*कचरे में सड़ता शहर छोड़कर विधायक अलवर भाजपा प्रत्याशी के नामांकन प्रक्रिया में शामिल नजर आए : माईकल सैनी (आप)

*निगम कमिश्नर द्वारा फोटो और प्रेसविज्ञप्तियां डालने से नहीं हालात धरातल पर काम करने से सुधरेंगे : माईकल सैनी (आप)

*कचरा प्रबंधन पर हजारों करोड़ स्वाहा, चंहुओर फैला कचरा और उसमें लगी आग से शहर धुंआ-धुआं : माईकल सैनी (आप)

गुरुग्राम 27 मार्च 2024 कचरे के कारण पूरा शहर बेदम है, चंहुओर गंदगी के अंबार लगे हैं, नगर निगम कर्मचारी तो मानो केवल सदर बाजार से गरीबों की रेहड़ी-पटरियां ही ध्वस्त करने के लिए नियुक्त हैं, अधिकारी काम सिर्फ फाइलों पर साइन करने के लिए ही मोटी सेलरियाँ और लग्जरी सुविधाएं लेने पधारे हों, कमोबेश यही हाल निगम कमिश्नर साहब का भी है जो लाख दावे पेश करते आए हैं मगर वस्तुतः स्तिथि किसी से छिपी नहीं हैं मगर हालात की फिक्र किसे है और जिन्हें होनी चाहिए वह गुरुग्राम विधायक सुधीर सिंगला खुद आहत और विवश नजर आते हैं अर्थात उनके निवास और कार्यालय के सामने ही कचरा फैला है तो शहर की दशा वह क्या ही सुधार पाएंगे सहजता से अनुमान लगाया जा सकता है !

आम आदमी पार्टी नेता माईकल सैनी ने आरोप लगाते हुए कहा कि विधायक सुधीर सिंगला महज अखबारों में सुर्खियां बटोरते नजर आते हैं धरातल पर काम करते हुए नहीं, स्पस्ट है यदि कदम उठाए होते गर तो स्तिथियाँ इतनी भयावह न हुई होती !

उन्होंने कहा कि पहली बार गुरुग्राम को ऐसा विधायक मिला है जो चुने तो गए जनता की भलाई, उनकी समस्याओं के समाधान(निराकरण) करने वास्ते परन्तु बतौर विधायक उन्होंने कभी कष्ट निवारण समिति की बैठकों तक में शामिल होना गंवारा नहीं समझा, संभवतः उन्हें किसी ने बुलाना जरूरी भी नहीं समझा होगा मगर अलवर लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी भूपेंद्र यादव के नामांकन प्रक्रिया में शामिल होने वह राजस्थान पहुंच जाते हैं, निसंदेह भाजपा उन्हें बहुत करिश्माई नेता और बड़े जनाधारी नेता के तौर पर देखती हो परन्तु गुरुग्राम वासियों को उनका करिश्मों का लाभ क्यों नहीं मिल पा रहा ?

सवाल तो यह है माईकल सैनी ने कहा हाउसिंग सोसाइटीयां, गगनचुंबी इमारतों, मल्टीनेशनल कंपनियों के आलीशान ऑफिसों से सुसज्जित गुरुग्राम शहर जिसकी पूरे विश्व में पहचान है उस मिलेनियम सिटी, साइबरहब कहे जाने वाले शहर के गुरुग्राम पॉश इलाकों और सेक्टरों की स्वच्छता देखें तो भी कहीं से ये शहर स्मार्टसिटी नहीं लगता है और यदि बात मेन गुरुग्राम शहर की करें तो सदर बाजार तक मे कचरे के अंबार लगे हैं, चहुँओर धूल-प्रदूषण गंदगी फैली हुई है, महिलाओं को टॉयलेट तक जाने की सुविधा नहीं भले ही गत वर्ष बाजार के सौंदर्यीकरण पर करीब तीस करोड़ रुपए खर्च किए !

माईकल सैनी का कहना है कि कचरा प्रबंधन में लगी कंपनियों की मिलीभगत से बिल पास होते रहे मगर शहर से कचरा नहीं उठाया गया, स्वच्छता मापदंडों पर 14वें नंम्बर से 140वें नंम्बर पर आ गया शहर और इससे भी दुर्भाग्यपूर्ण ये रहा के नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा सो करोड़ का जुर्माना गुरुग्राम नगर निगम को भुगतना पड़ेगा जब्कि कायदे से जुर्माने का भुगतान इकोग्रीन कंपनी से ही वसूले निगम प्रशासन, चूँकि उसी की लापरवाही के कारण यह जुर्माना लगा मगर सवाल है कि इकोग्रीन कंपनी से जुर्माना वसूलेगा कौन – सरकार मेहरबान तो गधा भी पहलवान ? खैर….

माईकल सैनी ने कहा कि प्रत्येक वार्ड, गली,चौराहे पर कचरे के ढेर लगे हैं जिसके चलते बदबूदार वातावरण तो पहले से था ही मगर अब कचरा खुश्क होने के कारण उसमे आग लग जा रही है अज्ञात कारणों से, जिससे उठते धुएं से गुरुग्राम वासियों के जीना दुश्वार हो गया है, बुजुर्गों और बच्चों को अधिक तकलीफ़ें पेश आ रही हैं, राहगीर तो खैर आदि होगें पाठकों की तरह वरना कुछ तो सवाल खड़े करते ?

माईकल सैनी की तरह कहते कि कई प्रकार की बीमारियों ने लोगों को अपनी गिरफ्त में लेना शुरू कर दिया है यदि स्तिथियाँ नियंत्रण से बाहर हुई तो नागरिकों के उपचार की व्यवस्था तो क्या ही होगी जब्कि सामान्य अस्पताल तक नहीं, तथाकथित आयुष्मान व चिरायु योजना जैसी जन-कल्याणकारी योजनाएं निजी अस्पतालों के कारण दम तोड़ चुकी हैं और इलाज की उपलब्धता के सवाल पर हरियाणा सरकार से जवाब देते नहीं बन रहा है, ऐसे में स्तिथि भयावह हुई तो जवाबदेही किसकी होगी सवाल यह है ?

माईकल सैनी की माने तो प्रदूषित हो चुका गुरुग्राम शहर इसकी आबोहवा में दम घुटने लगा है लोगों अर्थात अब किसी भी मायने में ये शहर रहने लायक नहीं बचा और जिसके लिए जिम्मेवार डबल इंजन सरकार रही है ! खैर करे रब्बा अगर यही अच्छे दिन हैं तो इसकी कामना कौन ही करेगा कि फिर से आएं ?

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