
महिलाओं के राजनीति में हिस्सेदारी की बात पर प्रश्न चिह्न?
एक सवाल ये कि क्या जीती महिला पार्षद खुद सक्षम नही अपने वार्ड कि बात रखने के लिए, जो उनके रिस्तेदारो को बात रखनी पड़ती है?
गुरिंदरजीत सिंह

गुरिंदरजीत सिंह ने कहा कि बैठक में खास बात यह रही कि इस बैठक में कई महिला पार्षदों की जगह उनके पतियों ने हिस्सा लिया। इससे महिलाओं के राजनीति में हिस्सेदारी की बात पर प्रश्न चिह्न लग गया। कहने को महिला पार्षद भी बजट सत्र में थीं, लेकिन सदन में वे नही दिखी। और उनके स्थान पर उनके पतियों ने सदन की कार्यवाही में भाग लिया। क्या ये सविंधानिक है? उन्होंने ने कहा कि सदन की गोपनीयता की शपश महिला पार्षद ने ली, तो महिला पार्षद का पति कैसे सदन में दिखे? क्या हम महिला पार्षद की जगह उसके पति को पार्षद समझे??
महिला पार्षदों के काम में ससुर, पति व पुत्र न करें हस्तक्षेप।
गुरिंदरजीत सिंह ने बताया कि देखने में आया है कि महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए सरकार ने ग्राम पंचायत से लेकर संसद तक आरक्षण कर रखा है। लेकिन गुरुग्राम के निगम चुनाव में आज भी चुनकर आई कुछ महिला पार्षदों के स्थान पर उनके पति, पुत्र, भाई, अन्य रिश्तेदार महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं। निगम में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण किया गया है। जिसके तहत गुरुग्राम में 36 में से 12 पार्षद महिला चुनकर आई हैं। महिला पार्षद हैं, लेकिन आधे से ज्यादा पार्षदों का कामकाज उनके ससुर, पति, पुत्र, भाई या अन्य रिश्तेदार संभाल रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर बजट सभा की बात की जाए तो कुछ महिला पार्षदों के साथ उनके पति भी सभा में बैठे देखे गए। बल्कि कुछ महिला पार्षदों के पति ही सभा में अपने वार्ड की समस्या और उस के समाधान का बजट मांगते दिखे। जबकि वे बजट स्तर में कैसे और किस सविंधानिक पद से आए, किसी को पता नही?
गुरिंदरजीत सिंह ने कहा कि ऐसा इस बार ही नही बल्कि MCG पार्षदों के पिछले कार्य काल में भी देखा गया है, जब एक महिला पार्षद की जगह उसका पति सभा में जाता था। उन्होंने बताया कि ऐसे लोग सिर्फ सत्ता भोगने के लिए ही महिलाओ को आगे करते है, और आम जन या महिला सशिक्तकरण का उनसे दूर दूर तक कोई नाता नही होता।
क्या जीती महिला पार्षद खुद सक्षम नही अपने वार्ड कि बात रखने के लिए, ……?
आप को बता दे कि वार्ड 33 कि पार्षद सारिका की जगह उसके पति प्रशांत भारद्वाज सभा में अपना भाषण दिया। जनता पूछती है कि किस सविंधानिक पद पर है वो, जो सभा में भाषण दिया? ऐसे में क्या जीती महिला पार्षद खुद सक्षम नही अपने वार्ड की बात रखने के लिए, जो उनके रिस्तेदारो को बात रखनी पड़ती है? ऐसे ही पिछले कार्य काल में देखने को मिला था जब कुछ महिला पार्षदों की जगह उनके पति मीटिंग में जाते थे। ये भी देख गया कि पार्षद महिला है और शिलानियास पर साथ में नाम उसके पति का होता है। ये बात पहले वार्ड 15 (पुराना) में देखने को मिले थी, जब वहाँ की पार्षद सीमा पाहुजा ने बोर्ड पर अपने पति पावन पाहुजा का नाम भी लिखा हुआ था। ऐसे में सवाल ये ही है कि क्या महिला पार्षद अपने रिश्तेदारों के इशारे पर का करती है, या स्वंयम भी फैन्सले ले ने में सक्षम है?
निष्कर्ष:
33% आरक्षित सीट महिलाओ की भागीदारी बढ़ाने के लिए, महिलाओ के सम्मान के लिए, महिला सशक्तिकरण के लिए दिया गया है, या रसूक्दारो के सामने प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार काम करने के लिए? जब की महिला पार्षद के पति, ससुर या अन्य रिश्तेदारों उसकी जगह अहम भूमिका निभाते है और महिला उम्मीदवार/ महिला पार्षद सिर्फ चुनावी प्रचार सभाओ, रैलियों में ही दिखती है, क्या उनके रिश्तेदार सिर्फ सत्ता पाने के लिए महिलाओ को आगे करते है, उसके बाद महिला पार्षद को घर बिठा खुद ऑफिस चलाते है। ऐसा देख गया है कि महिला पार्षद अपने ऑफिस में बहुत कम आती है, रोज़ाना ऑफिस को उनके रिश्तेदार चलाते है। महिला पार्षद के कागज़ों पर सिर्फ हस्ताक्षर कके लिए है,? ये कैसी महिलाओ की भागीदारी है? ऐसे कैसे महिलाओ का सशक्तिकरण होगा? ऐसा करना महिलाओ का सम्मान कैसे?