वानप्रस्थ संस्था ने अंतरराष्ट्रीय पितृ दिवस का किया भव्य आयोजन

डा: जे . के. डाँग, महा सचिव…….वानप्रस्थ सीनियर सिटीज़न क्लब

हिसार – आज वानप्रस्थ सीनियर सिटीज़न क्लब में अंतरराष्ट्रीय पितृ दिवस का खूबसूरत आयोजन किया गया, क्लब के महासचिव डा: जे. के . डाँग ने कहा कि पितृ दिवस मनाने की प्रथा पूर्वी देशों से भारत में आई है परन्तु बदलते प्रत्पेक्ष्य में भारत में भी प्रासंगिक है । अब तो 111-से भी अधिक देशों में पितृ दिवस अपने अपने पिता को धन्यवाद देने , सम्मानित करने एवं श्रद्धांजलि देने के अवसर के रूप में मनाया जाता है । उन्होंने कहा

“ पिता प्रेम है , प्यार है
जीवन का आधार है “

मंच का संचालन करते हुए श्रीमती वीना अग्रवाल ने अपने भाव एक दोहे से प्रकट किए

“प्रीत पिता अनमोल है
पिता सुखों की खान
देता अंतिम श्वास तक
निज संतति को जान “

उन्होंने संचालन के मध्य में कई दोहे और क़िस्से सुनाए।
ईश्वर स्तुति में भजन

“ तू है सचा पिता सारे संसार का ओम प्यारा तू ही तू ही है रक्षक् हमारा – – –
से डा : सुनीता सुनेजा ने कार्यक्रम का आग़ाज़ किया।

श्री प्रेम केडिया ने

“ बाबुल की दुआएँ लेती जा, जा तुझको सुखी संसार मिले
मैके की कभी न याद आए, ससुराल में इतना प्यार मिले “ मार्मिक गीत गाया।

वहीं श्री बलवंत जांगड़ा ने ⁠” इक बात पूछती हूँ बताओ ना बाबूजी’……” अपनी मधुर और सधी आवाज़ में गाकर सब को भावुक कर दिया ।

श्री योगेश सुनेजा ने फ़िल्म ‘ फ़िल्म क़यामत से क़यामत तक’ का प्रसिद्ध गाना

“ पापा कहते हैं बड़ा नाम करेगा “ गा कर खूब तालिया बटोरी ।

वहीं वीना अग्रवाल ने मासूम फ़िल्म का गीत

“ तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी
हैरान हूँ मैं
तेरे मासूम सवालों से
परेशान हूँ मैं…..”
अपनी भावनाएँ पेश की ।

हरियाणा में मुकलावे के बाद जब बेटी पहली बार सुसराल जाती है , उसका चित्रण डा: दीप पूनिया ने लोक गीत के माध्यम से कुछ इस प्रकार किया

“ म्हारे री घैर में आये री बटेऊ,
साथण के लणिहार !
साथण चाल पड़ी,
हे मेरे डब-डब भर आये नैण …..”

जब बिटिया सुसराल पहली बार जाती है तो अपने पिता से क्या कहती है और पिता कैसे समझाते हैं हरियाणा लोकगीत को अति सुंदर ढंग से पेश किया- डा : दीप ने

“मैं तो गुड़िया भूली हो,
बाबल तेरे आल्लै में !
म्हारी पोती खेलैं हे,
धीयड़ घर जा अपणैं !
थारा आँगन सूना हो,
बाबल तेरी धीयै बिना !
थारा पनघट सूना हो,

बाबल तेरी धीयै बिना..”

दूरदर्शन के भूतपूर्व निदेशक श्री अजीत सिंह ने अपने स्वर्गीय पिता को याद करते हुए उनसे एक भावात्मक संवाद की कल्पना करते हुए एक स्वरचित रागनी पेश की जिसमें वे पिता को अपने परिवार का हाल बताते हैं कि कौन चला गया और कौन क्या तरक्की कर आगे बढ़ रहा है। पिता के उत्तर की कल्पना में वे कहते हैं कि पिता अब स्वर्ग में उनकी बाट देख रहे हैं क्योंकि अब उनके भी जाने का समय निकट आ रहा है।
बानगी देखिए:

“ बाबू बैठा कौनसे देस
बदल कर भेस
बता कद आवेगा।
भेज कोई चिट्ठी या संदेश”
बता कद आवेगा।
कवि की कल्पना देखिए , बापू स्वर्ग से क्या जवाब देते हैं
“ देखूं सु तेरी बाट
बता तू कब आवेगा”

श्रीमती राज गर्ग ने कहा कि तीन तरह के पिता हैं – इस दुनिया में..
परमपिता परमात्मा,
जन्म देने वाले पिता और ससुर पिता।
ससुर पिता के प्रति दिल से निकले उदगार कुछ इस प्रकार बयाँ किए ..

आप बूढ़े नहीं थे बाऊ जी,
केवल साठ के ही तो थे आप
फैक्टरी जाते हुए मोटरसाइकिल ने टक्कर मारी और बस चले गए।
भगवान ने भी सोचा होगा कि स्वर्ग में भी आप जैसी पुन्य आत्माओं की कमी है,
तभी तो हमे छोड़ चले गए बाऊ जी
40 – साल बीत गए बाबूजी
ना भूलें है और ना ही कभी भूला पाएंगे “

श्रीमती कमला सैनी ने
मां की महिमा सभी सुनाते मैं बतलाऊं क्या है पिता….” अपनी मधुर आवाज़ में गाकर पिता को याद किया ।

श्रीमती सुनीता महतानी ने अपने 94- वर्षीय पिता श्री पी. के . सरदाना की साथ बिताए मधुर क्षणों को याद करते हुए कहा कि आयु के इस पड़ाव पर भी वह अनुशासित जीवन व्यतीत करते हैं और अपना काम स्वयं करने के लिए प्रेरित करते हैं । उन्होंने कहा कि वह क्लब जाने के लिए समय पर तैयार हो जाते हैं और यहाँ आकर बड़े प्रसन्न होते हैं।

वही डा: पुष्पा सतीजा ने कहा कि पिता को याद करना , अपने बचपन को याद करना है । उन्होंने बताया कि उनके पिता ने 1936-में दिल्ली से ब.ए. एम. एस. की थी। उन्होंने बच्चों को अनुशासित जीवन जीना सिखाया और सब को उच्च शिक्षा के लिए प्रेरित किया । डा: स्वराज ने बताया कि 1946 – में जब उनका जन्म हुआ तो देश में स्वराज आने वाला था तो उनके पिता ने उनका नाम स्वराज ही रख दिया

डा: नीलम परूथी ने भी अपने बचपन की यादों को साँझा किया

श्री मती वीना अग्रवाल ने कार्यक्रम को समापन करते हुए सब सदस्यों एवं प्रतिभागियों का धन्यवाद किया और प्रभु से प्रार्थना करते हुए कहा

“ मेरी परमात्मा से एक गुजारिश है ,
छोटी सी लगानी इक सिफारिश है
रहें जीवन भर खुश मेरे पापा
बस इतनी सी मेरी ख्वाहिश है ….”

इस कार्यक्रम में 45-से अधिक सदस्यों ने भाग लिया।

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