मुहिम ने स्पर्श किया 6 लाख 47 हज़ार का आंकड़ा

चारों युग में हनुमान जी का प्रताप है : बोधराज सीकरी

गुरुग्राम। बीते मंगलवार 11 जून सायं 6 बजे गीता भवन मंदिर के प्रांगण में वहां के प्रधान श्री सुरेंद्र खुल्लर और उनके सहयोगी श्री उदयभान ग्रोवर ने हनुमान चालीसा पाठ का आयोजन किया। मंदिर के प्रांगण में सर्वप्रथम वहां के ब्राह्मणों ने विधिवत पूजा की तदोपरांत श्री गजेंद्र गोसाई जी ने व्यास गद्दी से धीरे-धीरे हनुमान चालीसा पाठ का संगीतमय तरीके से शुभारंभ किया और 21 वीं चौपाई तक पहुंचते-पहुंचते उन्होंने पूरा का पूरा वातावरण संगीतमय और नृत्यमय कर दिया। अंतिम चौपाई पर सम्पुट लगाकर लगभग वहां बैठे 200 लोगों ने नृत्य किया और अपनी उपस्थिति दर्ज की। इसके उपरांत श्री मनीष खुल्लर जो जाने-माने रोटेरियन भी हैं और संगीतज्ञ भी हैं उन्होंने दो भजनों के माध्यम से सबका मन जीत लिया। तदोपरांत बोधराज सीकरी ने अपने वक्तव्य में शुरू में हनुमान चालीसा पाठ मुहिम की विस्तृत जानकारी और उनका ध्येय और उनका लक्ष्य उस पर चर्चा की। तदोपरांत बताया कि हनुमान जी का नाम हनुमान किसने रखा। जिस व्यक्ति को अपने मान पर अपने सम्मान पर अहंकार है उसका अहंकार तोड़ने के लिए हनुमान जी का नाम हनुमान रखा गया। उन्होंने द्वापर युग के समय का एक दृष्टांत सुना करके लोगों के मन को प्रसन्न कर दिया। उन्होंने बताया कि त्रेता युग में जैसे हनुमान जी प्रभु राम की सेवा में थे ऐसे द्वापर में भी समय-समय पर वह भगवान कृष्ण की सेवा में उपस्थित होते थे। एक बार योगीराज भगवान कृष्ण ने यह महसूस किया कि जो तीन व्यक्ति उनके काफी समीप हैं। एक उनकी पटरानी सत्यभामा, दूसरा उनका सुदर्शन चक्र और तीसरा गरुड़। गरुड़ और सुदर्शन चक्र को अपनी ताकत और अपनी गति पर अभिमान था और उनकी पटरानी सत्यभामा को अपनी खूबसूरती पर।

भगवान कृष्ण ने हनुमान जी को द्वारका में आमंत्रित किया और द्वारका में आकर के हनुमान जी ने जैसे त्रेता युग में अशोक वाटिका का विध्वंस किया ऐसे द्वारका में भी आकर एक बगीचे का विध्वंस किया। उसको देखकर लोगों ने राजा कृष्ण से जाकर शिकायत की कि एक वानर ने पूरी बगिया उजाड़ दी। योगीराज कृष्ण ने उस समय सुदर्शन को भेजो कि जाओ उस वानर को भगाओ। यद्यपि अहंकार के कारण सुदर्शन कहने लगे कि प्रभु इतने छोटे काम के लिए आप मुझे भेज रहे हैं लेकिन अपने स्वामी की आज्ञा माननी पड़ी। वहां गए हनुमान जी ने उन्हें अपनी बगल में दबा के रखा हुआ था और वो तड़प रहे थे। शाम हो गई जब वापस नहीं आये तो गरुड़ को भेजा गया। गरुड़ भी संकोचवश मना करने लगे कि इतने छोटे काम के लिए मुझे क्यों भेजा जा रहा है। फिर भी वो अपने स्वामी को मना न कर पाए कि जब उन्होंने देखा कि हनुमान जी की बगल में सुदर्शन तड़प रहा है तो उन्होंने हनुमान जी को पहचान लिया और उन्हें प्रणाम किया और बोले चलो द्वारिकाधीश चलो वहां हम भगवान से आपकी मुलाकात कराएंगे। हनुमान जी बोले की आप चलो मैं आपको आपसे पहले वहां मिलूंगा। गरुड़ का अभिमान था कि मेरी तो गति मन की गति से भी तीव्र है। फिर भी उन्होंने काफी आग्रह किया पर हनुमान जी बोले आप चलो। जब गरुड़ और सुदर्शन द्वारिकाधीश कृष्ण के दरबार में पहुंचे। तो हनुमान जी वहां पहले से विराजमान थे। तो इस प्रकार उन्होंने सुदर्शन का अहंकार उन्हें बगल में दबाकर, गरुड़ का अहंकार उनकी गति के कारण खत्म किया। अब सत्यभामा की बारी है तो भगवान कृष्ण ने बोला कि हनुमान जी को दरबार में बुलाओ। हनुमान जी ने दरबार में आने से मना कर दिया कि मैं एक शर्त पर आऊंगा यदि भगवान कृष्ण के साथ मा सीता भी होंगी।तो सत्यभामा अपने आप को खूबसूरत बनाकर के सीता के रूप प्रकट हो गई और जब हनुमान जी आये तो उन्होंने कृष्ण भगवान से पूछा कि हे प्रभु माँ सीता कहाँ है। तब सत्यभामा बोली कि सीता मैं हूँ। हनुमान जी ने उत्तर दिया कि नहीं ये तो कोई दासी नजर आ रही है। यह सुनकर के सत्यभामा को बहुत ही शर्मिंदगी महसूस हुई और उसका भी अहंकार टूट गया। इस प्रकार कई उदाहरण देकर त्रेता युग और द्वापर युग सीकरी जी ने अध्यात्म के पुराने पन्नों और रहस्यों को खोला और सबका मन गदगद कर दिया।

पिछले सप्ताह तक 299 स्थानों पर 46,413 साधकों द्वारा 642,406 हनुमान चालीसा पाठ हो चुके हैं।

कल के पाठ में लगभग 200 भक्तों ने भाग लिया और सभी ने 21-21 बार पाठ किया। श्रीमती ज्योत्सना बजाज के ऑनलाइन हनुमान चालीसा के पाठ के आयोजन में 30 लोगों ने 11-11 बार पाठ किया। विजय टन्डन और श्री रणधीर टन्डन की फैक्ट्री के 62 कर्मचारियों ने 2-2 बार पाठ किया। इसके अतिरिक्त जामपुर शिव मंदिर ईस्ट ऑफ कैलाश में 40 साधकों ने 5-5 बार हनुमान चालीसा पाठ किया।

इस प्रकार अब तक 303 स्थानों पर 46,745 साधकों द्वारा 647,260 हनुमान चालीसा पाठ हो चुके हैं।

अगला हनुमान चालीसा का पाठ श्री प्रमोद सलूजा के माध्यम से गीता भवन न्यू कालोनी में होगा और इस मुहिम का विश्राम 21 जून को योग दिवस के दिन लेजर वैली में प्रातः 5:30 बजे स्वामी ज्ञानानंद जी की उपस्थिति में होगा।

इस अवसर पर डॉ.अलका शर्मा की गरिमामयी उपस्थिति, श्री सुरेंद्र खुल्लर और श्री उदयभान ग्रोवर आयोजक, अन्य सदस्यों में श्री केशव दास ग्रोवर, श्री धर्मेंद्र बजाज, श्री किशोरी लाल डुडेजा, श्री रमेश कामरा, श्री युधिष्ठिर अलमादी, श्री राधे श्याम, श्री एस.के. बरेजा, श्री रामलाल ग्रोवर, श्री अश्विनी वर्मा, श्री द्वारकानाथ मक्कड़, श्री वीरेंद्र आहूजा, श्री प्रमोद सलूजा, श्री राजेंद्र बजाज, श्री विजय वर्मा, श्री लीलू बुद्धिराजा, श्री राकेश गोस्वामी, श्री कमल शर्मा, श्री मनीष खुल्लर, श्री राजेश शर्मा, श्री रुपेश चौधरी, श्री राकेश खेत्रपाल, श्री बाबूलाल गुप्ता, श्री सुखदेव, श्री राजकुमार, श्री रमेश मुंजाल मौजूद रहे।

महिलाओं में ज्योत्सना बजाज, रचना बजाज, सिमरन बजाज, पुष्पा नासा, शशि बजाज, श्रीमती डॉक्टर वीणा अरोड़ा, श्रीमती सीमा, श्रीमती गीता मौजूद रहीं।

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