हिसार। फरवरी 24 – शहर के वरिष्ठ नागरिकों की संस्था वानप्रस्थ ने वसंतोत्सव महान संगीतकार सचिनदेव बर्मन के उन गीतों को गाकर मनाया जो साठ, सत्तर और अस्सी के दशक में उनके युवा काल में कहीं गहरे पैठ कर गए थे और जिन्हें वे जीवन पर्यन्त गुनगुनाते आए हैं।

एस डी बर्मन न केवल एक उत्कृष्ट संगीतकार थे बल्कि एक अनुपम गायक भी थे। उनकी अमर धुनों में लोकसंगीत और खास तौर पर बंगाल का नाव संगीत रचा बसा है।

कार्यक्रम का संयोजन एवम संचालन सुनीता मेहतानी और प्रो रामकुमार सैनी ने किया। प्रो सुनीता जैन ने एस डी बर्मन का जीवन परिचय दिया और उनके जीवन, संगीत व गीतों पर आधारित एक प्रश्नोत्तरी भी आयोजित की।

शुरुआत एस डी बर्मन के स्वयं गाए गीतों से हुई। प्रो सैनी ने उन्हीं के अंदाज में भारी आवाज़ और ऊंची गूंज के साथ फिल्म… का गीत सुन मेरे मितवा रे .. गाकर समां बांध दिया। प्रो एस एस धवन ने बंदिनी फिल्म के गीत, मेरे साजन हैं उस पार.. के साथ क्रम को आगे बढ़ाया और दूरदर्शन के पूर्व निदेशक अजीत सिंह ने गाइड फिल्म के गीत, वहां कौन है तेरा, मुसाफिर जायेगा कहां.. गाकर कार्यक्रम की रोचकता बढ़ा दी।

इंजीनियर योगेश सुनेजा ने भी एस डी बर्मन का फिल्म आराधना का स्वयं गाया गीत पेश किया, काहे को रोए, सफल होगी तेरी आराधना…

एस डी बर्मन द्वारा संगीतबद्ध अनेक गीतों के मुखड़ों पर आधारित गीतमाला भी समारोह का प्रमुख आकर्षण रही जिसे दस महिलाओं ने संयुक्त स्वर में प्रस्तुत कर खूब वाहवाही लूटी।

एकल गीत की बारी आई तो सुनीता मेहतानी ने फिल्म बंदिनी का गीत चुना, मेरा गोरा रंग लइले, मोहे श्याम रंग देईदे…

कुछ और बानगी देखिए:
क्या से क्या हो गया, बेवफा तेरे प्यार में… प्रस्तुति प्रेम केडिया,
अब के बरस भेज भैया को बाबुल, सावन लीजो बुलाए रे… प्रस्तुति वीणा अग्रवाल,

वक्त ने किया क्या हसीं सितम… प्रस्तुति कमलेश कुकरेजा,

चांद फिर निकला, मगर तुम ना आए… प्रस्तुति राज रानी मलहान,

ये रात ये चांदनी फिर कहां, सुन जा दिल की दास्तां…. प्रस्तुति प्रो सुरजीत जैन।

ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है… प्रस्तुति प्रो सैनी।

दिन ढल जाए हाय, रात न जाए… प्रस्तुति करतार सिंह।

ना तुम हमें जानो, न हम तुम्हे जाने... प्रस्तुति प्रो पुष्पा खरब।

इनके इलावा और भी कई सदस्यों ने एस डी बर्मन के संगीतबद्ध किए गीत प्रस्तुत किए और उनके जीवन के कई किस्से सुनाए। इनमें प्रो स्वराज कुमारी, प्रो सुनीता श्योकंद, प्रो आर के जैन व अन्य शामिल थे।

वानप्रस्थ के जनरल सेक्रेटरी प्रो जे के डांग ने सभी का धन्यवाद किया और कहा कि भारतीय संस्कृति और संगीत परंपरा को समृद्ध करने वाले अन्य संगीतकारों, गायकों व गीतकारों पर भी भविष्य में ऐसे कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

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