वाटर बाॅडी की जियोटैगिंग और प्रबंधन के लिए केंद्र ने की हरियाणा की सराहना

चंडीगढ़, 27 जून- हरियाणा के मुख्य सचिव श्री टी.वी.एस.एन. प्रसाद ने कहा कि राज्य सरकार ने सिंचाई, बिजली संयंत्रों और उद्योगों में उपचारित अपशिष्ट जल के पुनः उपयोग के लिए उपचारित अपशिष्ट जल नीति लागू की है। दिसंबर 2024 तक बिजली संयंत्रों में नहरी पानी की जगह उपचारित अपशिष्ट जल का उपयोग किया जाएगा, जिससे जल संरक्षण प्रयासों को और बल मिलेगा।

श्री टी.वी.एस.एन. प्रसाद ने ‘जल शक्ति अभियान: कैच द रेन’ के संबंध में आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से केंद्रीय कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में भाग लेने के बाद यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग उपचारित अपशिष्ट जल के पुनः उपयोग के प्रयासों की अगुवाई कर रहा है, जिसका लक्ष्य इस नीति के तहत वर्ष 2025 तक 50 प्रतिशत और 2030 तक 80 प्रतिशत पुनः उपयोग दर हासिल करना है।

मुख्य सचिव ने कहा कि केंद्र सरकार ने राज्य में वाटर बाॅडी की जियोटैगिंग और प्रबंधन के  लिए हरियाणा सरकार की सराहना की है। अपनी स्थापना के बाद से, तालाब और अपशिष्ट जल प्रबंधन प्राधिकरण ने 18,104 तालाबों को जियोटैग किया है और 852 तालाबों का सफलतापूर्वक कायाकल्प किया है। साथ ही 1,152 अतिरिक्त वाटर बाॅडी को बहाल करने के प्रयास जारी हैं। जियोटैगिंग की यह पहल हरियाणा के अमूल्य जल संसाधनों का प्रभावी प्रबंधन और संरक्षण सुनिश्चित करती है।

राज्य में जल शक्ति अभियान के सकारात्मक परिणामों का उल्लेख करते हुए, श्री प्रसाद ने कहा कि वर्ष 2023 में 12 जिलों में जल स्तर 1.3 मीटर बढ़ा जबकि 2022 में 19 जिलों में जल स्तर 0.58 मीटर बढ़ा। उन्होंने कहा कि सभी 22 जिलों के लिए जिला जल संरक्षण योजनाएं तैयार की गई हैं और उन्हें जल शक्ति अभियान (जेएसए-सीटीआर), केंद्रीय पोर्टल पर अपलोड किया गया है। ये योजनाएं सूक्ष्म स्तर की ग्राम योजनाओं से बनाई गई हैं और इनमें आपूर्ति और मांग तथा जल संरक्षण, सार्वजनिक शिक्षा और जागरूकता तथा विभागवार कार्य योजनाएं और रणनीति के लिए हस्तक्षेप तथा रणनीतिक कार्य योजनाएं शामिल हैं।

मुख्य सचिव ने कहा कि हरियाणा ने देश में अपनी तरह की पहली ‘एकीकृत जल संसाधन कार्य योजना’ तैयार की है, जो जल अंतर को समझने और जल बचत हस्तक्षेप और आपूर्ति स्तर की योजना बनाने के लिए ब्लॉक स्तरीय जल योजना का संकलन है। एकीकृत जल संसाधन कार्य योजना 2023-25 के तहत, राज्य ने दिसंबर 2023 तक 2.48 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी की बचत हासिल की है।

उन्होंने कहा कि राज्य ने मानसून से आने वाली बाढ़ को बाढ़ प्रबंधन में बदलकर और बाढ़ के पानी को नहरों में डालकर राज्य में बाढ़ के 50 प्रतिशत पानी का पुनः उपयोग करने का लक्ष्य निर्धारित करके एक आदर्श बदलाव किया है। विलुप्त नदियों-कृष्णावती, दोहान और साहबी को एक अभिनव अवधारणा के माध्यम से पुनर्जीवित किया गया। इसके अलावा, भूजल पुनर्भरण में सहायता के लिए बरसात के मौसम में बाढ़ का अतिरिक्त पानी इन नदियों में छोड़ा जाता है।

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