चंडीगढ़ / गुरुग्राम, 11 अप्रैल 2025 – हरियाणा सरकार द्वारा नवगठित मानेसर नगर निगम को लेकर कानूनी पेचिदगियों ने तूल पकड़ लिया है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के अधिवक्ता हेमंत कुमार ने महामहिम राज्यपाल, मुख्यमंत्री, शहरी स्थानीय निकाय मंत्री समेत कई वरिष्ठ अधिकारियों एवं प्रतिनिधियों को संबोधित एक विस्तृत ज्ञापन भेजकर मानेसर नगर निगम की वैधानिकता पर गंभीर प्रश्न उठाए हैं।
हेमंत कुमार के अनुसार, हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1994 की धारा 3(2) के अनुसार किसी भी क्षेत्र को नगर निगम घोषित करने के लिए न्यूनतम तीन लाख की जनसंख्या आवश्यक है। जबकि राज्य सरकार द्वारा 20 दिसंबर 2024 को जारी नोटिफिकेशन के अनुसार मानेसर की कुल जनसंख्या मात्र 1,60,886 है, जो इस निर्धारित सीमा से लगभग आधी है।
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि 25 मार्च 2025 को डॉ. इन्द्रजीत यादव को मानेसर नगर निगम का प्रथम मेयर नियुक्त किया गया, परंतु निगम की जनसंख्या अधिनियम के अनुरूप नहीं है, जिससे इसकी वैधता पर प्रश्नचिह्न लग रहा है। ज्ञापन में यह भी कहा गया कि 2002 से पूर्व यह जनसंख्या सीमा पाँच लाख थी, जिसे ओमप्रकाश चौटाला सरकार द्वारा संशोधित कर तीन लाख कर दिया गया था।
एडवोकेट हेमंत ने हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1994 में आवश्यक संशोधन की मांग की है जिससे मानेसर नगर निगम को स्पष्ट कानूनी मान्यता मिल सके। उन्होंने इस विषय में हरियाणा राज्य निर्वाचन आयोग को भी पूर्व में पत्र लिखा था, जिसमें फरवरी-मार्च 2025 में हुए प्रथम आम चुनाव की वैधानिकता पर भी आपत्ति जताई गई थी।
ज्ञापन की एक प्रति हरियाणा के राज्य निर्वाचन आयुक्त धनपत सिंह को भी भेजी गई है, ताकि आयोग इस गंभीर विषय पर राज्य सरकार से स्पष्ट स्पष्टीकरण ले सके।
प्रशासन की चुप्पी चिंताजनक
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस मुद्दे को समय रहते नहीं सुलझाया गया तो मानेसर नगर निगम के गठन पर पुनर्विचार की नौबत आ सकती है, जिससे वहां के प्रशासनिक एवं विकासात्मक कार्य प्रभावित हो सकते हैं।
यह मुद्दा न केवल प्रशासनिक पारदर्शिता से जुड़ा है, बल्कि संवैधानिक मर्यादा और विधिक प्रक्रिया की पालना का भी प्रश्न है। आगे देखना होगा कि राज्य सरकार इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाती है और क्या नगर निगम अधिनियम में संशोधन के लिए विधानसभा में कोई प्रस्ताव लाया जाता है या नहीं।