अति आत्म विश्वास ने किया भाजपा को कमजोर, बेतुके ब्यानों पर लगे लगाम भारत सारथी/ महेश कौशिक रोहतक – लोकसभा चुनाव में भाजपा की आशा के विपरीत परिणाम ने सबको चौका दिया है। स्वयं प्रधानमंत्री मोदी की जीत भी कई मायनों में प्रश्रचिन्ह खड़ा कर रही है। जिस उत्तर प्रदेश के सीएम योगी को आमजन भावी प्रधान मंत्री का चेहरा देख रहे थे उसी उत्तर प्रदेश ने भाजपा को बहुमत से दूर खड़ा करने का काम कर दिया। भाजपा के नेता चुनाव में कांग्रेस के हाथों की कठपुतली बनते नजर आये। चुनाव में यदि आप अपने कामों का बखान न करके विरोधी पक्ष की बातों का जबाब देने पर आ गये तो समझ लेना चाहिए कि आप विरोधी पक्ष की गिरफ्त में आ चुके है। राहूल गांधी के बयानों का जबाब स्वयं प्रधानमंत्री मोदी को देना पड़ा जिसमें उन्होंनें हिंदु वोटरों को साधने के लिए यह कहना पड़ा कि कांग्रेस हिंदुओं का हक छीनकर मुश£मानों को देना चाहती है। चुनाव में अनेक ऐसे ब्यान हुए जिनकी चुनाव में कोई जरूरत ही नही थी। राजनीति के शीर्ष पर बैठे नेता भी कई बार अपनी जुबान खोलते वक्त इस बात का कतई ध्यान नही रखते कि उनके द्वारा दिया गया ब्यान पार्टी को गर्त में भेज सकता है। पार्टी के वरिष्ठ नेता द्वारा आरएसएस संगठन को लेकर दिये गये ब्यान से नेताजी क्या साबित करना चाहते थे। भाजपा और आरएसएस की भूमिका के बारे में सबको ज्ञान है कि सभी सामाजिक मुद्दों को आरएसएस किस प्रकार हल करके भाजपा की सेहत के लिए कितना जरूरी है। अब बात प्रदेश की करे तो भाजपा की आधी सीटे होने व रोहतक में बड़ी हार के कारणों का ठीकरा भले ही किसी के सिर फूटे लेकिन इस हार का ठीकरा सबसे ज्यादा पूर्व मुख्यमंत्री खट्टर के सिर पर फूटना है क्योंकि प्रदेश का सारा चुनाव उन्होंनें अपने हिसाब से लड़ा है। भाजपा समर्थकों का मानना है कि जब पहले ही अंदेशा था कि फलां सीट हार रहे है तो क्यों न पार्टी के किसी कार्यकर्ता को चुनाव लड़वाया गया। भाजपा में भितरघात के आरोपों के बारे में भाजपाई लोगों का कहना है कि खट्टर ने सरकार को अफसरों के हवाले कर दिया जिसमें बड़े अफसर तो सम्मान पा रहे थे और छोटे कर्मचारी जनता के साथ साथ सरकार द्वारा अपमानित हो रहे थे। बुथ स्तर पर कार्यकर्ताओं का दंभ भरने वाली भाजपा भले ही कांग्रेस को बिना संगठन की पार्टी कहकर आत्ममुग्ध हो रही हो लेकिन धरातल पर चुनाव के समय भाजपा को अपने बुथ ऐजेंटों तक पसीना बहाना पड़ा और कटु सत्य यह भी रहा कि भाजपा के बुथ ऐजेंट बुथ ऐजेंट को मिलने वाली राशी और गाडिय़ों के तेल की पर्ची के लिए झगड़ते रहे। भाजपा खेमा हरियाणा में सभी सीटों की हार के लिए खट्टर को जिम्मेदार ठहरा रहा है। भाजपा के एक बड़े नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि खट्टर ने हरियाणा भाजपा को कांग्रेस बना दिया है। सिरसा सीट के साथ उन्होंनें सभी सीटों पर हर गांव के सरपंच को भाजपा के विरोध में लाकर खड़े करने का काम कर दिया और बबली जैसे नेता ऐन वक्त साथ छोड़ कर निकल गये। सरपंचों को राहत देने के साथ काबू रखनी चाहिए थी जुबान : हिसार सीट पर आदमपुर में ही भजनलाल को लेकर टिप्पणी करना दूसरा रणजीत चौटाला का ब्राह़मणों के खिलाफ टिप्पणी करना हिसार सीट को ले डूबा। सुभाष बराला के लिए कर दी सिरसा सीट कुर्बान: सुभाष बराला को राज्य सभा भेजने के बाद यह पूरे कयास लगाये जा रहे थे कि बबली अब भाजपा में आने के लिए तैयार है लेकिन सुभाष बराला की जिद्द का परिणाम कहा जायेगा कि बबली की राह में बराला सबसे बड़ा बाधक बना और जिसे मनोहर लाल ने सहज स्वीकार कर लिया। नही रखा अनिल विज का मान : भाजपा के कद़दावर नेता अनिल विज की छीछालेदर भी अंबाला सीट की हार का कारण बनी जिसे सहज रूप से समझा जा सकता है कि नायब सैनी के मंत्रिमंडल में विज को शामिल न करवाने की जिद्द भी मनोहर लाल की बताई जा रही है। केंद्र की सभी पोर्टल योजना हरियाणा में ही क्यू: केंद्र की सभी आनलाईन सेवाओं का अखाड़ा खट्टर ने हरियाणा को ही बना दिया। फसल से लेकर फैमली आईडी, पैंशन आदि सुविधा पोर्टलों के चलते असुविधा में बदल गई जिससे हरियाणा में भाजपा को पांच सीटों का नुक्सान हुआ। रोहतक सीट पर नही लड़ा गया रणनीति के तहत चुनाव: भाजपा ने रोहतक सीट को पिछले चार साल से ही हुड्डा परिवार को गिफ्ट में दे दिया था क्योंकि दीपेंद्र हुड्डा जैसे नेता को हराकर जिस प्रकार अरविंद शर्मा सांसद बने थे उनके कामों को न तो केंद्र में तव्वजों मिली और न ही मनोहर सरकार ने उनके लिए कुछ करने का प्रयास किया। सोनीपत में भी जीती बाजी मनोहर लाल के चेहतों ने हरवाई: मोहन लाल बड़ौली संघ की पाठशाला से निकले हुए प्रत्याशी थे और वो चुनाव आसानी से जीत सकते थे यदि गोहाना और गन्नोर में भितरघात नही होती और मोहन लाल बड़ौली की भितरघात करने वाले दोनों ही पूर्व मुख्यमंत्री की खासमखास रहे है। Post navigation हारे हुए हिम्मत न हारे , जीते हुए लड्डू खिलाये – जयहिंद रोहतक प्रशासन को जयहिंद का 24 घंटे का अल्टीमेटम