मौसम विभाग द्वारा ज्यादा बारिश होने का अलर्ट देने के बावजूद भी फ्लड कंट्रोल के लिए जरूरी पानी निकासी, ड्रेनेज निर्माण, ड्रेनेज चौड़ा करने, स्टड लगाने, तटबंध मजबूत करने के 80 प्रतिशत से ज्यादा काम पड़े हैं अधूरे

पिछले साल बाढ़ के कारण लोगों की तो भूख और प्यास से मरने की नौबत थी, उनके घर उजड़ गए थे, बजाय उनकी सहायता करने के मुख्यमंत्री, मंत्री, नेता विपक्ष अपनी पब्लिसिटी के लिए ट्रैक्टरों पर चढ़ कर बेशर्मी से फोटो सेशन करवा रहे थे, अब भी बाढ़ आने के बाद ऐसा ही करेंगे

हर साल फ्लड कंट्रोल बोर्ड की मीटिंग में हजारों करोड़ों रूपए का बजट तय होता है जिसे अधिकारी और मंत्री मिल कर केवल कागजों में दिखा कर खा जाते हैं, कांग्रेस और भाजपा के 19 सालों के शासनकाल में बाढ़ नियंत्रण की खर्च की गई राशि की विधानसभा की कमेटी द्वारा जांच हो

चंडीगढ़, 13 जून। इनेलो प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला ने कहा कि मौसम विभाग द्वारा पिछले साल के मुकाबले इस साल अधिक बारिश होने का अलर्ट देने के बावजूद भी अभी तक मिली सूचनाओं के अनुसार फ्लड कंट्रोल के लिए जरूरी पानी निकासी, ड्रेनेज निर्माण, ड्रेनेज चौड़ा करने, स्टड लगाने, तटबंध मजबूत करने के 80 प्रतिशत से ज्यादा योजनाओं पर काम अधूरे पड़े हैं। जबकि बारिश को आने में सिर्फ कुछ ही दिन बचे हैं। पिछले साल बाढ़ के कारण 12 जिलों के लोगों को जानमाल के साथ पशुओं की मौत और फसलों का बड़े पैमाने पर नुकसान झेलना पड़ा था। जहां बाढ़ के कारण लोगों के तो भूख और प्यास से मरने की नौबत थी, उनकी फसलें और घर उजड़ गए थे, बजाय उनकी सहायता करने के मुख्यमंत्री, मंत्री समेत नेता विपक्ष अपनी पब्लिसिटी के लिए ट्रैक्टरों पर चढ़ कर बेशर्मी से फोटो सेशन करवा रहे थे। अब भी बाढ़ आने के बाद ऐसा ही करेंगे। हकीकत यह है कि आज तक भी बहुत सारे बाढ़ पीड़ितों को मुआवजा नहीं दिया गया है। पिछले साल अगर समय रहते ड्रेनों की सफाई हो जाती तो प्रदेश के लोगों को बाढ़ आपदा से बचाया जा सकता था।

उन्होंने कहा कि 2023 में फ्लड कंट्रोल बोर्ड की स्टेट लेवल मीटिंग में बाढ़ आपदा के लिए 528 प्रोजेक्ट के 1326 करोड़ रूपए मंजूर किए गए थे। ऐसे ही हर साल बाढ नियंत्रण के लिए हजारों करोड़ रूपए का बजट तय किया जाता है जिसे विभाग के अधिकारी और मंत्री मिल कर केवल कागजों में दिखा कर अपनी जेब भरते हैं, धरातल पर कोई काम नहीं किया जाता। कांग्रेस और भाजपा के 19 सालों के शासनकाल में जारी किए गए बजट की राशि को कहां और कैसे खर्च किया गया उसकी भी विधानसभा की कमेटी बनाकर जांच होनी चाहिए। 

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