संविधान के सर्व उच्च पद की गरिमा का अगर पीएम मोदी ही ध्यान नही रखेंगे तो अपनी पार्टी के लोगो और देश को क्या संदेश देगें। गुरिंदरजीत सिंह

गुरुग्राम : गुरुग्राम के समाजसेवी इंजीनियर गुरिंदरजीत सिंह ने कहा कि आडवाणीजी को भारत रत्न मिलने के दौरान PM मोदी के खड़े न होना, राष्ट्रपति का अपमान है।

उन्होनें कहा कि भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से नवाजा गया। इस दौरान पीएम मोदी का कुर्सी पर बैठना गलत है। उन्होनें कहा कि राष्ट्रपति खड़ी थीं, लेकिन पीएम कुर्सी पर ही बैठे थे। ये देश की राष्ट्रपति मुर्मू का घोर अपमान है। राष्ट्रपति जी द्वारा आडवाणी जी को भारत का सर्व उच्च सम्मान भारत रत्न देते वक्त पीएम मोदी का कुर्सी पर बैठे रहना ऐसा दर्शाता है कि न तो पीएम मोदी भारत के राष्ट्रपति का मान सम्मान करते है और न ही वे भारत रत्न का। ऐसा लगता है कि सिर्फ चुनाव के समय भारत रत्न देना, सरकार द्वारा वोटो को बटोरने का जरिया है। जब भारत रत्न आडवाणी जी को मिल रहा था पीएम मोदी हस रहे थे और खडे नही हुए, जबकि भारत रत्न देने के लिए कुछ प्रोटोकॉल है, जिनको पुरा नही किया गया। इस से पता चलता है भाजपा को संविधान में कोई विश्वास नहीं है। तभी बार बार वे संविधान पर हमला करती है।

गुरिंदरजीत सिंह अर्जुन नगर ने कहा कि आज देश के पीएम नरेन्द्र मोदी ने देश के महामहिम माननीय राष्ट्रपति का फिर से सम्मान नही किया। आप सबको पता है जब भी राष्ट्रपति खड़े हो तो पास बैठे सभी का ये कर्तव्य बनता है कि वे राष्ट्रपति के सम्मान में खड़े हो जाए।

पर जब हमारे देश के राष्ट्रपति खडे होकर आडवाणी जी को भारत रत्न दे रहे है और पीएम मोदी भारत के राष्ट्रपति के सम्मान के लिए खडे भी नही हो रहे। ऐसा क्यों?? क्योंकि वे दलित समाज से है इस लिए क्या??

हमारे दलित समाज से राष्ट्रपति तो बनाया, पर जब सम्मान की बात आती है, तो हर बार देखने को मिलता है कि पीएम मोदी अपने आप को राष्ट्रपति से भी ऊपर मानते है।

बीजेपी की सोच ही सिर्फ दलितों को वोट बैंक समझने की ही है, सम्मान देने की नहीं।

तभी तो नई संसद या राम मन्दिर या कुछ ओर कार्य, हमारे भारत के राष्ट्रपति को बुलाया तक नही जाता।

समाज को एक जुट होन होगा तभी ये लोग समाज के लोगो का सम्मान करेंगे।

साथियो अब हमे समझना और ठान लेना चाहिए कि हमे किसी पार्टी का वोट बैंक बन कर नही रहना, बल्कि एक शक्ति बन कर अपने समाज, अपने अधिकार और अपने सन्मान के लिए खुद एक जुट होकर लड़ना है। आशा है कि आप मेरी बात से सहमत होंगे।जय भीम जय संविधान।

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