जुर्माना राशि पर 24 प्रतिशत ब्याज दर से भुगतान करने का बिजली निगम को दिया आदेश

गुडग़ांव, 24 अप्रैल (अशोक): बिजली चोरी के मामले की सुनवाई करते हुए सिविल जज मानसी गौड की अदालत ने उपभोक्ता पर लगे बिजली चोरी के आरोपों को गलत करार देते हुए बिजली निगम को आदेश दिए हैं कि जमा कराई गई 3 लाख 34 हजार 387 रुपए की जुर्माना राशि का भुगतान उपभोक्ता को 24 प्रतिशत ब्याज दर से किया जाए। इस प्रकार बिजली निगम को जुर्माना राशि पर करीब 6 लाख 40 हजार रुपए का ब्याज देना पड़ेगा। डीएलएफ फेस 2 के उपभोक्ता सिद्धार्थ भण्डारी के अधिवक्ता क्षितिज मेहता से प्राप्त जानकारी के अनुसार बिजली निगम ने उसके आवास पर लगा बिजली का मीटर 27 अप्रैल 2016 को उतारकर निगम की लैबोरेट्री में टेस्ट करने के लिए भेजा था। टेस्ट रिपोर्ट आने पर उपभोक्ता पर आरोप लगाया गया था कि वह मीटर से छेड़छाड़ कर बिजली की चोरी कर रहा था और उसके ऊपर 3 लाख 34 हजार 387 रुपए का जुर्माना भी लगा दिया था।

अधिवक्ता का कहना है कि उपभोक्ता ने लिखित में बिजली निगम के अधिकारियों से गुहार लगाई कि उसने बिजली मीटर से कोई छेड़छाड़ कर बिजली चोरी नहीं की है, लेकिन अधिकारियों ने उसकी एक नहीं मानी और उसे धमकाया गया कि यदि उसने जुर्माना राशि का भुगतान नहीं किया तो उसका बिजली का कनेक्शन काट दिया जाएगा। जिस पर मजबूर होकर उपभोक्ता को 3 मई 2016 को जुर्माना राशि पूरी जमा करानी पड़ गई और बिजली निगम के खिलाफ 16 मई 2016 को अदालत में केस दायर कर दिया। कई वर्ष अदाालत में सुनवाई चली। सिविल जज मानसी गौड़ की अदालत ने बिजली निगम के सभी आरोपों को खारिज करते हुए बिजली चोरी के मामले को गलत करार दिया। अदालत ने बिजली निगम को आदेश दिए कि उपभोक्ता द्वारा जमा कराई गई धनराशि का भुगतान 24 प्रतिशत ब्याज दर से किया जाए। अधिवक्ता का कहना है कि जुर्माना राशि पर बिजली निगम को करीब 6 लाख 40 हजार रुपए ब्याज देना पड़ेगा। उपभोक्ता की बिजली निगम के कारण बड़ी बदनामी हुई है। इसलिए अब उपभोक्ता बिजली निगम के कर्मचारियों व अधिकारियों के खिलाफ ह्रासमेंट का केस भी अदालत में फाइल करेगा।

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