युवाओं को कुरीतियों से बचाने और सभ्य समाज के निर्माण की दिशा में महत्त्वपूर्ण कार्य कर रहा गुरुकुल का वेद प्रचार विभाग : आचार्य देवव्रत

गुरुकुल में 8 जिलों की विभिन्न आर्यसमाजों के 200 से अधिक पदाधिकारी पहुंचे, प्राकृतिक खेती करने के लिए भी प्रेरित किया।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

कुरुक्षेत्र, 14 जुलाई : गुरुकुल कुरुक्षेत्र का वेद प्रचार विभाग गांव-गांव में जाकर युवाओं में बढ़ती नशे की प्रवृति को रोकने एवं लोगों को सन्ध्या, हवन के माध्यम से वैदिक संस्कृति से जोड़कर सभ्य समाज के निर्माण में अनुकरणीय कार्य कर रहा है। युवाओं में बढ़ती नशे की लत ने हजारों घरों को बर्बाद कर दिया है, युवाओं को नशे व दूसरी कुरीतियों से बचाने के लिए आर्यसमाज से जोड़ना होगा तभी समाज में नई जाग्रति आएगी और उन्नत राष्ट्र का सपना साकार होगा। उक्त शब्द आज गुरुकुल कुरुक्षेत्र में आयोजित आर्यसमाज के एक कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए महामहिम राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहे। गुरुकुल के वेद प्रचार विभाग द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में कुरुक्षेत्र, कैथल, जींद, हिसार, करनाल, यमुनानगर, अम्बाला, पंचकूला आदि जिलों की विभिन्न आर्यसमाजों के 200 से अधिक प्रतिनिधि शामिल हुए। इस अवसर पर प्रधान राजकुमार गर्ग, व्यवस्थापक रामनिवास आर्य, वेद प्रचार विभाग के वरिष्ठ भजनोपदेशक जयपाल आर्य, जसविन्द्र आर्य, मनीराम आर्य, सूर्यदेव आर्य, मुख्य संरक्षक संजीव आर्य सहित सभी वेद प्रचारक मौजूद रहे।

आचार्य देवव्रत कहा कि वर्ष 2012 में गुरुकुल के शताब्दी समारोह के दौरान समाज में ऋषि दयानन्द और आर्य समाज की मान्यताओं का प्रचार-प्रसार करने हेतु गुरुकुल में वेद प्रचार विभाग का गठन करके किया गया जिसके तहत कई भजन-मंडली, उपदेशक और व्यायाम शिक्षक गांव-गांव में जाकर वैदिक संस्कृति और पुरातन संस्कारों से युवाओं को रूबरू करवा रहे हैं, साथ ही लोगांे में संध्या, हवन, सत्संग की लुप्त हो रही परम्परा को पुनर्जीवित कर रहे हैं। आचार्यश्री ने कहा कि गुरुकुल कुरुक्षेत्र एकमात्र ऐसा संस्थान है जहां लोगों में कुरीतियों के विरूद्ध जाग्रति लाने के लिए वेद प्रचार विभाग का अलग से गठन किया गया है और 20 लोगों की टीम समाज से पाखण्ड, अंधविश्वास, कन्या भ्रूण हत्या, नशा व मांसाहार के विरूद्ध अभियान चलाकर लोगों को सद्मार्ग पर चलने का संदेश दे रहे हैं।

आचार्य ने प्राकृतिक खेती मिशन का जिक्र करते हुए सभी आर्यजनों से आह्वान किया कि अपने-अपने क्षेत्रों में प्राकृतिक खेती का प्रचार-प्रसार करें। उन्होंने कहा कि आज यूरिया, डीएपी, पेस्टीसाइड डालकर जमीन को पथरीला और बंजर बना दिया है। जरा-सी बरसात होती है तो बाढ़ आ जाती है क्योंकि बरसात का पानी धरती के पेट में नहीं जाता। उन्होंने कहा कि कीटनाशकों ने किसानों के केंचुआ जैसे मित्रजीव मार दिये हैं जिससे पर्यावरण पर भी इसका विपरीत असर हो रहा है। उन्होंने कहा कि खेती में यूरिया, डीएपी, पेस्टीसाइड के प्रयोग से कैंसर, हार्टअटैक, बीपी, शुगर जैसी बीमारियां लगातार बढ़ रही है, भूमिगत जल रसातल में चला गया है, जमीनें बंजर हो रही हैं, पर्यावरण दूषित हो रहा है और ग्लोबल वार्मिंग लगातार बढ़ रही है। इन सबसे बचने का एक ही उपाय है प्राकृतिक खेती। आचार्यश्री ने कहा कि एक देशी गाय से 30 एकड़ भूमि पर प्राकृतिक खेती की जाती है। प्राकृतिक खेती मिशन के बारे में उन्होंने बताया कि हिमाचल में गर्वनर रहते हुए उन्होंने सभी ग्राम पंचायतों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने का महत्त्वपूर्ण कार्य किया, वहां के सभी किसान आज प्राकृतिक खेती करके खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे हैं। वहीं गुजरात में भी 10 लाख से अधिक किसान आज प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के आह्वान पर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार सहित दक्षिण भारत में लाखांे किसानों को प्राकृतिक खेती मिशन से जोड़ा गया है। कार्यक्रम में आए सभी आर्यसमाजियों ने एकमत से आचार्यश्री के वेद प्रचार अभियान और प्राकृतिक खेती मिशन को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया।

8 जिलों के आर्यसमाज से कार्यक्रम में पहुंचे आर्यसमाजी
गुरुकुल कुरुक्षेत्र में हुए कार्यक्रम में कुरुक्षेत्र से आर्यसमाज लाड़वा, छैलो, बारना, हथीरा, गुलडेरा से, करनाल से आर्यसमाज संगोही, यूनिसपुर, रायपुर, शाहपुर, बदरपुर, माजरा रोड़ान, जिला यमुनानगर से आर्यसमाज रेलवे रोड़, कलेसरा, लेदा खादर, रतनगढ़, मंढार, अम्बाला जिला से आर्यसमाज बनौंदी, नारायणगढ़, कलेरा, रामदास नगर अंबाला शहर, लण्ढा, कैथल जिला से आर्यसमाज पूण्डरी, बरसाणा, खानपुर, बालू, माणस, डुलियानी, पबनावा, मुनरहेड़ी सहित पंचकूला, जींद, हिसार जिलों से भी आर्यसमाज के प्रतिनिधि कार्यक्रम में शामिल हुए।

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