खुद रिश्तेदार भी विरोध में है तो विरोधी तो मौका ढूंढ ही रहे थे

ऋषिप्रकाश कौशिक/ गुरूग्राम

अपने अहम को साबित करने के लिए हरियाणा में हुड्डा ही संगठन है और हुड्डा ही कांग्रेस की धारणा लेकर चल रहे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कांग्रेस के सभी नेताओं के सामने ऐसी परिस्थिती ला दी है कि या तो वो भूपेंद्र सिंह हुड्डा का नेतृत्व स्वीकार करे या फिर कांग्रेस में उनको खुड्डे लाईन लगा दिया जायेगा। कांग्रेस ने बिना संगठन के दो चुनाव लड़ चुकी है और बिना संगठन के कांग्रेस को इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ रहा है लेकिन भूपेंद्र हुड्डा की संगठन में कब्जा करने की मंसा ही संगठन को बनाने में सबसे बड़ा रोड़ा है जिसके चलते कांग्रेस दो गुटों में बंट चुकी है। कांग्रेस के इन दोनों गुटों में एक तरफ भूपेंद्र सिंह हुड्डा, प्रदेश अध्यक्ष उदयभान सरीखे लोग है तो दूसरी तरफ किरण चौधरी, कुमारी सैलजा व रणदीप सुरजेवाला है। प्रदेश की सभी सीटों पर कांग्रेस के लोगों द्वारा ही कांग्रेस को हरवाने के लिए जो षडयंत्र रचा जा रहा है वो है कांग्रेस की गुटबाजी का परिणाम। प्रदेश की एक सीट ही ऐसी है जहां पर हुड्डा के विरोधी पक्ष की कुमारी सैलजा चुनाव लड़ रही है बाकी नौ सीटों पर हुड्डा के समर्थक ही चुनाव लड़ रहे है यानि बाकी आठ सीटों के उम्मीदवारों पर हाईकमान ने हुड्डा की सिफारिस पर मोहर लगाने का काम किया है।

यदि हम इन सीटों पर सिलसिलेवार बात करे तो फरीदाबाद की सीट पर पहले हुड्डा ने अपने रिश्तेदार करण दलाल को टिकट का आश्वासन दिया था लेकिन यहां टिकट देने की बारी आई तो महेंद्र सिंह प्रताप को टिकट दे दिया और करण सिंह दलाल को विरोध में खड़ा होने के लिए मजबूर कर दिया है। वहीं दूसरी टिकट गुरूग्राम की जहां से फिल्म अभिनेता राज बब्बर को टिकट देकर उन्होंनें अहीर वोटों की नाराजगी को मोल लेते है कैप्टन अजय यादव को भी विरोध में लाने का काम किया है। जिससे गुरूग्राम सीट पर राज बब्बर की मुश्किलें बढऩी तय हो गई है। चालीस साल से भिवानी की राजनीति कर रहे बंसीलाल परिवार दो टिकट ही ले रहा था कांग्रेस से श्रुति चौधरी के लिए सांसद और किरण की विधायक की। अब श्रुति चौधरी की टिकट कटवा कर हुड्डा ने बंसीलाल परिवार को फिर एक बार दोराहे पर खड़ा करने का काम कर दिया है। बंसीलाल का यह परिवार यदि महज विधायक बनने के लिए तो कांग्रेस पार्टी में नही है। राव दान सिंह के टिकट मिलने पर यह परिवार भी खुले मन से दान सिंह की मदद करने को तैयार नही है यहां तक की कांग्रेस उम्मीदवार राव दान सिंह के नामांकन में किरण चौधरी ने दूरी बनाएं रखी।

वहीं हिसार में बांगर वाले चौधरी के साथ भाई-चारा बताकर पहले तो हुड्डा ने उनको कांग्रेस में इन्ट्री करवा दी और बाद में उनकी टिकट पर कैंची चलवाने का काम कर दिया और अपने खास समर्थक जयप्रकाश को टिकट दिलवाने का काम कर दिया। अब बिरेंद्र सिंह और उसका बेटा भी कांग्रेस प्रत्याशी की किस प्रकार मदद करेगे यह बात भी देखने वाली होगी। अब कुरूक्षेत्र से गठबंधन के प्रत्याशी सुशील गुप्ता भी हुड्डा खेमे मे आने से रणदीप सुरजेवाला भी गुप्ता के प्रचार आयोजनों से दूरी बनाये हुए है। सार यह है कि हरियाणा की ये पांच सीटें तो सीधे ही कांग्रेस की गुटबाजी के शिकार के चलते फंसती नजर आ रही है वहीं इस विरोधी गुट के समर्थक रोहतक व सोनीपत सीट पर हुड्डा के प्रति अपनी कुंठा निकालने का काम कर सकते है। कांग्रेस के पास भाजपा विरोधी वोटों को हथिया कर अपने प्रत्याशियों को जिताने का एक अच्छा मौका है लेकिन गुटबाजी का शिकार हुई कांग्रेस फिर 2019 का इतिहास दोहराने के मुहाने पर खड़ी है।

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