हरियाणा में भाजपा-कांग्रेस जीत के प्रति आश्वस्त ……. कारण जान आमजन रह जाएंगे दंग भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक गुरुग्राम। सारे देश में चुनावी माहौल सिर चढक़र बोल रहा है। हरियाणा भी इससे अछूता नहीं है लेकिन जैसा मैंने महसूस किया कि आमजन से राजनीतिज्ञों सरोकार या जनसंवाद न के बराबर ही है। कुछ दिग्गज राजनीतिज्ञों से अनौपचारिक बात की तो उनकी बातों से जो निष्कर्श मैंने निकाला वह कुछ अजीब है। ऐसा मैंने तो जीवन में कभी देखा नहीं, मैं आपके साथ सांझा करता हूं और सोचता हूं कि शायद आप भी जानकर रह जाएंगे दंग। हमारी जीत का विश्वास हुड्डा, ……………… कांग्रेस हुड्डा को हटाएगी नहीं और हुड्डा बहुमत में आएंगे नहीं . सर्वप्रथम बात करें सत्तारूढ़ दल भाजपा की। भाजपाईयों का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी के ऊपर चुनाव लड़ा जाएगा और प्रधानमंत्री ने इतने काम किए हैं, जिनकी गिनती नहीं। अभी हाल ही में 500 वर्षों बाद राम मंदिर बनाया है। अत: प्रधानमंत्री के नाम पर ही वोट पड़ेंगे। उम्मीदवार कोई विशेष महत्व नहीं रखता और दूसरा कारण जो उन्होंने बताया यह कि हरियाणा में हमारा प्रमुख विपक्षी दल भूपेंद्र सिंह हुड्डा हैं और उनका अपनी पार्टी में ही सामंजस्य नहीं है। केवल पिता-पुत्र की पार्टी है, राजनैतिक रणनीति से कांग्रेसियों को यह दर्शाते रहते हैं कि आगामी सीएम मैं हूं और टिकट बंटवारा मुझे ही करना है तथा इस प्रकार जो राजनीति में महत्वकांक्षाएं पाले हुए हैं, वे लोग उनके साथ लग जाते हैं। पूरे प्रदेश में उनकी गिनती सैकड़ों में तो हो ही जाती है और जहां कोई कार्यक्रम करते हैं, उनसे कहते हैं कि कुछ व्यक्ति लाने हैं तो वह सौ-सौ भी लाएं तो पांडाल भरा नजर आता है। बाकी स्थिति यह है कि अबकी बात वह शायद रोहतक एमपी तो क्या अपनी किलोई की सीट भी निकालने में पसीना बहाना पड़ेगा। सफलता फिर संदिग्ध ही रहेगी। इस पर कुछ प्रश्न थे मन में जिनका उत्तर जानना चाहा, वह इस प्रकार से मिला कि आज हरियाणा में जो भाजपा प्रभावी है उसका कारण भूपेंद्र सिंह हुड्डा ही हैं। राव इंद्रजीत लें, चौ. धर्मबीर, अरविंद शर्मा, रमेश कौशिक, चौ. बिरेंद्र सिंह, अशोक तंवर आदि-आदि अनेक लंबी फेहरिस्त है, जो भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कारण ही भाजपा में हैं और अभी देखते रहिए चुनाव से पूर्व शायद इस बची-कुछी कांग्रेस में से भी कुछ और भाजपा में सम्मिलित हो जाएं। संक्षेप में भाजपाईयों के मुंह से यही निकलकर आया कि जो पार्टी वर्षों से अपना संगठन नहीं बना पाई, वह पार्टी चुनाव में विजय कैसे हासिल कर सकती है? हमारे हर बूथ पर कार्यकर्ता हैं और इनके हर गांव में भी नहीं मिलेंगे तथा इसका श्रेय अगर किसी को जाता है तो शायद भूपेंद्र सिंह हुड्डा ही हैं। अत: हरियाणा में हमारी जीत में कोई संदेह नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री मनोहर लाल ही बनेंगे हमारी जीत का कारण: कांग्रेसियों से जो बात निकलकर आई कि उनका विश्वास है कि जिस प्रकार देश महंगाई, बेरोजगारी आदि समस्याओं से त्रस्त है, इस सबका कारण प्रधानमंत्री ही हैं। दूसरी ओर हरियाणा में नजर डालें तो किसान, अध्यापक, कर्मचारी तात्पर्य यह कि सभी वर्ग आंदोलनरत हैं और सरकार से क्षुब्ध वे किसी कीमत पर सरकार को वोट नहीं देने वाले। इनका कहना था कि याद करो ताऊ देवीलाल को एक वर्ग के विरोध के कारण हारना पड़ गया था। इसी प्रकार चौ. बंसीलाल को भी एक वर्ग के कुपित होने से हार का सामना करना पड़ा था। और अब हर वर्ग ही सरकार से परेशान है। अत: इनकी जीत की आशाएं शून्य हैं। दूसरी ओर कांग्रेसियों का कहना है कि भाजपाई कांग्रेस पर आक्षेप करते हैं कि वह एकजुट नहीं हैं। वह यह भूल जाते हैं कि उनकी स्थिति कांग्रेस से भी बदतर है। कांग्रेस में तो प्रजातंत्र है, कार्यकर्ता-नेता अपनी बातें बोल देते हैं किंतु भाजपा में एक ऐसा माहौल बना हुआ है कि नरेंद्र मोदी के नाम पर किसी का मुंह नहीं खुलता, जबकि हरियाणा में मुख्यमंत्री मनोहर लाल से अनेक भाजपाई उनकी कार्यशैली को पसंद नहीं करते। इसी तर्क को बल देते हुए उन्होंने बताया कि वर्तमान में देखिए कि मनोहर लाल मुख्यमंत्री तो हैं ही लेकिन भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नाबस सैनी भी उन्हीं के निर्देशों पर कार्य करते हैं, यह सर्वविदित है। अत: यह कहना अनुचित नहीं होगा कि प्रदेश अध्यक्ष भी वही हैं। पिछले दिनों राज्यसभा चुनाव हुए, जिसमें हरियाणा से सुभाष बराला को राज्यसभा सदस्य बनाया गया। वह भी मुख्यमंत्री मनोहर लाल की छाया ही बताए जाते हैं और वर्तमान में तो उन्हें चुनाव समिति का संयोजक भी बना दिया है।इसी प्रकार हरियाणा भाजपा के प्रभारी बिप्लव देव चुनाव लडऩे के लिए अपने क्षेत्र चले गए हैं। और कोई अभी बनाया नहीं गया है। अत: प्रभारी का काम भी मुख्यमंत्री ही देख रहे हैं। एक कांग्रेस ने तो कहा कि यह कहावत चरितार्थ होती है— लाली तेरे लाल की जित देखूं उत लाल।लाली देखन मैं गयो तो मै भी हो गया लाल।। वर्तमान में तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लाल मनोहर लाल की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है। अत: जो अन्य भाजपा के पुराने कद्दावर नेता, जिसमें अनेक नाम बताए, जिनमें रामबिलास शर्मा, कैप्टन अभिमन्यु, ओमप्रकाश धनखड़ आदि-आदि। और इसी प्रकार मुख्यमंत्री के वर्तमान दसों सांसदों में से कितनों से तालमेल है, वह प्रत्यक्ष दिखाई दे रहा है। अत: बोलने वाले तो अपने दिल का मैल साफ कर लेते हैं और चुनाव में मिलकर साथ लड़ेंगे लेकिन जो मन में दर्द छिपाए बैठे हैं, आप ही विचारो कि क्या वे साथ दे पाएंगे? इस प्रकार देखा जाए तो दोनों ही दलों की अपने-अपने तर्क हैं अपने को विजयी मानने के लिए। इनमें एक बड़ी अजीब सी बात देखने को मिल रही है कि मोदी जी को भाजपाई भी अपनी जीत का कारण मानते हैं और कांग्रेसी भी। यह तो समय बताएगा कि मोदी किसके काम आएंगे? अनेक बाते हैं, चर्चा करते रहेंगे। आज के लिए इतना ही। Post navigation पीएम का हरियाणा के प्रति विशेष लगाव, एक महीने के भीतर यह दूसरा अवसर जब प्रधानमंत्री 11 मार्च को हरियाणा वासियों से होंगे रूबरू : मुख्यमंत्री मेदांता मेडिसिटी अस्पताल की सहायता से डेरावाल भवन में आयोजित “निःशुल्क स्वास्थ्य जाँच शिविर”: बोधराज सीकरी