भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। वर्तमान में हमारे देश में सनातन धर्म, भगवान राम आदि की अत्याधिक चर्चा हो रही है और अधिकांश लोगों का कहना है कि चर्चा के पीछे वर्तमान में लोकसभा चुनाव हैं।

बहुत मनन करने के बाद भी कहीं मन स्थिर होकर कोई जवाब नहीं ढूंढ सका। याद आई किसी जमाने की फिल्मी पंक्तियां— देते हैं भगवान को धोखा, इंसां को क्या छोड़ेंगे।

वर्तमान में देखें तो मंदिर बनाना भी एक व्यवसाय बन चुका है। हमारे देश में कहा जाता है कि 33 करोड़ देवी-देवता हैं लेकिन नाम शायद कोई नहीं बता पाएगा। उनके सिद्धांत, नियम क्या हैं, यह भी कोई नहीं बता पाएगा, यह मेरा मानना है।

आज भाजपा के राष्ट्रीय सचिव दिल्ली के प्रभारी ओमप्रकाश धनखड़ का ब्यान आया कि सनातनी विचारधारा धमकी से ना झुकेगी, ना डरेगी तो मैं धनखड़ जी से पूछना चाहूंगा कि क्या आप जानते हैं सनातनी विचारधारा क्या है, सनातनी क्या हैं? यदि हिम्मत हो बताने की तो किसी दिन फोन कर देना। कैमरा लेकर हाजिर हो जाउंगा। जहां तक मेरा अपना विचार है, आपको सनातनी तो क्या हिंदू धर्म का भी ज्ञान नहीं होगा, क्योंकि आपके आचरण से ऐसा कभी लगता नहीं कि आपको हिंदू धर्म का पूर्ण ज्ञान है। फिर इससे बड़ी बात भगवान राम जिनके आप निरंतर भक्त होने का दावा करते हैं, तो क्या आपने राम के जीवन को अच्छी तरह से मनन कर आत्मसाम क्या है? मेरे विचार से नहीं किया, क्योंकि यदि किया होता तो आपके क्रियाकलापों में कहीं भगवान राम के बनाए आदर्शों का समावेश होता।

यह बात एक अकेले धनखड़ जी की नहीं है। अधिकांश भाजपाई इसी प्रकार की बातें करते हैं। धनखड़ जी का नाम मैंने इसलिए लिया, क्योंकि धनखड़ जी ने आज प्रेस नोट जारी किया कि झज्जर की चेयरपर्सन नीलम अहलावत को जान से मारने की धमकी मिली है। वह भी विदेश से और इसलिए कि वह सनातन धर्म का प्रचार कर रही थीं। तो प्रथम बात तो यह है कि सनातन धर्म क्या है, यही समझा दें, प्रचार तो तब करेंगे, जब ज्ञान होगा। दूसरी बात धनखड़ जी सरकार आपकी है, केंद्रीय गृह मंत्रालय आपका है, हरियाणा सरकार आपकी है तो यह जो धमकी आई है, इन अवांछित तत्वों को पकडऩे का काम भी आपकी ही सरकार का हुआ ना? तो हिंदू धर्म सामाजिक सद्भाव को सबसे ऊपर रखता है। आप इन धमकी देने वालों को पकडऩे के लिए पुलिस ने क्या-क्या कार्य किए, कहां तक पहुंचे यह बताने की बजाय केवल सनातन धर्म का नाम लेकर सद्भाव पर प्रभाव डालने का प्रयास तो नहीं कर रहे?

अब बात करें भगवान राम की। जहां तक मैं जानता हूं भगवान राम की आदि रामायण वाल्मीकि रामायण जो महर्षि वाल्मीकि ने रचित की थी। जो उस समय भी जिंदा थे और वर्तमान में जो रामायण हम पढ़ते हैं, उसे रामचरित मानस कहते हैं, जिसमें राम के चरित्र को उजागर किया गया है और उन्हें एक आदर्श पुरूष के रूप में प्रस्तुत किया गया है। जो वह वास्तव में हैं भी लेकिन यह तुलसीदास के शब्दों में है। तो रामचरित मानस के अनुसार झूठ बोलना पाप है, परनिंदा पाप है, स्वर्गवासी व्यक्ति की निंदा करना महापाप है, वैमनस्य चलाना अनुचि है। सबका सम्मान करना चाहिए।

अगर आदर्शों पर जाएं तो मैं एक ही बात कहना चाहूंगा कि भाजपाई जो खुद को राम भक्त कहते हैं, अपने भाषण से पहले कहें कि राम की सौगंध खाकर कहते हैं कि हम सत्य बोलेंगे।

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