क्या भजनलाल और बंसीलाल परिवार राजनीति से होंगे बाहर

क्या भूपेंद्र सिंह हुड्डा भाजपा की बी टीम बन गए

अशोक कुमार कौशिक

हरियाणा में कांग्रेस के लोकसभा उम्मीदवारों के लिए वोटरों का इंतजार बढता जा रहा है वहीं रोजाना हो रहे फेरबदल में संभावित प्रत्याशियों के भी हाथ पैर फूल रहे हैं। बताया जा रहा है कि कांग्रेस उम्मीदवारों की लिस्ट आज भी संभव नहीं है। हरियाणा की दस लोकसभा सीटों पर इंडिया गठबंधन के तहत एक सीट पर आम आदमी पार्टी ने प्रत्याशी घोषित कर दिया है जबकि 9 सीटें कांग्रेस के पाले में है। कांग्रेस की तरफ से उम्मीदवारों के नाम फाइनल नहीं किये जा सके हैं। अगर प्रदेश में किसी प्रकार गुटबाजी हावी रही और कांग्रेस ने मंथन कर टिकट वितरण नहीं किया तो हरियाणा में भाजपा बाजी मार सकती है। उधर राजनीतिक हलकों में यह चर्चा जोरों पर है कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा भाजपा की बी टीम के तौर पर काम कर रहे हैं।

प्रदेश में एक यह चर्चा भी जोरों पर है की क्या भजनलाल और चौधरी बंसीलाल परिवार को षंडयंत्र के तहत राजनीति से बाहर किया जा रहा है। भाजपा ने चौधरी बंसीलाल परिवार को राजनीति से दूर करके चौधरी देवीलाल परिवार को प्रोत्साहन दिया। वही हिसार सीट को लेकर कांग्रेस में भी जद्दोजहद है। लगता है कांग्रेस भी भजन लाल परिवार को बाहर रख चौधरी बीरेंद्र सिंह के सुपुत्र को टिकट देने जा रही है। वह भाजपा छोड़ कांग्रेस में आए हैं। इधर बंसीलाल परिवार को भिवानी महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट से चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा द्वारा दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। वही एसआरके गुट का प्रयास है की चौधरी बंसीलाल परिवार के राजनीतिक प्रभाव को देखते हुए कांग्रेस को श्रुति चौधरी को टिकट देनी चाहिए।

हरियाणा कांग्रेस में लोकसभा प्रत्याशियों के चयन को लेकर एक बार फिर पेच फंस गया है। गत दिवस पार्टी प्रदेशाध्यक्ष चौ़ उदयभान ने नई दिल्ली में मीडिया से बातचीत में कहा था कि सब-कमेटी ने पैनल तय करके पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को सौंप दिए हैं। लेकिन बृहस्पतिवार को नई दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय में गहमागहमी बनी रही। प्रदेश कांग्रेस के अधिकांश दिग्गज नेता दिल्ली में ही डेरा डाले हुए हैं।

ऐसे में सलमान खुर्शीद और मधुसूदन मिस्त्री की अध्यक्षता वाली सब-कमेटी ने एक बार फिर प्रदेश में लोकसभा की उन छह सीटों पर मंथन किया, जिनके प्रत्याशियों को लेकर अभी भी सस्पेंस बना हुआ है।

सूत्रों का कहना है कि रोहतक, सिरसा और अंबाला सीट पर अब किसी तरह का विवाद नहीं है। भिवानी-महेंद्रगढ़, गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत, हिसार व करनाल पर अभी भी स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है।

हुड्डा खेमा जहां ‘विनिंग’ के फार्मूले काे आगे बढ़ा रहा है, वहीं एंटी हुड्डा खेमा भी अपनी पसंद-नापसंद के हिसाब से प्रत्याशियों के चयन में पूरा दखल दे रहा है। सुबह से ही दिल्ली में बैठकों का दौर शुरू हो गया था, जो शाम तक जारी रहा।

पूर्व मंत्री व तोशाम विधायक किरण चौधरी ने भी अपनी बेटी व पूर्व सांसद श्रुति चौधरी के साथ सलमान खुर्शीद और मधुसूदन मिस्त्री से मुलाकात की। इससे पहले बुधवार को किरण ने कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी मुलाकात की थी।

पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा तथा राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भी सब-कमेटी के दोनों वरिष्ठ नेताओं के साथ मुलाकात करके अपना फीडबैक दिया।

इसके बाद हुई बैठक में खुर्शीद व मिस्त्री के अलावा हरियाणा प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया, पूर्व सीएम और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा तथा प्रदेशाध्यक्ष चौ़ उदयभान की बैठक हुई। सब-कमेटी सभी नेताओं से विचार-विमर्श व फीडबैक के बाद अपनी रिपोर्ट तैयार कर रही है।

सूत्रों का कहना है कि हुड्डा खेमे ने प्रत्याशियों के चयन में प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के पुराने प्रदर्शन का भी मुद्दा उठा दिया है। 2019 के विधानसभा चुनावों में सभी नेताओं की एडजस्टमेंट के चलते टिकट आवंटन में कोटा सिस्टम चला था। यानी हुड्डा खेमे के अलावा एंटी हुड्डा खेमे के नेताओं की पसंद से भी टिकट दिए गए थे।

अब यह मामला उठाया जा रहा है कि विधानसभा चुनावों में टिकट दिलवाने के बाद नेताओं के कितने उम्मीदवार जीते, इस पर भी मंथन किया जाना चाहिए।

कांग्रेस गलियारों के अनुसार, रोहतक से दीपेंद्र सिंह हुड्डा, सिरसा से कुमारी सैलजा व अंबाला से मुलाना विधायक वरुण चौधरी के नाम पर अब कोई परेशानी नहीं है। इन तीन सीटों के प्रत्याशियों के नाम पर दोनों ही गुट लगभग सहमत हो चुके हैं। करनाल, सोनीपत, भिवानी-महेंद्रगढ़, हिसार, गुरुग्राम व फरीदाबाद के प्रत्याशियों के चयन को लेकर दोनों ओर से बनाए जा रहे दबाव के चलते ही अभी तक टिकटों का फैसला होने में देरी हो रही है।

हिसार से पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह को टिकट दिए जाने की वकालत की जा रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि वे भाजपा के मौजूदा सांसद होते हुए पार्टी छोड़कर कांग्रेस में आए हैं। वहीं कुछ नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री जयप्रकाश ‘जेपी’ के नाम पर भी अड़े हुए हैं। हिसार से गैर-जाट चेहरे के रूप में पूर्व आईएएस चंद्रप्रकाश और पूर्व विधायक रामनिवास घोड़ेला के नाम पर भी कई बार चर्चा हो चुकी है। यहां से भजनलाल परिवार के चंद्र मोहन बिश्नोई का नाम की कोई चर्चा नहीं।

वहीं भिवानी-महेंद्रगढ़ से एसआरके खेमा श्रुति चौधरी को टिकट देने की वकालत कर रहा है। हुड्डा खेमा की ओर से इस सीट पर बैकवर्ड कार्ड खेलते हुए महेंद्रगढ़ विधायक राव दान सिंह का नाम आगे बढ़ाया हुआ है। इसके पीछे इस संसदीय सीट के समीकरणों का भी हवाला दिया है।

करनाल में कुलदीप शर्मा का नाम सबसे ऊपर
करनाल सीट से पूर्व स्पीकर कुलदीप शर्मा का नाम सबसे ऊपर चल रहा है। यहां चाणक्य पंडित व वीरेंद्र राठौर के नाम की भी चर्चा है। बताते हैं कि एसआरके खेमा चाणक्य पंडित का विरोध कर रहा है। उनकी ओर से किसी पंजाबी नेता को टिकट दिए जाने की बात भी कही गई है।

इसी तरह से सोनीपत की सीट में भी इसलिए देरी हुई क्योंकि करनाल के प्रत्याशी के साथ यह लिंक है। करनाल में अगर ब्राह्मण को टिकट मिलता है तो सोनीपत से जाट उम्मीदवार आएगा। अगर करनाल में किसी अन्य जाति के नेता को टिकट मिला तो सोनीपत में ब्राह्मण आना तय है। सोनीपत में अब पूर्व विधायक पदम दहिया एवं वरिष्ठ नेता सुरेंद्र दहिया का नाम सूची में ऊपर हो गया है।

हरियाणा कांग्रेस के नेताओं से अलग-अलग चर्चा करके रिपोर्ट तैयार की है। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आज रात दिल्ली लौटने के बाद उन्हें आज रात या फिर कल सुबह रिपोर्ट सौंपी जाएगी। इसके बाद प्रत्याशियों को लेकर फैसला पार्टी अध्यक्ष करेंगे। संभवत: एक-दो दिन में ही प्रत्याशियों की सूची आ सकती है।

हरियाणा में चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा और एसआरके ग्रुप में आपसी खींचतान कांग्रेस के लिए सुखद नहीं है। अगर कांग्रेस हाई कमान ने गहन मंथन कर सही टिकट का वितरण नहीं किया या किसी एक नेता के दबाव से टिकट दिया तो हरियाणा में भाजपा का रास्ता साफ हो जाएगा। हरियाणा में बन रही कांग्रेस के प्रति हवा भविष्य में विधानसभा चुनाव में भी उसके लिए नुकसानदायक सिद्ध होगी।

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