भूपेंद्र हुड्डा साहब हलवा नही बुंदी बनवाना ताकि सत्ता का प्रसाद गरीबों को मिल सके ………

मंच पर आसीन हुड्डा के सामने ही समर्थक ने मंच से लगा दिया चुनिंदा लोगों के काम होने का आरोप

गरीब तो उस हलवे के ठंडे होने यानि विकास के होने का इंतजार करते रहे लेकिन आप के कुछ ठेकेदार उस हलवे को हलवे के पतीले समेत उठा ले गये और बाकी देखते रह गये

भारत सारथी/ऋषिप्रकाश कौशिक

रोहतक लोकसभा में दीपेंद्र हुड्डा को हार जीत का आंकलन करने वाले आखिरी में यही बात कहते है कि लोगों ने शुरू में रोहतक की चौधर के नाम पर हुड्डा को मुख्यमंत्री बनाया था लेकिन हुड्डा ने गांव में दो-दो चार-चार लोगों का गिरोह बना कर उनको ही गांव का ठेकेदार बनाने का काम कर दिया था। अब इन ठेकेदारों ने नौकरियों और बदली करवाने में जो माल कमाया उससे जनता को क्या मिला जिसके चलते अब भूपेंद्र सिंह हुड्डा का जादू धीरे धीरे खत्म होता जा रहा है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ प्रदेश की जनता ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा परिवार को नकारने का काम कर दिया था और वैसे भी जब 2016 के जाट आरक्षण के बाद हरियाणा की राजनीति ने एक नई करवट लेने का काम किया उससे कांग्रेस की वापसी होना मुश्किल लगने लगी है। लोकसभा चुनाव में जिस प्रकार भूपेंद्र सिंह हुड्डा और दीपेंद्र हुड्डा हलके की जनता को पिछले चुनाव की हार का उलाहना दे रहे है उससे कई बार तो लोग चुप रह जाते है लेकिन कुछ निष्ठावान कार्यकर्ता ऐसे भी होते है कि वो उनकी निष्ठा पर जब कोई प्रश्र चिन्ह लगाता है तो वो खुलकर उस बात का जबाब भी देना चाहते है।

थोड़े दिन पहले रोहतक में आयोजित ब्राह्मण मिलन समारोह जिसमें मुख्य अतिथी दीपेंद्र हुड्डा थे तो मंच से बोला गया कि ब्राह्मणों ने आशीर्वाद कम दिया गया जिसके कारण दीपेंद्र हुड्डा की हार हुई थी अबकी बार आशीर्वाद देना। मंच से इस प्रकार की ब्यानबाजी के चलते ही कांग्रेस के एक समर्थक ने दीपेंद्र हुड्डा के सामने ही यह बोल दिया कि दीपेंद्र हुड्डा को ब्राह्मणों ने नही हराया, दीपेंद्र को हराया दीपेंद्र के ठेकेदारों ने जिन्होंनें कांग्रेस के समय ब्राह्मणों के जायज काम भी नही होने दिये और उन्होंनें ब्राह्मणों के साथ भेदभाव का काम किया। समर्थक ने सीधा आरोप लगा दिया कि ब्राह्मणों के बच्चे योग्य होने पर उनका नाम काटा गया और और आपकी जाति के अयोग्य भी लगे है। ऐसे में ब्राह्मण वर्ग कब तक आपकी जुतियां उठाने का काम करेगा।

वहीं अभी एक गांव में भूपेंद्र सिंह हुड्डा जनसभा के दौरान मंच पर आसीन थे तो उनका एक समर्थक मंच से बोलता है कि हुड्डा जी अबकी बार हलवा नही बूंदी बनवा लेना ताकि प्रसाद गरीबों में बंट सके। समर्थक ने सीधा बोलते हुए कहा कि हुड्डा जी जब पहली बार मुख्यमंत्री बने तो उन्होंनें कहा था कि तुम्हे सत्ता का हलवा मिला है इसको ठंड़ा करके खाना। समर्थक ने मंच से हुड्डा के समक्ष कहा कि आम जन और गरीब तो उस हलवे के ठंडे होने यानि विकास के होने का इंतजार करते रहे लेकिन आप के कुछ ठेकेदार उस हलवे को हलवे के पतीले समेत उठा ले गये और बाकी देखते रह गये। हुड्डा जी के हलवे वाली परात पर चुनिंदा लोगों का आधिपत्य होने के कारण आमजन विकास के मामले में पिछड़ गया। स्पष्ट शब्दों में कहा जाये तो हलवे के पतीले में सरकारी नौकरी, ठेके, नौकरयिों के तबादले, और गांवों में विकास कार्यो के लिए बजट भरा था और पतीले को ले जाने वाले लोग ही इन सब कामों के ठेकेदार बन गये और कांग्रेस में एक वर्ग विशेष का ही फायदा हुआ है।

दीपेंद्र और भूपेंद्र के चुनाव की सबसे बड़ी कमजोर कड़ी उनके समर्थक ये कुछ ठेकेदार है जिन्होंनें समाज में स्पष्ट संदेश देने का काम किया हुआ है यदि कांग्रेस की प्रदेश में सत्ता आती है तो फिर एक बार उनकी चांदी कटने वाली है और गांव देहात में इस प्रकार के लोगों को पसंद नही किया जाता। ये ठेकेदार समर्थक एक बार दीपेंद्र हुड्डा के लिए परेशानी का सबब तो नही बन जायेगें।

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