रामचरितमानस में सबसे उत्तम अध्याय है सुंदरकांड – बोधराज सीकरी।

गुरुग्राम। बोधराज सीकरी द्वारा चलायी गई पंद्रह माह पूर्व हनुमान चालीसा पाठ की मुहिम के तहत कल दिनांक 7 मई मंगलवार के दिन ग्रीनवुड सोसायटी गुरुग्राम में वहाँ के निवासियों ने हनुमान चालीसा पाठ के साथ-साथ सुंदरकांड पाठ का भी आयोजन करवाया। पंडित भीम दत्त ने पहले विधिवत पूजा करवायी और उसके उपरांत शंखनाद कर श्री गजेंद्र गोसाई ने मंगलाचरण के साथ सुंदरकांड का शुभारंभ किया। लय ताल संगीत की धुन में लगभग डेढ़ घंटे में सुन्दरकांड पाठ करके हनुमान चालीसा पाठ प्रारंभ किया। लगभग 200 लोगों ने 1600 बार पाठ कर प्रभु के चरणों में अपनी-अपनी हाज़िरी लगायी। हर आयु का वर्ग चाहे बुजुर्ग हो, चाहे जवान हो और चाहे बच्चे हों, सभी की संख्या सराहनीय थी। आयोजकों द्वारा सुंदर राम दरबार लगाया गया था और बैठने की सुव्यवस्था थी।

हनुमान चालीसा पाठ के बाद श्री बोधराज सीकरी ने अत्यंत ही रोचक कथा सुनाई की सात कांड में इस कांड का नाम सुंदर क्यों रखा गया। उन्होंने बताया कि लंका तीन पर्वतों की श्रृंखला पर बसी हुई थी। एक पर्वत था सुबेल जहाँ राम रावण का युद्ध हुआ था, दूसरा पर्वत था नील जहाँ राक्षसों के महल थे और तीसरा पर्वत था सुंदर पर्वत जहाँ अशोक वाटिका थी और जहाँ रावण ने माँ सीता को रखा हुआ था। आगे बोधराज सीकरी ने बताया कि सुंदर कांड में 24 बार सुंदर शब्द आता है और किशीकंधा कांड तक राम की चर्चा है और सुंदर कांड में उनके अनन्य भक्त हनुमान की चर्चा है। लंकिनी राक्षसी का उद्धार, माँ सीता की सुधि, विभीषण से भेंट, लंका दहन, अक्षय कुमार का वध, वायु मार्ग में उनका लंका में प्रवेश, यह सारे सुंदर कार्य हनुमान जी ने सुंदर कांड में किए। इसलिए इसका नाम सुंदर कांड रखा गया। बालकांड, अयोध्या कांड, अरण्य कांड, किशीकंधा कांड, लंका कांड और उत्तर कांड में भगवान राम की चर्चा है और सुंदरकांड में मेरे प्यारे हनुमान की गाथा का वर्णन है। बोध राज सीकरी ने बताया कि रामचरितमानस पूर्ण ग्रंथ है जिसके ईश्वर में निराकार और साकार दोनों रूप का वर्णन है। इसके अतिरिक्त बोध राज सीकरी ने वहाँ बैठे युवा वर्ग को रामायण के प्रथम शब्द और अंतिम शब्द की व्याख्या, गीता के प्रथम शब्द और अंतिम शब्द की व्याख्या, हनुमान चालीसा के प्रथम शब्द और अंतिम शब्द की व्याख्या और गुरु ग्रंथ साहिब के प्रथम शब्द और अंतिम शब्द की व्याख्या आध्यात्मिक दृष्टिकोण से बतायी जो अचंभित करने वाली थी। उनके कथानुसार हनुमान चालीसा या रामायण मात्र पढ़ने के लिए ग्रंथ नहीं है, इनका स्वाध्याय करने के बाद इनकी समीक्षा करनी चाहिए, उसके बाद उनका मंथन करना चाहिए जो मन से होता है, उसके उपरांत उनका चिंतन करना चाहिए जो चित्त से होता है और चित्त की अवस्था मन से भी गहरी होती है, तब जाकर हम ग्रंथों की गहराई समझ सकते हैं। हीरा मोती पाने के लिए समुद्र की गहराई में जाना पड़ता है क्योंकि ये ऊपरी तह पर नहीं मिलते।

पिछले सप्ताह तक 275 स्थानों पर 44,769 साधकों द्वारा 621,866 हनुमान चालीसा पाठ हो चुके हैं।

कल के पाठ में लगभग 200 भक्तों ने भाग लिया और सभी ने 1600 बार पाठ किया। श्रीमती ज्योत्सना बजाज के ऑनलाइन हनुमान चालीसा के पाठ के आयोजन में 17 लोगों ने 11-11 बार पाठ किया। विजय टन्डन और श्री रणधीर टन्डन की फैक्ट्री के 64 कर्मचारियों ने 2-2 बार पाठ किया। जनता रिहैबिलिटेशन सेंटर में 40 विद्यार्थियों ने 21-21 बार पाठ किया। इसके अतिरिक्त जामपुर शिव मंदिर ईस्ट ऑफ कैलाश में 50 साधकों ने 5-5 बार हनुमान चालीसा पाठ किया।

इस प्रकार अब तक 280 स्थानों पर 45,140 साधकों द्वारा 624,871 हनुमान चालीसा पाठ हो चुके हैं।

अगला हनुमान चालीसा पाठ अगले मंगलवार 14 मई को भारत विकास परिषद, लाल बहादुर शास्त्री शाखा द्वारा नवआँध्रा स्कूल नज़दीक संस्कृति स्कूल सी ब्लॉक सुशांत लोक में आयोजित किया जाएगा।

कार्यक्रम में डॉक्टर अलका शर्मा सह संयोजिका माँ वैष्णोदेवी दरबार गढ़ी हरसरु ज्योतिषाचार्य व वास्तुकार की गरिमामयी उपस्थिति रही।

यजमान में योगेश जी, उनके अन्य साथी एडवोकेट तोशिबा शर्मा, परवीन चंद्रा विशिष्ट, कुलदीप यादव, परमोद यादव, दिनेश नागपाल, नरेश कालिया, सुरेश शर्मा, दिनेश ठाकरान, तनुश्री कालिया, मोनिका मेहता, रेखा सिंहल, मीनू जैन, सुनील सिंहल मौजूद रहे।

इसके अतिरिक्त राकेश खेत्रपाल, प्रमोद यादव, रमेश कामरा, राजेंद्र बजाज युधिष्ठिर अलमादी, राकेश गोसाई, रचना बजाज, सिमरन बजाज उपस्थित रहे।

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