जाएगा।

चेयरमैन नरेश सेलपाड़ ने जोर देते हुए कहा है कि सभी अस्थाई एवं गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों को बंद करने की बजाय इन स्कूलों को राहत, ऋ ण एवं नियमों में छूट देकर निश्चित मापदंड पूरे करने में सहयोग करना चाहिए। जिससे कि इन स्कूलों को एकमुश्त मान्यता प्रदान की जा सके। प्रेस में जारी एक बयान में निदेशक श्री सेलपाड़ ने कहा कि सरकार के पास ऐसे कई विकल्प हैं, जिन्हें अपना कर इन स्कूलों को बंद होने से बचाया जा सकता है, मगर अधिकारी इस दिशा में कुछ भी सुनने एवं करने को तैयार ही नहीं हैं। उन्होंने कहा कि ये सभी प्राइवेट स्कूल संचालक गरीबों बच्चों को शिक्षित करने के साथ-साथ युवाओं को रोजगार व सरकार को टैक्स दे रहें हैं, उसके बावजूद भी स्कूल संचालकों को परेशान किया जा रहा है। निदेशक श्री सेलपाड़ ने कहा कि कुछ अधिकारी नियमों का हवाला देकर ग्रामीण एवं दूरदराज क्षेत्रों के स्कूलों बंद करने पर तुले हैं, जबकि शहरों में उनकी नाक के तले ही दर्जनों ऐसे सरकारी स्कूल है, जिनमें न तो बच्चों के खेलने के लिए मैदान हैं और ना ही निश्चित मापदंड के अनुसार पूरी जगह। इसके अलावा अधिकांश सरकारी स्कूलों में सुख सहायक एवं अध्यापकों के पद रिक्त पड़े हैं।

ऐसे में अधिकारियों एवं सरकार को प्राइवेट स्कूलों को बंद करने की बजाय अपने स्कूलों की स्थिति सुधारने पर जोर देना चाहिए। उन्होंने कहा है कि सरकार एवं अधिकारियों को यह भी नहीं भूलना चाहिए कि ये सभी स्कूल वो पहली संस्थाएं है, जिन्होंने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में अपने स्कूल भवनों, स्टाफ व स्कूली वाहनों के प्रयोग करके सरकार, समाज एवं मानवता की मदद की थी। ये स्कूल संचालक वाहन टैक्स एवं दूसरे प्रकार के तमाम टैक्स अदा करने के साथ-साथ साठ हजार से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान कर रखा है। इन स्कूलों में अध्यापकों के साथ-साथ ड्राइवर, क्लर्क, चपरासी एवं सफाई कर्मी इत्यादि नौकरी करते हैं। इससे भी आगे श्री सेलपाड़ ने कहा है कि उन्होंने कहा कि स्कूल संचालक और इनमें कार्यरत अध्यापक या दूसरा स्टाफ भी हमारे देश एवं प्रदेश के ही नागरिक हैं। ऐसे में सरकार को उनकी स्थिति एवं जरूरतों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।

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