हिमाचल प्रदेश के 6 कांग्रेस बागी  विधायकों की अयोग्यता पर उठा  सवाल ?

दल-बदल कानून के गलत प्रावधान में किए गया अयोग्य घोषित ? – एडवोकेट हेमंत कुमार 

चंडीगढ़ — 29 फरवरी   हिमाचल प्रदेश विधानसभा सचिवालय द्वारा  जारी एक नोटिफिकेशन  में उल्लेख है   कि अध्यक्ष (स्पीकर), हिमाचल प्रदेश विधानसभा के निर्णय दिनांक 29 फरवरी 2024 के अनुसरण में हिमाचल प्रदेश की 14वीं विधानसभा के 6 सदस्य नामत: सुधीर शर्मा, रवि ठाकुर, राजेंद्र राणा, इंद्र दत्त लखनपाल, चैतन्य शर्मा और देवेंद्र कुमार (भुट्टो) को भारत के संविधान की दसवीं अनुसूची के पैराग्राफ 2 (1) (ए) जिसे संविधान के  अनुच्छेद 191(2) के साथ पढ़ा जाये एवं  हिमाचल प्रदेश विधानसभा सदस्य (दल-बदल के आधार पर अयोग्यता) नियम, 1986 के अंतर्गत  हिमाचल प्रदेश विधानसभा की  सदस्यता से अयोग्य घोषित किया  जाता है.  तदनुसार उक्त सभी 6 विधायक 29 फरवरी 2024 से हिमाचल प्रदेश विधान सभा के सदस्य नहीं रहेंगे एवं इसके  परिणामस्वरूप प्रदेश की 6 विधानसभा सीटें नामत: धर्मशाला, लाहौल और स्पीति, सुजानपुर, बड़सर, गगरेट और कुटलैहड़ की विधानसभा  सीटें रिक्त घोषित की जाती हैं. 

इसी  बीच पंजाब एवं  हाईकोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार  ने उपरोक्त 6 बागी कांग्रेस विधायकों की  हिमाचल प्रदेश विधानसभा से अयोग्यता बारे जारी नोटिफिकेशन  में भारत के संविधान  की दसवीं अनुसूची (जिसे आम  भाषा में दल-बदल विरोधी कानून कहा जाता है ) के पैरा 2 (1) (ए) के उल्लेख पर सवाल उठाया है क्योंकि उक्त प्रावधान स्वेच्छा से  राजनीतिक दल की सदस्यता छोड़ने के सम्बंधित है. उन्होंने आज इस सम्बन्ध में हिमाचल प्रदेश विधानसभा के स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया, विधानसभा के सचिव यश पाल शर्मा, मुख्यमंत्री एवं सभी छ:  अयोग्य घोषित बागी  कांग्रेस विधायकों  को भी लिखा है. 

हेमंत का कहना है कि सच  यह है कि अगर 6 बागी विधायकों को अयोग्य घोषित किया जाना है, तो यह दल-बदल विरोधी कानून के पैरा 2 (1) (बी) के तहत ही किया जा सकता है, जिसमें उल्लेख है कि  किसी  मामले में  राजनीतिक दल या उसके द्वारा प्राधिकृत  व्यक्ति या प्राधिकारी की पूर्व अनुमति प्राप्त किए बिना उस दल के  (बागी) विधायकों द्वारा सदन में उसके विपरीत   वोट देने या मतदान से अनुपस्थित रहने पर अयोग्यता का प्रावधान है. जहाँ तक राज्यसभा चुनाव के मतदान में 6 बागी कांग्रेस विधायकों द्वारा भाजपा उम्मीदवार  हर्ष महाजन के पक्ष में वोट देने का विषय है, हेमंत ने बताया कि अपनी  पार्टी के विरूद्ध राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग करने पर किसी भी विधायक को विधानसभा सदस्यता से अयोग्य घोषित नहीं किया जा सकता है. 

 दरअसल, हिमाचल प्रदेश  में सुखविंदर सुक्खू के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार ने इस आधार पर  कि चूंकि 6 बागी विधायकों ने 28 फरवरी 2024 को विधानसभा में बजट (विनियोजन/वित्त विधेयक) पारित होने के दौरान सदन में उपस्थित न  रहते सदन में  पार्टी द्वारा इस सम्बन्ध में जारी  व्हिप का उल्लंघन किया था, इसलिए वे अयोग्य घोषित किये जाने चाहिए, इस आधार पर विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें विधानसभा सदस्यता से अयोग्य किया है.   हेमंत का कहना है कि  हिमाचल प्रदेश विधानसभा सचिवालय द्वारा जारी  अयोग्यता नोटिफिकेशन में  संविधान की दसवीं अनुसूची के पैरा 2(1)(बी) के स्थान पर  पैरा 2(1)(ए) उल्लेख क्यों और कैसे किया गया है एवं क्या यह  गलती से   हो गया है  या किसी अन्य कारण से, यह जांच करने  लायक है. 

हेमंत ने  जिस अत्यंत तेजी  से हिमाचल प्रदेश विधानसभा  अध्यक्ष ने 6 बागी कांग्रेस विधायकों को वर्तमान 14वीं हिमाचल प्रदेश विधानसभा की सदस्यता से दल-बदल विरोधी कानून के  अयोग्य घोषित कर दिया, उस पर भी आश्चर्य व्यक्त किया. उन्होंने  कहा कि सुप्रीम कोर्ट के वर्ष  1992 में दिए गये  संविधान पीठ  के एक निर्णय के फलस्वरूप  दल-बदल विरोधी कानून के तहत अध्यक्ष द्वारा जारी  अयोग्यता आदेश को हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट  के  रिट क्षेत्राधिकार के तहत  चुनौती दी जा सकती है और  कोर्ट भारतीय चुनाव आयोग को  आदेश भी  दे सकता है कि मामले में सुनवाई के लंबित होने के चलते  रिक्त घोषित  6 विधानसभा सीटों  पर उपचुनाव नहीं कराया जाए. बहरहाल, अगर अदालत उपचुनाव के स्थगन का  ऐसा आदेश नहीं देती है तो आर.पी. कानून, 1951 की धारा 151 ए के अनुसार रिक्त , 6 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव कराने की अधिकतम समय अवधि रिक्ति होने की तारीख से छह महीने तक  है अर्थात  28 अगस्त 2024 तक उपचुनाव कराए जा सकते हैं. हालांकि, चूंकि 18वीं लोकसभा के लिए आम चुनाव अप्रैल-मई 2024 में होने हैं, इसलिए भारतीय निर्वाचन आयोग संभवत: आगामी  लोकसभा आम चुनावों के साथ भी हिमाचल प्रदेश विधानसभा में रिक्त घोषित 6 विधानसभा सीटों पर  उपचुनाव  करा सकता है.

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