हरियाणा सरकार की किसान मजदूर कैंटीन योजना बनी सपना

पटौदी और फरुखनगर में अनाज मंडी वहीं मानेसर औद्योगिक क्षेत्र

अलग-अलग स्थान पर अलग-अलग नाम से बनाई गई कैंटीन

फतह सिंह उजाला 

गुरुग्राम / पटौदी 8 अप्रैल। हरियाणा सरकार के द्वारा पूरे प्रदेश में विभिन्न शहरों और विशेष रूप से अनाज मंडी में मजदूर कमरे वर्ग सहित किसानों की सुविधा के लिए विभिन्न नाम से 10 रुपए खाली में भरपेट भोजन की कैंटीन आरंभ की गई । लेकिन हरियाणा के खजाने में सबसे अधिक राजस्व देने वाले जिला गुरुग्राम के ही देहात कहलाने वाले इलाके पटौदी, मानेसर और फरुखनगर क्षेत्र में मजदूर कमरे वर्ग के लिए आज भी भरपेट भोजन के लिए 10 रुपए वाली ताली सपना ही बनी हुई है।  

यह बात किसी से छिपी हुई नहीं है कि इन दोनों फसल कटाई और अनाज मंडी में फसल की सरकारी खरीद युद्ध स्तर पर चल रही है । फसल काटने और अनाज मंडी में लाई गई फसल की बिक्री के बाद इसकी साफ सफाई, बोरों में भरना और वाहनों में लोडिंग का काम मजदूर वर्ग के द्वारा ही किया जा रहा है । अधिकांश मंडी में प्रवासी मजदूर मजदूरी के लिए बीते लंबे समय से आने का सिलसिला बना हुआ है। सीजन के अतिरिक्त भी मंडी में प्रवासी मजदूर विभिन्न व्यापारियों और आढतियो के यहां मजदूरी के लिए काम  करते हैं।

हरियाणा के ही बात की जाए तो विभिन्न जिलों और वहां की अनाज मंडी में किसान मजदूर कैंटीन, अंत्योदय आहार योजना तथा अटल किसान मजदूर कैंटीन जैसे नाम से भरपेट भोजन के लिए कैंटीन आरंभ की गई । इन कैंटीन को आरंभ किए जाने के पीछे तर्क दिया था कि कोई भी व्यक्ति भूख नहीं रहना चाहिए और केवल मात्र 10 रुपए में अपना पेट भर सके। सूत्रों के मुताबिक इस प्रकार की कैंटीन स्वयं सहायता महिला समूह के द्वारा भी संचालित किया जाने की जानकारी दी गई है। इसी कड़ी में बताया गया है कि 10 रूपए भोजन करने वाले से लिए जाएंगे । इसके अतिरिक्त जो भी खर्च होगा वह स्थानीय मार्केटिंग बोर्ड या फिर श्रम विभाग अथवा हरियाणा सरकार के द्वारा उसका भुगतान किया जाएगा।

अनाज मंडी में अपनी फसल बेचने के लिए किसान वर्ग  सुबह अंधेरे में ही ट्रैक्टर ट्रॉली या फिर अन्य वाहनों को लेकर लाइन में लग जाते हैं। नंबर आने तक कई घंटे का समय निकल जाता है । गर्मी का मौसम है और विभिन्न प्रकार की परेशानियां भी झेलनी पड़ती है । बारी आने पर टोकन लेकर मंडी में फसल का ढेर लगा दिया जाता है और सरकारी एजेंसी के द्वारा खरीद किया जाने तक सूरज भी अपना दम तोड़ता दिखाई देता है। इस बीच में यदि किसान या फिर मंडी में काम कर रहे कमेरे वर्ग अथवा पल्लेदार और मजदूर को भूख लगना भी स्वाभाविक है । इन हालात में बहुत से किसान बाजार से खाने-पीने का सामान लेकर अपना पेट भरने को मजबूर होते हैं। वही मंडी में काम करने वाले मजदूर पल्लेदार ग्रुप में रहते हुए सामूहिक रूप से अपने-अपने लिए भोजन बनाने और खाने की व्यवस्था बनाते हैं।

औद्योगिक क्षेत्र की बात की जाए तो छोटे-बड़े अनगिनत उद्योग भी यहां काम करने वाले कामगार और मजदूर के दम पर चलते हैं । लेकिन बहुत कम उद्योग ऐसे हैं जहां पर काम करने वाले लोगों के लिए कैंटीन या फिर भोजन की सुविधा उपलब्ध हो। जानकारी के मुताबिक जिला गुरुग्राम में दो दर्जन से अधिक कैंटीन संचालित होने की बात कही गई है। जहां पर महज 10 रुपए में भरपेट भोजन उपलब्ध हो रहा है । सवाल सहित जिज्ञासा यही है कि शहर के अलावा देहात कहे जाने वाले इलाके में यह सुविधा मजदूर कामकाजी लोगों और गरीब वर्ग के लिए कब तक उपलब्ध हो सकेगी ?

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