केवल जिला शिक्षा अधिकारी पर गिरी गाज, निलंबित 

हरियाणा शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन वीपी यादव का रेवाड़ी नारनौल मार्ग पर स्थित सनग्लो स्कूल भी आज खुला हुआ था, और उन्हें जानकारी नहीं

मारे गए 8 बच्चों में पूर्व शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा के भांजे का बेटा भी, दो की हालत अभी भी गंभीर, डेढ दर्जन से अधिक घायल

️प्राइवेट स्कूल संचालकों पर शासन-प्रशासन के आदेश बेअसर, अधिकतर स्कूल भगवा पार्टी से जुड़े लोगों के

कनीना स्कूल बस हादसे में जिला प्रशासन व जिला शिक्षा अधिकारी को भी पार्टी बनाया जाए

जो निधि ️स्कूल समय-समय पर सरकार प्रशासन का मखौल उड़ाते हैं उनकी मान्यता तत्काल रद्द की जाए

अगर चुनाव नहीं होते तो इतनी बड़ी संख्या में नेता शोक संवेदना व्यक्त करते?

यदि यह घटना गैर भगवा सरकार में होती तो अब तक बवन्डर उठ गया होता

विज्ञापन के बोझ से दबा मीडिया भी आवाज नहीं उठाता

अशोक कुमार कौशिक 

महेन्द्रगढ जिला के कनीना कस्बे में हुए शासन-प्रशासन व निजी शिक्षण सस्थान की लापरवाही के चलते भीषण स्कूल बस हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस हृदयविदारक दुर्घटना में 8 नौनिहालों की मौत एवं लगभग डेढ दर्जन विद्यार्थी गंभीर घायल हुए हैं। घटना ने सबको झंझकोर कर रख छोड़ा है। अब यहां सवाल खड़ा होता है कि आखिर कनीना स्कूल बस हादसे में नौनिहालों की मौत का सौदागर कौन? प्रदेश सरकार, जिला प्रशासन अथवा निजी शिक्षण संस्थान? दूसरा सवाल क्या सरकार से मिली आर्थिक सहायता जो नौनिहालों के जाने की भरपाई कर देगी? तीसरा बड़ा सवाल यह है की बड़ी घटना होने के बाद ही सरकार और प्रशासन एकाएक क्यों सक्रिय होती है? यदि वह समय-समय पर औचक निरीक्षण करें तो ऐसी दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सकता है।

सबसे पहले हम मानवीय पहलू को ले कि जिन घरों के चिराग बुझ गए उनके ऊपर क्या बीती होगी । वह सरकार प्रशासन और स्कूल प्रबंधन को कोस रहे होंगे। वह छोटे-छोटे 13-14 साल के मासूम बच्चे जिन्होंने इस घटना को अपनी आंखों से देखा और सहा उन पर क्या बीतेगी। उन अभिभावकों की भी पीड़ा समझने की कोशिश कीजिए जो अपने बच्चों के दुर्घटना होने की सूचना मिलते ही दौड़ पड़े और खुद भी दुर्घटना ग्रस्त हो गए। यह निजी शिक्षण संस्थान आए दिन चाहे गर्मियों के अवकाश हो चाहे शीतलहर के यह अपनी मनमानी कर संस्थान को खोलते हैं और सरकार और प्रशासन को ठेंगा दिखाते रहते हैं। सब कुछ सरकार और प्रशासन की आंख के नीचे चलता है और वह आंख मींचे बैठे रहते हैं। इस मामले में बस ड्राइवर व स्कूल के प्राचार्य को हिरासत में लिया गया है तथा जिला शिक्षा अधिकारी को निलंबित कर दिया गया है। 

आखिर मौत के सौदागर कौन?

आज ईद का दिन था और राजपत्रित अवकाश था। गणगौर पर्व और नवरात्रे भी चल रहे हैं लेकिन जिले के ही नहीं प्रदेश भर के अधिकांश निजी शिक्षण संस्थाओं ने सरकार और प्रशासन के मुंह पर तमाचा मारा है। अब भगवाधारियों का हृदय क्यों नहीं खौल रहा कि आज सनातन धर्म का गणगौर पर्व के साथ नवरात्रें भी चल रहे हैं। बड़ी-बड़ी बातें करने वाली भाजपा आखिर प्रदेश में क्यों निजी शिक्षण संस्थान के आगे समर्पण कर रही है। यह भगवाधारी अब सड़कों पर क्यों नहीं उतरे। घटना चुनाव के समय घटी है इसलिए छोटे से छोटे स्थानीय नेता से लेकर प्रदेश के मंत्री, मुख्यमंत्री, देश के गृहमंत्री, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महामहिम राष्ट्रपति तक ने अपनी संवेदना प्रकट की। अगर चुनाव नहीं होते तब भी ऐसा ही होता? शायद नहीं।

लापरवाही का इससे बड़ा नमूना भाजपा सरकार में क्या हो सकता है। जब हरियाणा शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन वीपी यादव का रेवाड़ी नारनौल मार्ग पर स्थित सनग्लो स्कूल भी आज खुला हुआ था, और उन्हें जानकारी नहीं थी। 

प्रदेश की शिक्षा मंत्री फरीदाबाद से चलकर रेवाड़ी के निजी अस्पताल में पहुंची। जहां अस्पताल में भर्ती 12 छात्रों का हाल-चाल जाना। इस मौके पर  शिक्षा मंत्री सीमा त्रिखा ने सलाह दे दी कि निजी स्कूल संचालक व्यापार करना बंद करें, नियमों का पालन करें। उन्होंने कहा कि ड्राइवर के साथ-साथ स्कूल के प्रिंसिपल व मलिक के खिलाफ एफआईआर दर्ज होगी। पर वह बताने में नाकाम रही कि आखिर राजपत्रित अवकाश के दिन प्रदेश भर में स्कूल कैसे खुले रहे और उनका विभाग क्या कर रहा था। 

उन्होंने कहा कि बच्चों की तरह निजी शिक्षण संस्थान खुद भी सीखे संस्कार। आज अवकाश के दिन स्कूल खोलना गंभीर बात है इसलिए प्रदेश के सभी शिक्षा अधिकारी को दिए कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने आस्वश्त किया कि नियमों का उल्लंघन करने वाले स्कूलों के खिलाफ की जाएगी कड़ी कार्रवाई की जाएगी। अब कारवाई क्या होगी यह भविष्य के गर्भ में ही। कुछ समय के बाद लोग घटना को भूल जाएंगे और सब कुछ पुराने ढ़र्रे पर आजाएगा। मंत्री ने घटना पर जताया गहरा दुख जताते हुए कहा कि ड्राइवर शराब पीकर बस चल रहा था।

स्कूल बस हादसे पर हरियाणा के परिवहन मंत्री असीम गोयल ने कहा, “एक उच्च स्तरीय समिति घटना की जांच करेगी, स्कूल के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी, मार्च में अधूरे कागजात के कारण इस स्कूल बस पर 15,500 रुपए का जुर्माना लगाया गया था। इस मामले में स्कूल की लापरवाही स्पष्ट है। मैंने राज्य में सभी स्कूली वाहनों का फिटनेस परीक्षण कराने का निर्देश दिए हैं।” अभी उनके बयान से एक सवाल खड़ा होता है कि जब जुर्माना लगाया गया था तब यह बस सड़क पर कैसे दौड़ रही थी। क्या कर रहे थे जिला के प्रशासनिक जवाबदेह अधिकारी?

यहां यह सवाल खड़ा होता है की घटना के बाद ही सरकार और प्रशासन क्यों यकायक सक्रिय होता है ऐसे प्रयास क्यों नहीं किए जाते की घटना घटे ही नहीं। सरकार और प्रशासन ने अब बस ड्राइवर, स्कूल के प्राचार्य तथा उसके मालिक पर प्राथमिक की दर्ज करने का ऐलान किया है। क्या इसके साथ जिले के उन आला अधिकारियों के ऊपर भी मामला दर्ज नहीं होना चाहिए जिनके ऊपर यह दायित्व है कि वह परिवहन, शिक्षा के नियम तथा नशे को लेकर जागरूकता अभियान के दावे कर मीडिया में बयान जारी करते हैं। क्या परिवहन विभाग को समय-समय पर स्कूलों की वाहनों की फिटनेश चेक नहीं करनी चाहिए? क्या स्वास्थ्य विभाग को ड्राइवरों कंडक्टर की जांच नहीं की जानी चाहिए कि वह नशा करते हैं या नहीं। क्या शिक्षा विभाग और जिला उपायुक्त को यह जांच नहीं करनी चाहिए राजपत्रित अवकाश के दिन भी स्कूल क्यों खुल रहे हैं।

अगर यह सभी प्रशासनिक अधिकारी सचेत होते तो यह घटना नहीं घटती। इस घटना के पीछे सबसे बड़ा दायित्व जिला उपायुक्त का बनता है। सरकार को इस घटना के पीछे जो बीच में आला अधिकारी है उसे पर भी सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। नीजि स्कूल संचालकों व प्रशासनिक लापरवाह-गठजोड़ ने आज कई घरों के रोशन चिरागों को बुझाकर वहां अंधेरा कर दिया।  क्या सरकार-प्रशासन उजड़े हुए घरों के इन नौनिहालों को वापिस जिंदा कर सकता है?

 कनीना स्कूल बस हादसे के कातिलाना हादसे में स्कूल संचालक-ड्राइवर के साथ-साथ जिला शिक्षाधिकारी पर भी गैर इरादतन हत्या का मुकद्दमा तत्काल प्रभाव से दर्ज कर जिला प्रशासन को भी इसमें पार्टी बनाकर समयबद्ध उच्चस्तरीय जांच करवाकर सरकार-न्यायालय द्वारा जवाबदेयता तय की जानी चाहिए। साथ ही जिला उपायुक्त का अपनी ड्यूटी में कोताही, विफलता व सरकारी फरमान की अवहेलना तथा गंभीरता से न लेने के चलते तत्काल अन्यत्र स्थानांतरित किया जाना चाहिए।

हरियाणा ही नहीं देशभर में बेहतर शिक्षा के नाम पर लूट का धंधा व मौत बांटते इन मौत के सौदागरों नीजि स्कूल संचालकों व कोचिंग संस्थानों को सरकार-प्रशासन द्वारा बनाए गए नियमों को अक्सर घत्ता दिखाते देखा जा सकता है। जिला महेंद्रगढ़ की बात करें तो अधिकतर बड़े शिक्षण संस्थान सत्ताधारी दल से जुड़े हुए हैं और वह निरंकुश बनाकर सरकार के नियमों को ठेंगा दिखाते रहते हैं। प्रशासन भी उसके आगे बौना दिखाई देता है।

निजी शिक्षण संस्थानों के खिलाफ कथित सरकारी नियमों के राडार पर लेकर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई तत्काल अमल में लाई जानी चाहिए। गजेटिड एवं वातानुकूलिन छुट्टियों के दौरान एक्स्ट्रा क्लासों के नाम पर स्कूल खोलने वाले नीजि स्कूलों पर सरकार के नियमादेशों की अवहेलना के फलस्वरूप तत्काल प्रभाव से उस स्कूल की मान्यता रद्द कर भारी भरकम आर्थिक जुर्माना लगा उसकी मान्यता रद्द करनी चाहिए। इसके साथ ही स्कूल संचालकों द्वारा स्कूल के बच्चों का यदा-कदा राजनीतिक रैलियों के परिभ्रमण पर भी रोक लगाई जानी चाहिए।

यदि शासन-प्रशासन अतीत में शिक्षा विभाग अवकाशकालीन व राजपत्रित छुट्टियों के दौरान उनकी नाक तले धड़ल्ले से चलने वाले नीजि स्कूलों का निरीक्षण कर उन पर पूर्व में समय रहते कोई कठोर निर्णय ले लेता तो आज कदाचित कनीना स्कूल बस हादसे में अकाल काल का ग्रास बने इन मासूम बच्चों की जिन्दगियों को महफूज रखा जा सकता था। 

निजी (प्राइवेट ) स्कूलों कि गुंडागर्दी

पैसे के दम पर सरकार के नियम न मानना, अखबारों और टेली मीडिया को अपनी विज्ञापन की मोटी पूंजी देकर वश में रखना, खबर न छपने देना, कोई शिकायत करें तो कानूनी तंत्र को खरीद लेना।

स्कूल के मालिकों का स्कूल बस के ड्राइवरों की लापरवाही पर कोई ध्यान नहीं है। रोजाना स्कूल बसें चलती है ओवरस्पीड में बस चलना, रोड जाम कर देना, स्पीड में ओवरटेक करना, बिना देखें रोड क्रास करना, कोई टोके या रोके तो बदतमीजी से बात करना, बस की फिटनेस टाइम पर न करना, जर्जर हाल में बसों मे लिमिट से ज्यादा बच्चों को स्कूल में ले जाना आम बात है।

स्कूल मालिकों को केवल मतलब है मोटी फीस से और सस्ते शराबी ड्राइवरों से, कई स्कूल की बसों में तो परिचालक भी नहीं होता। स्कूल मालिकों का केवल पैसा बचना चाहिए आपके बच्चे का हाल अच्छा हो या बुरा उन्हें कोई मतलब नहीं। स्कूल संचालक अधिकतर कम पैसों के चालक और परिचालक रखते हैं उनके बारे में यह भी जांच नहीं करते कि वह नशा करता है या नहीं।

सरकारी छुट्टी होने के बावजूद भी पुरे प्रदेश में आज प्राइवेट स्कूल खुले रहे। सरकार प्रशासन को पता होते हुए भी कोई कदम नहीं उठाया जाता। नाबालिग़ बच्चे स्कूटी व मोटरसाइकल्स से स्कूल आते हैं। स्कूल, अभिभावक व प्रशासन को सब दिखता है परंतु कोई कुछ नहीं कहता। महँगी फ़ीस हैं सामान्य स्कूलों की भी। वहीं अधिकतर स्कूलों की एक ही दुकान से ड्रेस मिलेगी, एक ही दुकान से पुस्तकें मिलेंगी।

छुट्टी होने पर भीड़ का ये आलम होता है की आधा पौना घंटा ट्रैफ़िक में खड़े रहना एक बहुत ही सामान्य बात है। सभी शहरों में हाल ये है की बच्चे अपने वाहन दुकानों व दफतरों के सामने खड़े कर के चले जाते है और फिर दोपहर तक दुकान पर आने वाले ग्राहक परेशान होते है जिससे की व्यापारी के काम पर सीधा असर पड़ता है। 

पुलिस द्वारा चालान काटे जाते हैं परंतु स्कूल में वाहनों पर आ रहे नाबालिग बच्चों का इलाज ना स्कूल के पास है और ना ही प्रशासन के पास। आज महेंद्रगढ़ में हुई घटना में हम सब बराबर के ही दोषी है जो की सड़क पर चलती इस भेड़ चाल को रोज़ देखते हैं परंतु आवाज़ नहीं उठाते। 

बस में 35 के करीब विद्यार्थी थे। मृतक विद्यार्थियों में युवराज, यशु,अंशु,वंश 14, रिंकी 15 व सत्यम 16 वर्ष के थे। 

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