21 वर्षीय किसान शुभकरण सिंह की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा …… उनकी मौत मेटल छर्रे लगने सेे हुई : विद्रोही

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट की यह टिप्पणी कि हरियाणा पुलिस किसानों पर आंतकवादियों की तरह गोली चला रही है, हरियाणा पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खडा करती है : विद्रोही

किसानों की आवाज व आंदोलन को कुचलने के लिए जब ऐसेे दमनकारी रवैया भाजपा सरकार अपना रही हो, तब भारत में लोकतंत्र व संविधान का राज बचा कहां है? विद्रोही

02 मार्च 2024  – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि शम्भू बार्डर पर पुलिस झडप में मारे गए 21 वर्षीय किसान शुभकरण सिंह की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि उनकी मौत मेटल छर्रे लगने सेे हुई है। अब यह साफ हो गया है कि हरियाणा पुलिस किसानों से दुश्मनों जैसा व्यवहार कर रही हैं। विद्रोही ने कहा कि पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट की यह टिप्पणी कि हरियाणा पुलिस किसानों पर आंतकवादियों की तरह गोली चला रही है, हरियाणा पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खडा करती है।

जब पुलिस निहत्थे आंदोलनकारी किसानों को काबू पाने के नाम पर इस तरह गोलिया बरसाएगी तो यह सवाल तो उठेगा ही कि क्या आंदोलनकारी किसान भारत के नागरिक है या पाकिस्तान के जो उनसे ऐसा क्रूर, बर्बर, अमानवीय व्यवहार पुलिस कर रही है? क्या देश की राजधानी दिल्ली में जाकर किसानों का प्रदर्शन करना अपराध है? देश के किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली में आंदोलन क्यों नही कर सकते? भारत में लोकतंत्र, संविधान का राज है या संघी फासीजम का राज है? विद्रोही ने कहा कि हद तो तब हो गई जब अम्बाला पुलिस ने आंदोलनकारी किसानों की पासपोर्ट, वीजा रद्द करवाने की भी कानूनी तैयारी शुरू की दी। क्या अम्बाला पुलिस ने ऐसा अलोकतांत्रिक दमनकारी कदम प्रधानमंत्री मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर के आदेश पर उठाया या किसी अन्य उच्च हरियाणा पुलिस अधिकारी की ओर से ऐसा लिखित आदेश अम्बाला पुलिस को मिला है? इसकी जानकारी पुलिस को हरियाणावासियों को देनी चाहिए। जब हरियाणा पुलिस व भाजपा सरकार अपने देश के अन्नदाता किसानों के साथ ही आतंकवादियों जैसा व्यवहार कर रही हो तो सहज अनुमान लगा ले भाजपा कितनी किसान विरोधी मानसिकता वाली पार्टी है।  

विद्रोही ने हरियाणा व देश के सभी जागरूक नागरिकों से आग्रह किया कि वे गंभीरता से विचारे कि लोकतंत्र होते हुए भी किसानों की आवाज व आंदोलन को कुचलने के लिए जब ऐसेे दमनकारी रवैया भाजपा सरकार अपना रही हो, तब भारत में लोकतंत्र व संविधान का राज बचा कहां है? आज यह व्यवहार किसानों के साथ हो रहा है, कल रोजगार की मांग करने वाले युवाओं से होगा, परसों यौन शोषण  के खिलाफ आवाज उठाने वाली महिलाओं से होगा। तरसों अपने हकों की मांग करने वालेे सरकारी, अर्धसरकारी कर्मचारियों, औद्योगिक असंगठित क्षेत्र के मजदूरों, व्चापारियों, दुकानदारों व आमजनों के साथ ही ऐसा ही व्यवहार होगा। विद्रोही ने कहा कि भारत में लोकतंत्र व संविधान को कुचलकर जिस तरह नागपुरिया संघी फासीजम लादने का षडयंत्र मोदी-भाजपा-संघ सत्ता दुरूपयोग से कर रहे है, उसके खिलाफ पूरे देश ने एकजुट होकर खडा होकर लोकसभा चुनाव 2024 में वोट की चोट से भाजपा को करारा सबक नही सिखाया तो भारत के लोकतंत्र को बनाना रिपब्लिक बनने में जरा भी देर नही होगी।   

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