भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। 11 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली के उपरांत अचानक घटनाक्रम बदला और परिणामस्वरूप नायब सैनी को मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी मिली तथा यह जिम्मेदारी भी उस समय मिली जो समय परीक्षा का है। लोकसभा चुनाव सिर पर हैं। जानकारी के अनुसार आज शनिवार को 3 बजे चुनावों की तारीख की घोषणा भी हो जाएगी। तात्पर्य यह कि 3 बजे के बाद आदर्श चुनाव संहिता लागू हो जाएगी। अत: जो कुछ करना है, शीघ्र करना है। आशा है कि आज शनिवार को 3 बजे से पूर्व हरियाणा की जनता को और भी लोक-लुभावन घोषणाएं सुनने को मिलें।

विश्वस्त जानकारी के अनुसार आज शनिवार को दोपहर 11-12 बजे मंत्रिमंडल विस्तार की घोषणा हो जाएगी। गुरुग्राम के राजनैतिक गलियारों में विशेषकर भाजपा में यह चर्चा बहुत जोरों से चल रही है कि अकेला गुरुग्राम प्रदेश को आधे से अधिक राजस्व देता है, फिर भी यहां के किसी जनप्रतिनिधि को मंत्री पद पर आसीन नहीं कराया। देखना यह है कि अब मुख्यमंत्री मनोहर लाल की गलती को यह सुधारेंगे या नहीं?

दबे शब्दों में यह भी सुना जा रहा है कि अगर इस मंत्रीमंडल में भी गुरुग्राम के किसी विधायक को मंत्री पद नहीं मिला तो शायद इसका खामियाजा लोकसभा चुनाव में उठाना पड़े।

पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के काल में यह देखा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनेक भक्त थे या यूं कहें कि शिष्य थे। अगर कहा जाए कि ये मनोहर लाल के गुरुभाई थे और भाजपा के सशक्त जनाधार वाले नेता रहे हैं, जिनमें अगर नाम लें तो कैप्टन अभिमन्यु, रामबिलास शर्मा, ओमप्रकाश धनखड़, कृष्णपाल गुर्जर आदि के नाम लिये जा सकते हैं। मनोहर लाल काल में इन सभी से किनारा रखा और मनोहर लाल ने अपने शिष्यों पर विश्वास किया। इसे दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि गुरूभाईयों को छोड़ शिष्यों पर अधिक विश्वास जताया।

अब देखना यह होगा कि इस चुनाव के गंभीर समय में या नायब जो वर्तमान में मनोहर लाल के शिष्य माने जाते हैं, वह अपने विवेक से फैसला ले इन दिग्गजों को मान-सम्मान दे जिम्मेदारी सौंपेंगे या इसी प्रकार चलता रहेगा।

शपथ लेने के बाद से मुख्यमंत्री नायब सैनी के वक्तव्यों और क्रियाकलापों से ऐसा लगता है कि वह अपने आपको मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साये निकाल नहीं पाएंगे। यह निर्णय मैंने इन घटनाओं से लिया। जैसे मुख्यमंत्री बनने के बाद उनका कथन कि करनाल अब भी सीएम सिटी ही रहेगा। आज कुरूक्षेत्र में गुरुद्वारा उद्घाटन कार्यक्रम में भी वह उनके साथ ही नजर आए तो उससे ऐसा आभास होता है कि यह पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के निर्देशों के अनुसार ही कार्य करेंगे। तात्पर्य यह है कि हरियाणा की बागडोर अब अप्रत्यक्ष रूप से अब भी मनोहर लाल के हाथों में ही रहेगी।

अब सवाल यह है कि जब यह कार्यकलाप प्रत्यक्ष दिखाई दे रहे हैं तो भाजपा संगठन की स्थिति में या भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की सोच में कोई अंतर आएगा? दूसरा बड़ा प्रश्न यह भी है कि जो ओबीसी वर्ग नायब सैनी के मुख्यमंत्री बनने पर खुशियां मना रहा है, वह ओबीसी वर्ग भी यह कहते सुना गया है कि अब नायब सैनी मुख्यमंत्री बन गए हैं, वह जातिगत मतगणना भी कराएंगे और हरियाणा में भी क्रीमी लेयर 6 लाख से बढ़ाकर 8 लाख करेंगे और यदि इस दिशा में मुख्यमंत्री के कदम नहीं बढ़ते दिखाई दिए तो जो साधारण ओबीसी वर्ग इनके बनने की खुशियां मना रहा है, क्या वह इनके साथ रह पाएगा? ऐसे ही अनेक प्रश्न उठ रहे हैं।

error: Content is protected !!