5 वर्षीय चुनावी वादे की फसल उम्मीदवार की किस्मत पांच साल में एक बार ही आता है चुनाव मानसून फतह सिंह उजाला गुरुग्राम । जी हां यह चुनावी मानसून है और 5 वर्ष में एक बार ही आता है । इस चुनावी मानसून की भी अपनी अलग अलग खासियत है । इस चुनावी मानसून का अधिकतम समय निकल चुका है कुछ ही समय अब बाकी बचा है । चुनावी मानसून के बाद वोट की फसल के लिए विभिन्न प्रकार के अलग-अलग पॉलिटिकल पार्टियों और उनके नेताओं सहित चुनाव के उम्मीदवारों के द्वारा वादे किए जाते हैं । इन वादों को 5 वर्षीय वादे कहना अधिक उचित होगा। क्योंकि ऐसा मौका फिर 5 वर्ष के बाद ही उपलब्ध हो सकेगा। कुछ वादे अथवा घोषणाएं ऐसी भी होती हैं, जिनको की दीर्घकालिक घोषणाएं कहना अधिक बेहतर रहेगा। क्योंकि इस प्रकार की घोषणाओं को पूरा होने में ही कई-कई पंचवर्षीय मानसून का समय बीत जाता है । इस बात का भी कोई भरोसा या गारंटी नहीं रहती, जिनके द्वारा वादे या दावे किए गए हो वह चुनावी मानसून में अपनी नाव को पार लगा ले। चुनावी मानसून 2024 में गुड़गांव संसदीय क्षेत्र की चर्चा की जाए तो यहां भी पिछले दो चुनाव में किए गए वायदे अब चुनावी घोषणाएं का रूप ले चुके हैं। चुनावी मानसून के पारखी लोगों का कहना है कि वादे पूरा किया जाने के लिए होते हैं और घोषणाएं प्रोजेक्ट को याद करने और कराने के लिए होती हैं। 10 वर्ष पहले चुनावी मानसून में कमल का फूल खिलने से पहले दुनिया की तीसरी और भारत की पहली डिफेंस यूनिवर्सिटी पटौदी क्षेत्र के गांव बिनोला में बनाने का शिलान्यास किया गया । लेकिन यह एक दीर्घकालिक परियोजना की घोषणा बन कर रह गया। निर्माण में विलंब के ठोस कारण सामने नहीं आ पा रहे हैं । दिल्ली जयपुर नेशनल हाईवे पर हरियाणा के खजाने में सबसे अधिक राजस्व देने वाले जिला गुरुग्राम की सीमा में खेड़की दौला टोल प्लाजा को शिफ्ट किया जाने का वादा भी अभी वादा ही बना हुआ है। पिछड़ा इलाका कहे जाने वाले मेवात में वहां के निवासियों के कान रेल के इंजन की सीट सुनने के लिए चुनावी मानसून आते ही खड़े हो जाते हैं। इसी प्रकार से जिला गुरुग्राम के दूसरे और हरियाणा के 11 नगर निगम घोषित किए गए मानेसर क्षेत्र में यहां के विभिन्न गांव की 1810 एकड़ और 1180 एकड़ जमीन की समस्या का समाधान नहीं होना भी अब समाधान किया जाने की घोषणा अधिक महसूस किया जाने लगा है। सबसे अधिक टैक्स का भुगतान करने वाले जिला गुड़गांव की बात करें तो शहर के मध्य में बना हुआ बस अड्डा अपने नव निर्माण या पुनर्निर्माण का पिछले लगभग 10 वर्ष से इंतजार कर रहा है । बस अड्डे के ढांचे को असुरक्षित घोषित किया जा चुका है । यहां से कुछ ही दूरी पर नागरिक अस्पताल भी अपने पैरों पर मजबूती से खड़ा होने के लिए छटपटा रहा है । गुड़गांव संसदीय क्षेत्र के ही बावल निर्वाचन क्षेत्र तक आरआरटीएस प्रोजेक्ट भी चुनावी मानसून की पाइपलाइन में कहा जा सकता है। चुनावी मानसून के दौरान दिल्ली से चंडीगढ़ तक दौड़ता सरकार का डबल इंजन भी पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट की बेंच अथवा पीठ को दक्षिणी हरियाणा की लाइन पर लाने में नाकाम रहा। ऐसे और बहुत से वादे हैं जो की चुनावी मानसून में तैरते हुए घोषणाओं में बदलते चले गए। Post navigation डीएचबीवीएन में बिजली आपूर्ति रहेगी सुचारू ….. भाजपा की गारंटियां केवल झूठ बोलने की गांरटी – संजय सिंह