जेपी नड्डा बड़े या खट्टर, खट्टर से नाखुश थे विज

स्वाभिमानी विज क्या उपमुख्यमंत्री के लिए मान जाएंगे?

अगर विज उपमुख्यमंत्री बनाए गए तो भाजपा का प्रदेशाध्यक्ष पंजाबी समुदाय का नहीं होगा

अशोक कुमार कौशिक 

क्या हरियाणा के नायाब सिंह सैनी मंत्रिमंडल में जल्दी ही एक डिप्टी सीएम का चेहरा अनिल विज के रूप में दिखने को मिल सकता है? सूत्रों के अनुसार भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के आदेश पर अनिल विज के घर जाकर नायाब सैनी चाय पीकर आ चुके हैं। सीएम नायाब सैनी अनिल विज को बड़ा भाई बताते हैं तो अनिल विज उनको छोटे भाई की संज्ञा देते है। जिस प्रकार असीम गोयल के बाद महिपाल ढ़ांडा अनिल विज के घर जाकर आशीर्वाद मांगा उसके बाद यह चर्चाएं जोरों पर है। विज की खट्टर से नाराजगी के बाद अचानक सरकार का मूव उनके उनके घर पर बढ़ा उससे यह बात ओर पूख्ता हो गई।

हिसार से भाजपा की टिकट रणजीत सिंह को मिलने से आने वाले दिनों में रणजीत सिंह को मंत्रिमंडल से त्यागपत्र देना पड़ सकता है। ऐसी स्थिति में एक मंत्री का स्थान रिक्त हो जाने पर शीघ्र ही भाजपा सरकार उसे भरेगी। वर्तमान राजनैतिक परिस्थितियों में पंजाबी बाहुल्य क्षेत्रों में जबरदस्त पैठ रखने वाले अनिल विज को नायब सैनी सरकार में डिप्टी सीएम बना वापसी होने के कयास अभी से चर्चा में हैं। अनिल विज द्वारा बिना जातीय भेदभाव के जनता दरबार मे हर किसी की मदद करने के कारण वह हरियाणा के सर्वाधिक लोकप्रिय नेतायों में से एक है। अनिल विज की अगर धड़ल्ले से सरकार में वापसी होती है तो उसका पूरा लाभ भाजपा को मिलना निश्चित है।

हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों में से भारतीय जनता पार्टी द्वारा 4 सीटों से उम्मीदवार घोषित करने में देरी करना कोई असमंजस नहीं था, बल्कि यह पार्टी की बेहद कूटनीतिक सोच और रणनीति का हिस्सा थी, ऐसा हम नहीं बल्कि लगातार बदले राजनीतिक समीकरण खुद बयां कर रहे हैं। कुरूक्षेत्र लोकसभा से कांग्रेस की टिकट पर दो बार सांसद रहे नवीन जिंदल और निर्दलीय रूप से सिरसा विधानसभा से चुनाव जीत विधायक बने रणजीत चौटाला जो भारतीय जनता पार्टी की मनोहर पार्ट-2 सरकार में तथा फिर नायाब सरकार में कैबिनेट मंत्री के पद से नवाजे गए उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया है। नवीन जिंदल को कुरुक्षेत्र से तथा रणजीत चौटाला को हिसार से भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है। रणजीत चौटाला बेहद परिपक्व और सुलझे हुए नेता है। जाट समाज में मजबूत पकड़ रखने वाले रणजीत पूर्व प्रधानमंत्री एवं किसानों के मसीहा माने जाने वाले चौधरी देवीलाल के पुत्र हैं, इसलिए जाट समाज में उनका बड़ा सम्मान है। 

2019 में हिसार लोकसभा से किसानों के ही मसीहा माने जाने वाले सर छोटूराम के नाती चौ0 वीरेंद्र सिंह के सुपुत्र बृजेंद्र सिंह भाजपा की टिकट से सांसद बने थे, लेकिन हाल ही में वह कांग्रेस में शामिल हो गए, ऐसे में भाजपा को एक मजबूत चेहरे की हिसार में जरूरत थी। रणजीत चौटाला भाजपा के लिए हिसार में ‘तुरुप के इक्के’ साबित होने वाले हैं। क्योंकि 2019 में भाजपा ने हरियाणा की सभी 10 लोकसभा सीटें जीती थी और इस बार केंद्रीय नेतृत्व ने 400 सीटें पार का लक्ष्य रखा है तो किसी भी तरह से पार्टी जोखिम लेने के मूड में नहीं है। बदले राजनीतिक समीकरणो के चलते पार्टी बड़ी कूटनीति पर काम कर रही है।

हिसार से बृजेंद्र सिंह कांग्रेस के एक ताकतवर उम्मीदवार साबित हो सकते हैं तो उनकी काट में रणजीत चौटाला उन पर भारी पड़ेंगे। इसकी तैयारी कर ली गई है और दूसरी तरफ अब संभावना है कि वह जल्द ही नायब मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे सकते हैं। इससे मंत्रिमंडल में एक सीट खाली हो जाएगी। इससे अनिल विज जैसे वरिष्ठ पूर्व मंत्री की नाराजगी को भी दूर किया जा सकता है। 

सूत्रों के अनुसार उन्हें उपमुख्यमंत्री के पद से नवाजा जाएगा। क्योंकि अनिल विज एक तरफ जहां हरियाणा भाजपा के सबसे वरिष्ठ – कद्दावर और पार्टी समर्पित नेता है, पार्टी के लिए उनके बलिदान और संघर्ष जग जाहिर है। बड़े आंदोलनों में विपक्ष में रहने के दौरान उनकी भूमिका भी बड़ी रही है। वरिष्ठ नेताओं के आगे अड़कर उन्होंने पुलिस की लाठियां खाई है। इसके साथ-साथ मंत्री रहने के दौरान प्रदेश भर से उनके दर पर आई हुई जनता उनकी भारी मुरीद है। पंजाबी समाज में भी उनका बड़ा भारी प्रभाव है। मंत्रिमंडल में उन्हें जगह ना मिल पाने के बाद से प्रदेश भर में उनके हक में जनता की आवाज सुनाई दे रही है। पंजाबी समाज के मनोहर लाल को मुख्यमंत्री के पद से हटाए जाने तथा अनिल विज को मंत्रिमंडल में जगह ना मिल पाने से पंजाबी समाज में एक बड़ा भारी रोष भी है। जिसका बड़ा भारी नुकसान भाजपा को हो सकता है। यानि अगर कहें कि विज की अनदेखी से एक बड़ा साइलेंट वोटर भाजपा के खिलाफ जा सकता है।

विज की रहस्यमय चुप्पी 

हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों में से 15 से 18 सीटों पर विज का भारी प्रभाव है। तीन लोकसभा सीटों पर उनकी केवल चुप्पी भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है। क्योंकि नायब सैनी को मुख्यमंत्री बेशक बना दिया गया हो लेकिन एक बड़ा टास्क नायब सैनी के सामने खड़ा हो चुका है। सभी 10 लोकसभा सीटे जीतकर देना तथा फिर विधानसभा चुनाव में सरकार बनाकर केंद्रीय नेतृत्व को खुश करने की भी बड़ी जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ चुकी है। अगर इसमें कहीं भी चूक हुई तो केंद्र की नजर में उनका कद छोटा हो जाएगा। अब हाल ही में नवनियुक्त मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का अनिल विज के निवास अंबाला में जाकर उनसे मिलना, उनके पांव छूकर उनका आशीर्वाद लेना, एक अच्छे संकेत की तरफ इशारा दे रहे हैं।

प्रमुख मंत्री नायब सैनी का अनिल विज के घर जाने से पहले पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से मुलाकात करना भी कुछ ‘राज’ लिए हुए है।  क्योंकि खट्टर के इस्तीफा व नए मुख्यमंत्री के चयन की बात स्वाभिमानी अनिल विज अखर गई। उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा था कि उन्हें धोखे में रखा गया। वह नाराज होकर अपने निजी वाहन से अपने घर चले आए। इसके बाद भाजपा के राष्ट्रीयअध्यक्ष जेपी नड्डा ने हस्तक्षेप किया और नायब सैनी को विज से मिलने की हिदायत दी। 

भाजपा के अंदरूनी सूत्रों की माने तो मनोहर लाल खट्टर को लेकर भाजपा में एक बड़ा गुट तेजी से सक्रिय हो रहा है। इस गुट की हलचल को भांपते हुए हाईकमांड एकाएक सक्रिय हुआ। प्रदेश की सभी सीटों पर इसका गलत संदेश न जाए इसलिए विज को मनाने के प्रयास शुरू किए गए।

सूत्रों की माने तो रणजीत चौटाला के सांसद उम्मीदवार बनने के बाद अब वह कभी भी मंत्रिमंडल से इस्तीफा देंगे। सीट वेकेंट होने पर अनिल विज को मंत्रिमंडल में बतौर उपमुख्यमंत्री समायोजित किया जाएगा। इससे प्रदेशभर में जनता जो अनिल विज को अपना मसीहा- हितेषी मानती है उनकी भी नाराजगी इससे दूर होगी और भारतीय जनता पार्टी का इंसाफ भी जनता की नजर में नजर आएगा।

बता दे कि नायब सैनी की अनिल विज से मुलाकात के बाद मीडिया से रूबरू होने पर नायब सैनी ने विज को बड़ा भाई और अनिल विज ने सैनी को अपना छोटा भाई कहकर सम्मान दिया था। तो अब देखना यह रहेगा कि छोटा भाई अपने बड़े भाई को कोई तोहफा देने की तैयारी कर चुके हैं या नहीं। हरियाणा के बेहद सुलझे हुए ईमानदार और स्वाभिमानी नेता अनिल विज एक बड़ी राजनीतिक हस्ती है। जनता के दिलो- दिमाग पर उनका बड़ा भारी असर है। इसलिए उनको मंत्रिमंडल में शामिल करना भाजपा के लिए बड़ा फायदे का सौदा साबित होगा।

यहां यह भी बता दे कि यदि अनिल विज को हरियाणा सरकार में उपमुख्यमंत्री पद से नवाजा गया तो भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के लिए किसी गैर पंजाबी का चयन किया जाएगा। वैसे भाजपा ऊपर से नीचे तक हर उच्च नीच और जाति के प्रभाव को सुक्ष्मता से देखते हुए मंथन कर रही है। येनकेन प्रकरेण वह एक भी सीट अपने हाथ से खोना नहीं चाहती। 

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