मनोहर लाल खट्टर की पोर्टलों से शहरी- ग्रामीणों मतदाताओं में जबरदस्त नाराजगी 

सभी जरूरी डॉक्यूमेंट्स अपडेट करने के लिए परिवार के एक सदस्य को लगना पड़ता है

अशोक कुमार कौशिक 

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा विभिन्न योजनाओं को लेकर शुरू किए गए डिजिटल पोर्टलों को लेकर हरियाणा के प्रदेशवासी काफी खफा है। ‘परिवार पहचान पत्र योजना’, प्रोप्रटी आईडी शहरी क्षेत्र व ग्रामीण क्षेत्र में लाल डोरा मुक्त भूमि स्वामित्व की योजना फायदा पहुंचाने के बजाय अब बीजेपी को परेशान कर रही है। 

इन स्कीम के तहत, हरियाणा में 54 लाख परिवारों को आठ अंकों का एक यूनिक आईडी नंबर मिलना था। सभी परिवारों के लिए परिवार पहचान पत्र पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य कर दिया गया था, इसके साथ पूरे प्रदेश के शहरी क्षेत्र में प्रॉपर्टी आईडी की शुरुआत की गई। साथ ही राज्य कर्मचारियों को चेतावनी दी गई थी कि अगर वे ऐसा करने में विफल रहे तो उनका वेतन रोका जा सकता है।

2020 में हरियाणा में भाजपा सरकार द्वारा लाई गयी महत्वाकांक्षी परिवार पहचान पत्र द्वारा सरकार की विभिन्न योजनाओं को इससे जोड़ा गया। बच्चों का स्कूल में या कॉलेज में दाखिला दिलाना हो या बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता लेना अथवा भूमि खरीदने में बेचने की बात हो या वृद्धावस्था पेंशन, राजस्व रिकॉर्ड आदि को परिवार पहचान पत्र से जोड़ा गया। खट्टर सरकार ने हाल ही में  60 साल से ऊपर के बुजुर्गों को आधा किराया माफी की घोषणा की उसे भी परिवार पहचान पत्र से जोड़ा गया। इसके बाद खट्टर सरकार ने गरीब परिवारों को प्रतिवर्ष 1000 किलोमीटर निशुल्क यात्रा के लिए स्मार्ट कार्ड बनाने की योजना की घोषणा की। जिसे भी परिवार पहचान पत्र से जोड़ा गया। सरकार ने बिल माफी योजना को भी परिवार पहचान पत्र से जोड़ा। इस तरह सारी योजनाओं को अनिवार्य किए जाने के बाद प्रदेशवासियों में परिवार पहचान पत्र दुरुस्त करवाने के लिए भाग दौड़ शुरू हो गई। 

परिवार पहचान पत्र में बहुत से लोगों ने अपने पूरे परिवार की एक ही आईडी बनवाई। इसमें परिवार की सालाना आय को बहुत अधिक दर्शाया गया। परिणामस्वरूप 3 लाख से ऊपर की आमदनी वाले बुजुर्ग को वृद्धावस्था सम्मान भत्ता पाने के लिए काफी भाग दौड़ करनी पड़ी। अनेक बुर्जुगों को वृद्धावस्था सम्मान भत्ते से वंचित होना पड़ा। 

जिला महेंद्रगढ़ के गांव कोटिया के अनूप को फैमिली आईडी में मृत दिखाया गया। अनूप ने अपना जिंदा होने को लेकर सीएम विंडो पर शिकायत लगाई। इसके साथ एडीसी नारनौल व अटेली के विधायक सीताराम तक गुहार लगाई, पर उनकी एक न सुनी गई। उन्हें जिस भी अधिकारी के पास मिलने को कहा जाता वह उसके यहां हाजिर हो जाते।

इसके साथ दो अन्य योजनाएं प्रोपर्टी आईडी शहरी क्षेत्र तथा ग्रामीण क्षेत्र में लाल डोरा मुक्त भूमि स्वामित्व योजना विवादास्पद मुद्दे है और अब विपक्षी कांग्रेस के मुख्य मुद्दों में से एक है। कांग्रेस ने शुरू से ही परिवार आईडी व प्रोपर्टी आईडी योजना का विरोध किया था और इसे ‘परमानेंट परेशानी पत्र’ करार दिया था। कांग्रेस ने इसे निजता के अधिकार का उल्लंघन बताया था। फैमिली आईडी कार्ड में अशुद्धि की कई शिकायतें भी सामने आयीं। जिसके बाद कांग्रेस पार्टी ने 2023 में वादा किया था कि अगर इस साल के अंत में विधानसभा चुनावों में कांग्रेस सत्ता में आई तो इस योजना को खत्म कर देगी।

पूर्व विधायक एवं कांग्रेसी नेता राधेश्याम शर्मा ने कार्ड के साथ होने वाली विभिन्न समस्याओं के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि एक कार्ड पाने के लिए 25 कॉलम भरने पड़ते हैं। शर्मा बातचीत के दौरान कहा, ‘सबसे पहला कॉलम आधार है। सुप्रीम कोर्ट के नौ न्यायाधीशों के फैसले में कहा गया कि आधार कार्ड अनिवार्य नहीं है। फैसले में कहा गया कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है। फिर राज्य मेरा आधार नंबर कैसे मांग सकता है? एक अन्य कॉलम में जाति पूछी गई है। सामाजिक सुरक्षा लाभ राज्य की संचित निधि से दिए जाते हैं, और इसके लिए लाभार्थी की जाति की जरूरत नहीं होती है। अगर सरकार जाति जनगणना चाहती है तो इसे उचित कानूनी प्रक्रियाओं के अनुसार किया जाना चाहिए।’ 

– स्थानीय लोगों को आईडी कार्ड अपडेट कराने में हो रही दिक्कत

कांटी गांव के लोग बातचीत के दौरान बताते हैं कि कैसे उन्हें अपने ‘परिवार पहचान पत्र’ में डिटेल ठीक कराने के लिए अनेकों बार सीएससी व कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते है। सुरेश कहते हैं, “फैमिली आईडी में मेरे तीन बच्चों में से दो की आय लाखों में बताई गई है।” फलस्वरुप मेरी बुढ़ापा पेंशन काट दी गई। फैमिली आईडी में इनकम को लेकर इसी गांव की कमलेश कहती हैं कि इसे ठीक कराने के लिए दफ्तरों के चक्कर लगाते-लगाते मेरी तीन-चार दिनों की कमाई बर्बाद हो गई।

खटोटी गांव के सुरेश कुमार ने कहा कि इससे पहले उन्हें अपनी फैमिली इनकम को 2 लाख रुपये से कम कराकर 1.4 लाख रुपये सालाना करने के लिए विभिन्न अधिकारियों से संपर्क करना पड़ता था। केवल वे परिवार जिनकी वार्षिक आय 1.8 लाख रुपये या उससे कम है वे राज्य में कई कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं, जैसे राशन डिपो से हर महीने 2 लीटर सरसों का तेल, चीनी व अनाज है। हालांकि, वह भाजपा समर्थक हैं।

क्या बढ़ा कांग्रेस के लिए सपोर्ट?

राधेश्याम शर्मा आगे कहते हैं, ”ऐसी समस्याओं ने हमारे क्षेत्र में कांग्रेस का सपोर्ट बढ़ाया है वरना यहां लोग भाजपा को थोक में वोट देते थे। भाजपा को अभी भी वोट मिलेंगे, लेकिन यह प्रधानमंत्री मोदी के कारण है न कि भाजपा की हरियाणा सरकार के तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के कारण।”

पूर्व सत्र न्यायाधीश एवं कांग्रेसी नेता राकेश यादव का कहना है कि फैमिली आईडी के कारण किसानों को भी परेशानी हो रही है। बातचीत के दौरान वह कहते हैं, “अगर किसी किसान को अपनी फसल के लिए 3 लाख रुपये का ऑनलाइन भुगतान मिलता है तो यह उसकी आय के रूप में दिखाई देता है। यह गलत है क्योंकि इसमें भारी इनपुट लागत को ध्यान में नहीं रखा गया है। इसी तरह, अगर कोई व्यक्ति किसी को 3 लाख रुपये का लोन चुकाता है तो यह उस व्यक्ति की आय के रूप में दर्ज किया जाता है।”

वह मजाक में कहते हैं, ”इसमें इतनी सारी औपचारिकताएं और वेब पोर्टल शामिल हैं कि सभी जरूरी डॉक्यूमेंट्स अपडेट करने के लिए परिवार के एक सदस्य को लगना पड़ता है।” आज स्थिति यह होगी है कि हरियाणा के हर परिवार के एक सदस्य को अपने दस्तावेजों को अपडेट करने के लिए भाग दौड़ करनी पड़ रही है जिसमें समय और पैसा बर्बाद होने के साथ परेशानी का सामना भी करना पड़ रहा है।

– सरकार लगातार सुधार कर रही- बीजेपी

वहीं, दूसरी ओर हरियाणा के तत्कालीन सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री ओम प्रकाश यादव का कहना है कि हर नई योजना में शुरुआती समस्याएं होती हैं और सरकार इसमें लगातार सुधार कर रही है। उन्होंने स्वीकार किया कि पोर्टल की वजह से कुछ समस्याएं अवश्य आ रही है। उन्होंने बातचीत के दौरान कहा, “कांग्रेस इसे मुद्दा बना रही है क्योंकि वह नहीं चाहती कि भ्रष्टाचार खत्म हो।”

उन्होंने विपक्ष पर चीजों को काले चश्मे से देखने का आरोप लगाया। अगस्त 2023 में राज्य विधानसभा में एक भाषण में तत्कालीन सीएम ने कहा था कि आधार को बड़े पैमाने पर पहुंच बनाने और योजनाओं के साथ इंटीग्रेट करने में छह साल से अधिक का समय लगा जबकि उनकी सरकार के परिवार पहचान पत्र ने केवल दो सालों में ऐसा किया था। उन्होंने कहा, “इस योजना का उद्देश्य कल्याणकारी योजनाओं तक पहुंच को आसान बनाना है और हमने इसके तहत पहले ही कई चीजें लागू कर दी हैं। अब वापस नहीं जाना है।”

– परिवार पहचान पत्र के स्टेट को- ऑर्डिनेटर ने कहा था सीएससी वाले अनट्रेंड , आय वेरिफिकेशन भी हुआ गलत 

परिवार पहचान पत्र के स्टेट को  – ऑर्डिनेटर सतीश खोला ने एक प्रोग्राम में मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि कॉमन सर्विस सेंटर के संचालक अनट्रेंड है और फीस भी मनमानी लेते है। किसी भी नागरिक को सीएससी केंद्रों पर जाने की जरूरत नही है। आप अपने घर बैठे सिटीजन लॉगिन से परिवार पहचान पत्र में करेक्शन कर सकते है।  

इसके बाद जिला महेंद्रगढ़ में सीएससी संचालकों में हड़कंप सा मच गया था। उन्होंने सतीश खोला पर ही आरोप लगाने शुरू कर दिए थे। सीएससी संचालकों ने कहा कि नागरिकों की आय वेरिफिकेशन हमसे करवाई गई । इसका मतलब साफ साफ हो गया कि आय वेरिफिकेशन गलत हुई । सरकार को दोबारा से आय वेरिफिकेशन करवानी चाहिए। परिवार पहचान पत्र भी हमने बनाए है जो कि सभी गलत है। परिवार पहचान पत्र भी सरकार को सभी नागरिकों के दोबारा से बनवाना चाहिए। 

हिसार में परिवार पहचान पत्र से छेड़छाड़ गैंग का हुआ था खुलासा

– परिवार पहचान पत्र में मुख्यालय वाले बदलाव कॉमन सर्विस सेंटर में करते मिले थे

– दो से तीन हजार रुपए में फैमिली आईडी से छेड़छाड़ की गई 

हरियाणा के हिसार में परिवार पहचान पत्र से छेड़छाड़ करने वाले कॉमन सर्विस सेंटर संचालकों का एक गिरोह का पर्दाफाश हुआ था। आरोपी इसके बदले में दो हजार से 3000 रुपए तक लेते थे। हिसार एडीसी नीरज कुमार ने इस मामले की जांच की थी। इसके बाद पुलिस ने 7 आरोपियों के खिलाफ आईटी एक्ट सहित दस अलग-अलग धाराओं के तहत केस दर्ज किया है। आरोपियों में अमित कुमार, सुनील कुमार, प्रदीप श्योराण, अमित, सोनू, जगदीश व सुरेंद्र शामिल है। गिरोह के 7 सदस्यों में से चार उकलाना, एक नारनौंद और 2 लोग फतेहाबाद के रहने वाले हैं।

एडीसी नीरज ने पुलिस को भेजी शिकायत में बताया कि परिवार पहचान पत्र में हरियाणा सरकार ने कुछ गतिविधियां प्रतिबंधित की है। इसका निपटारा मुख्यालय द्वारा ही किया जाता है । जिसमें कि बैंक अकाउंट अपडेशन, व्यवसाय बदलना, रिहायश बदलना व फैमिली आईडी में परिवार को विभाजित करना शामिल है। मगर पिछले कुछ समय से उकलाना में सीएससी ऑपरेटर अमित कुमार विभाग द्वारा प्रतिबंधित माडल से छेड़छाड़ कर रहा था। इन गतिविधियों में कई सीएससी संचालक भी शामिल है।

मामले सामने आने के बाद इसकी जांच की गई। जांच में कुछ फैमिली आईडी की जांच की गई। जैसे कि अमित कुमार ने श्रुति देवी का व्यवसाय कंस्ट्रक्शन वर्क किया। इसी फैमिली आईडी को विभाजित किया गया। जब एक व्यक्ति अशोक कुमार की फैमिली आईडी जांच कर उनसे पूछताछ की गई तो उसने बताया कि अमित कुमार ने कंस्ट्रक्शन वर्क के लिए तीन हजार तथा फैमिली आईडी को विभाजित करने के लिए 2000 रुपए लिए थे।

अतिरिक्त उपायुक्त ने अपनी जांच में अमित कुमार से पूछताछ की तो उसने बताया गया कि परिवार पहचान पत्र में व्यवसाय बदलने का कार्य प्रभु वाला का सीएससी संचालक सुनील कुमार, प्रदीप सहारण, अमित बरवाला और सोनू नारनौंद द्वारा किया जाता है । अमित बरवाला से लेबर कापी का कार्य सोनू नाम से आईडी का कार्य और प्रदीप श्योराण से कंट्रक्शन वर्क का कार्य करवाता था। फैमिली आईडी में अलग करने बदले का कार्य जगदीश समैन से भी करवाता था।

सीएससी संचालक अमित खुद बरवाला को लेबर काफी अप्रूव करवाने के बदले में 15 सौ रुपए देता था। जबकि लोगों से फैमिली आईडी अलग करवाने के लिए 1800 रुपए लेता था। और वह 15 सौ रुपए आगे देता था। फैमिली आईडी में मेंबर को डिलीट करने के लिए वह लोगों से 700 रुपए लेता था और आगे 500 रुपए देता था।

अमित द्वारा किए गए परिवार पहचान पत्रों में से छेड़छाड़ कर क्रिड विभाग चंडीगढ़ मुख्यालय के अधिकारी अरुण महेंद्रू ने जांच की तो पता चला कि कुछ परिवार पहचान पत्र में सुरेंद्र निवासी फतेहाबाद व सुनील कुमार निवासी प्रभुवाला द्वारा संशोधन किया जा रहा था।

– शहरी प्रॉपर्टी आईडी में बड़ा घालमेल

मनोहर लाल खट्टर सरकार द्वारा पूरे प्रदेश में शहरी प्रॉपर्टी आईडी की एक नई योजना चलाई गई आईडी बनाने का ठेका गुजरात की एक कंपनी को दिया गया था। जिसके ऊपर प्रदेश भर से शिकायत मिली कि कंपनी ने मनमानी तरीके से बिना वेरिफिकेशन किए किसी की जमीन किसी दूसरे के नाम चढ़ा दी और जमीन का स्थान भी बदल दिया। इसको लेकर प्रदेश भर में काफी शोर मचा। बाद में सरकार ने पोर्टल पर इसे संशोधित करने का वादा किया, पर आज की समस्या जस की तस है। विशेष संशोधित करवाने में नारनौल नगर परिषद व वहां कार्य कर्मचारी काफी भी चर्चा के घेरे में रहे। संशोधित करने के लिए प्रदेश भर में भारी पैसों का खेल खेला गया।

लाल डोरा मुक्त भूमि स्वामित्व योजना 

तत्कालीन मनोहर लाल खट्टर सरकार ने ग्रामीण क्षेत्र में लाल डोरा में पड़ने वाली जमीन स्वामित्व योजना चलाई। इस योजना को जिला महेंद्रगढ़ में पंचायत के ग्राम सचिव को सिरे चढ़ाने का जिम्मा दिया गया जिसका उन्हें बिल्कुल भी अनुभव नही था। पुरानी संपत्तियों में संपत्ति के अनेक हकदार हो गए जो गांव को छोड़कर शहरों में जाकर बस गए। फलस्वरूप मनमाने तरीके से मालिकाना हक चढ़ाया गया।

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