नई कैबिनेट गठन के जरिए भाजपा की लोकसभा चुनाव से पहले संतुलन साधने की कोशिश

खाप और गोत्र तक की सोशल इंजीनियरिंग में जुटी भाजपा, सतीश पूनिया के जरिए आधे हरियाणा को साधने की कोशिश

खट्टर को मोदी ने हरियाणा में अपना प्रति रुप बना दिया

हरियाणा भाजपा को जल्द मिलेगा नया प्रधान

अशोक कुमार कौशिक 

भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव के लिए हरियाणा में चुनाव प्रभारी नियुक्तकर एक तीर से कई निशाने साध लिए हैं। एक तो सतीश पूनिया को चुनाव प्रभारी बनाकर भाजपा हाईकमान ने हरियाणा में खाप और गोत्र तक की सोशल इंजीनियरिंग पर नजर रखी है। दूसरे, हाशिए पर चले जाने से नाराज चल रहे कई पार्टी नेताओं को साथ फिर सक्रिय करने में कामयाबी मिल सकती है। राजस्थान के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया को हरियाणा का चुनाव प्रभारी बनाया गया है। हालांकि, पहले पूनिया को राजस्थान के अजमेर लोकसभा सीट से टिकट देने की चर्चाएं थी।

सतीश पूनिया राजस्थान में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं और विधायक रहते हुए कई बार दक्षिण हरियाणा में चुनाव प्रचार और पार्टी कार्यक्रमों में आ चुके हैं। राजस्थान-हरियाणा की सियासत के एक जानकार का कहना है कि हरियाणा में पूनिया गोत्र के वोट ठीकठाक हैं। रोहतक, भिवानी, झज्जर, हिसार और सोनीपत के गोहाना क्षेत्र में इस गोत्र के मतदाताओं वाले कई गांव हैं।

पूनिया पहले भी इन जिलों में पार्टी की ओर से और व्यक्तिगत बुलावे पर भाजपा प्रत्याशियों की मदद के लिए आते रहे हैं। पिछले दिनों इसी गोत्र की एक बड़ी खिलाड़ी को भाजपा ने पार्टी की सदस्यता दिलाई थी और अब पार्टी प्रभारी भी इसी गोत्र से बनाए गए हैं।

भाजपा ने उन गैर जाट नेताओं को भी फिर से सक्रिय करने की तैयारी की है, जिनकी सतीश पूनिया से नजदीकी है। इनमें महेंद्रगढ़ जिले के एक कद्दावर नेता भी शामिल हैं जिनके चुनाव प्रचार में पूनिया व्यक्तिगत रूप से आते रहे हैं। इन दोनों नेताओं के हाथ में अपने-अपने प्रदेश में पार्टी की कमान रह चुकी है। इसके अलावा अहीरवाल क्षेत्र में पूनिया का आना-जाना लगातार बना रहा है। इसीलिए पार्टी में संतुलन साधने में भी भाजपा हाईकमान उनका उपयोग कर सकता है।

हरियाणा के मोदी हैं खट्टर, हाईकमान का आशीर्वाद

गुरुग्राम रैली के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मनोहर लाल खट्टर की तारीफ करके उनको हरियाणा में अपना प्रतिरूप बना दिया। खट्टर की सिफारिश पर नायब सैनी को मुख्यमंत्री का ताज सौंपा गया। अब हरियाणा का प्रदेश अध्यक्ष भी उनकी सिफारिश पर ही बनाए जाने की बातें सामने आ रही है।

हरियाणा भाजपा को जल्द ही नया प्रधान मिल जाएगा। मौजूदा प्रदेशाध्यक्ष नायब सिंह सैनी क्योंकि हरियाणा के मुख्यमंत्री बन चुके हैं। ऐसे में नये प्रदेशाध्यक्ष का फैसला होना है। नये प्रधान के लेकर सीएम नायब सिंह सैनी और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल की केंद्रीय नेतृत्व के साथ बातचीत हो चुकी है। सूत्रों का कहना है कि नया प्रधान मनोहर लाल की पसंद से ही बनेगा। ओमप्रकाश धनखड़ की जगह नायब सिंह सैनी को भी उस समय मनोहर लाल की सिफारिश पर ही राज्य में पार्टी की कमान सौंपी गई थी।

मुख्यमंत्री बदलने के बाद प्रदेश में जातिगत समीकरण भी बदले हैं। ऐसे में पार्टी जातिगत समीकरणों के हिसाब से ही नये प्रधान का फैसला करेगी। लोकसभा के अलावा आगामी विधानसभा चुनावों को भी ध्यान में रखकर यह फैसला किया जाएगा। भाजपा एक नेता को दो पद के फार्मूले के खिलाफ है। इसी के चलते नायब सिंह सैनी की जगह नये प्रधान बनना तय है। सूत्रों का कहना है कि पार्टी द्वारा पंजाबी, जाट, ब्राह्मण व एससी कोटे में से किसी को प्रधानगी देने पर मंथन चल रहा है।

पंजाबी कोटे में करनाल सांसद संजय भाटिया और पूर्व सहकारिता मंत्री मनीष ग्रोवर का नाम सबसे ऊपर है। दोनों ही पूर्व सीएम मनोहर लाल के नजदीकी भी हैं। संजय भाटिया का नाम इसलिए कट सकता है क्योंकि सीएम सैनी भी करनाल हलके से विधानसभा का उपचुनाव लड़ने वाले हैं। पूर्व सीएम मनोहर लाल भी करनाल लोकसभा से प्रत्याशी हैं। ऐसे में पार्टी करनाल की बजाय प्रधानगी किसी अन्य जिले में देने के पक्ष में है। इसी कारण पंजाबी कोटे से मनीष ग्रोवर का नाम काफी ऊपर बताया जा रहा है। ग्रोवर मूल रूप से रोहतक के रहने वाले हैं और 2014 में यहां से विधायक भी रहे हैं। भाजपा का प्रदेश मुख्यालय भी रोहतक में ही है। रोहतक को सरकार में प्रतिनिधित्व भी नहीं मिला है। ऐसे में संगठन के नाते ग्रोवर को यह जिम्मेदारी मिल सकती है।

वहीं जाट कोटे से राज्यसभा सांसद सुभाष बराला का नाम चल रहा है। ओमप्रकाश धनखड़ से पहले सुभाष बराला लगातार छह वर्षों तक प्रदेशाध्यक्ष रह चुके हैं। 2014 में टोहाना से विधायक रहे बराला की गिनती मनोहर लाल के विश्वासपात्रों में होती है। पूर्व सीएम की सिफारिश पर ही पार्टी नेतृत्व ने बराला को राज्यसभा में भेजने का निर्णय लिया था। मनोहर कैबिनेट में जाट कोटे से पांच मंत्री बनाए हुए थे। वहीं नायब सरकार में इनकी संख्या तीन है। इस वजह से भी बराला के नाम पर चर्चा शुरू हुई है। इसी तरह से ब्राह्मण कोटे से पूर्व सीएम के राजनीतिक सचिव रहे अजय गौड़ का नाम चर्चाओं में है। मूल रूप से फरीदाबाद के रहने वाले अजय गौड़ इस बार फरीदाबाद हलके से विधानसभा चुनाव भी लड़ना चाहते हैं। अनुसूचित जाति कोटे से अगर प्रदेशाध्यक्ष बनाया जाता है तो ऐसी स्थिति में राज्यसभा सांसद कृष्णलाल पंवार को यह मौका दिया जा सकता है।

मंत्रिमंडल में जातीय संतुलन बनाया 

लोकसभा की दसों सीटों पर जीत हासिल करने के लिए भाजपा ने रणनीति बदलते हुए मंत्रिमंडल विस्तार के माध्यम से नई बिसात बिछा दी है। मंत्रिमंडल विस्तार पूरी तरह से लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर किया गया है और जातीय व क्षेत्रीय समीकरणों को साधने की कोशिश की गई है। मंत्रिमंडल विस्तार के बाद प्रदेश के आठ लोकसभा क्षेत्रों में कम से कम एक विधायक को मंत्री या राज्य मंत्री के रूप में प्रतिनिधित्व दिया गया है। खास बात ये है कि जहां पर भाजपा मजबूत है, वहीं नए चेहरों को मंत्री पद का तोहफा दिया गया है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के गढ़ रोहतक और सोनीपत लोकसभा क्षेत्र में जहां भाजपा कमजोर है, वहां किसी नेता को मौका नहीं दिया गया है। अब संतुलन बनाने के लिए रोहतक से पूर्व मंत्री मनीष ग्रोवर या सोनीपत से मोहन लाल बड़ौली को प्रदेशाध्यक्ष बनाया जा सकता है।

जाटों, वैश्य और पंजाबियों को साधने की कोशिश

नए मंत्रिमंडल में खुद मुख्यमंत्री नायब सैनी ओबीसी चेहरा हैं, जबकि नए मंत्रिमंडल विस्तार से जाटों, वैश्य और पंजाबियों को साधने की कोशिश की है। अनुसूचित जाति में भी बनाया संतुलन, राजपूत को भी सरकार में प्रतिनिधित्व दिया है। मनोहर कैबिनेट के मुकाबले मंत्रिमंडल में जाटों की संख्या कम है, लेकिन इस बार वैश्य कोटे को अधिक तवज्जो मिली है।

वैश्य कोटे से पंचकूला विधायक ज्ञानचंद गुप्ता को पहले ही विधानसभा स्पीकर बनाया हुआ है। वहीं हिसार विधायक डॉ़ कमल गुप्ता को फिर से कैबिनेट मंत्री के तौर पर सरकार में शामिल होने का मौका मिला है। तीसरे वैश्य के रूप में अंबाला सिटी विधायक असीम गोयल की राज्य मंत्री के रूप में लाटरी लगी है। 

मंत्रिमंडल में जाट समाज से 3, वैश्य समाज, पंजाबी और अनुसूचित जाति से 2-2, यादव समाज, राजपूत, गुर्जर और ब्राह्मण समाज से 1-1 विधायक को मौका दिया गया है। अधिकतर उन्हीं जातियों के विधायकों को मौका दिया गया है, जिनका प्रदेश में मत प्रतिशत अधिक है।

गुरुग्राम के बाद अंबाला लोकसभा सबसे मजबूत

अगर लोकसभा क्षेत्र के हिसाब से प्रतिनिधित्व की बात करें तो गुरुग्राम लोकसभा सबसे मजूबत है। उसके बाद अंबाला का नंबर आता है। मुख्यमंत्री नायब सैनी खुद अंबाला से ताल्लुक रखते हैं। साथ ही अनिल विज की नाराजगी के चलते अंबाला शहर से विधायक असीम गोयल की लॉटरी लग गई। यमुनानगर से कंवरपाल गुर्जर को कैबिनेट में नंबर-2 का दर्जा प्राप्त है। पंचकूला से विधायक ज्ञानचंद गुप्ता विधानसभा अध्यक्ष हैं और पंचकूला भी अंबाला लोकसभा क्षेत्र ही हिस्सा है।

सुधा पर कुरुक्षेत्र की जिम्मेदारी

भाजपा ने कुरुक्षेत्र में थानेसर से विधायक सुभाष सुधा पर दांव खेला है और कैथल के कलायत से विधायक कमलेश ढांडा को हटाया गया है। इसके अलावा पिहोवा से संदीप सिंह भी मनोहर सरकार में मंत्री थे। करनाल लोकसभा में नायब सैनी खुद उप चुनाव में विधायक के उम्मीदवार हैं और पानीपत ग्रामीण से महिपाल ढांडा को मौका देकर जाटों को साधने की कोशिश की गई है, क्योंकि यहां से खुद पूर्व सीएम मनोहर लाल लोकसभा के प्रत्याशी हैं।

भिवानी में जाट और अहीरवाल को साधने की कोशिश

भिवानी में पहले से जेपी दलाल कैबिनेट में जाट चेहरे के तौर पर शामिल हैं। अब अहीरवाल को साधने के लिए डा. अभय सिंह नए लाए गए हैं। हिसार में डॉ. कमल गुप्ता और बिशंबर वाल्मीकि को जातीय समीकरणों के तहत मौका दिया गया है। फरीदाबाद लोकसभा में मूल चंद शर्मा पहले से मंत्री हैं, लेकिन अब सीमा त्रिखा को पंजाबी और महिला चेहरे के तौर पर शामिल किया है। इसी प्रकार गुरुग्राम में सोहना से विधायक संजय सिंह को राज्यमंत्री बनाया गया है। इस लोकसभा क्षेत्र से डॉ. बनवारी लाल पहले ही कैबिनेट मंत्री हैं। सिरसा लोकसभा में भाजपा ने निर्दलीय रणजीत सिंह चौटाला पर भरोसा जताया है।

रोहतक-सोनीपत को भागीदारी का इंतजार

सोनीपत जिले की छह सीटों में से दो भाजपा के पास हैं। इनमें राई में मोहनलाल बड़ौली और गन्नौर में निर्मल रानी विधायक हैं, शेष सीटों पर कांग्रेस और जजपा का कब्जा है। इसी प्रकार। रोहतक लोकसभा में रोहतक और झज्जर में भाजपा के पास केवल एक विधायक है, इसलिए यहां पर भी भाजपा ने किसी चेहरे को मंत्रिमंडल में मौका नहीं दिया है। रोहतक, सोनीपत, झज्जर, सिरसा, नूंह व चरखी दादरी ऐसे जिले हैं, जहां 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा खाता ही नहीं खोल पाई थी। पलवल, कैथल, सोनीपत, फतेहाबाद और जींद में पार्टी विधायक होते हुए भी किसी का नंबर कैबिनेट में नहीं लगा।

अंबाला, फरीदाबाद, भिवानी से दो-दो मंत्री, दस जिलों से सरकार में नहीं कोई प्रतिनिधि

फरीदाबाद, भिवानी और अंबाला जिलों से दो-दो विधायक मंत्री बने हैं। अन्य जिलों से एक-एक विधायक को मंत्री बनाया गया है। प्रदेश के कुल 22 जिलों में से 12 जिलों को सरकार में प्रतिनिधित्व मिल गया है। करनाल, सोनीपत, पलवल, नूंह, रोहतक, फतेहाबाद, कैथल, जींद, चरखी दादरी और झज्जर जिलों से नायब सरकार में कोई भी मंत्री नहीं है।