हरियाणा विधानसभा ने सर्वसम्मति से श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के संबंध में धन्यवाद व बधाई प्रस्ताव किया पारित

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इस संबंध में सदन में पेश किया था सरकारी प्रस्ताव

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का विशेष रूप से आभार, जिन्होंने रामराज्य की परिकल्पना का भारत बनाने का संकल्प लिया है

चंडीगढ़, 21 फरवरी- हरियाणा विधानसभा द्वारा आज गत 22 जनवरी, 2024 को श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के संबंध में धन्यवाद व बधाई प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया। सदन के नेता और मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने सदन में इस संबंध में सरकारी प्रस्ताव प्रस्तुत किया।        

श्री मनोहर लाल ने प्रस्ताव प्रस्तुत करते हुए कहा कि अयोध्या में गत 22 जनवरी, 2024 को श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बारे में आज इस गरिमामय सदन में धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत करना मेरे लिए परम सौभाग्य का विषय है। श्री राम मंदिर की पुनः स्थापना से आज हर भारतवासी प्रफुल्लित और गौरवांवित महसूस कर रहा है। हरियाणा के लोगों के साथ-साथ यह सदन उन सब महानुभावों के प्रति आभार व्यक्त करता है जिन्होंने मनसा-वाचा-कर्मणा इस अद्भुत उपलब्धि में योगदान दिया है।

  उन्होंने कहा कि भगवान श्री राम हमारे आराध्य हैं और इस विशाल राष्ट्र की ऊर्जा के स्रोत हैं। वे हमारे लिए प्रेरणा भी हैं और मार्गदर्शक भी। यह सदन महसूस करता है कि उनकी चर्चा करने भर से हमें श्रीराम द्वारा स्थापित जनसेवा के उन उच्च आदर्शों का स्मरण हो जाता है जो आज हमारे लोकतंत्र को महान शक्ति प्रदान करते हैं।        

मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘राम राज्य’ भारतीय सांस्कृतिक और आध्यात्मिक चिंतन की एक महत्वपूर्ण अवधारणा है, जो आदर्श शासन की कल्पना करती है। ‘राम राज्य’ का आदर्श एक ऐसे समाज की कल्पना करता है जहाँ न्याय, समानता, भाईचारा और खुशहाली है। भारतीय संस्कृति में ‘राम राज्य’ की अवधारणा न केवल एक राजनीतिक या सामाजिक आदर्श के रूप में मानी जाती है, बल्कि यह आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों की भी प्रतिष्ठा करती है।        

उन्होंने कहा कि श्रीरामचरितमानस में कहा गया है- दैहिक दैविक भौतिक तापा। राम राज नहिं काहुहि ब्यापा, सब नर करहिं परस्पर प्रीती। चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीती अर्थात रामराज्य में किसी को दैहिक, दैविक और भौतिक तकलीफ नहीं थी। सब मनुष्य परस्पर प्रेम करते थे और वेदों में बताई हुई नीति (मर्यादा) में तत्पर रहकर अपने-अपने धर्म का पालन करते थे। रामराज्य की ये विशेषताएं हमें आज भी वैसा ही भारत बनाने की प्रेरणा देती हैं। यह सदन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का विशेष रूप से आभार व्यक्त करता है जिन्होंने ऐसा ही भारत बनाने का संकल्प लिया है और उसी की सिद्धि के भगीरथ प्रयास के रूप में अयोध्या में श्रीराम मंदिर की स्थापना की है।       

 मुख्यमंत्री ने कहा कि श्री राम इस सांस्कृतिक राष्ट्र की चेतना हैं। श्री राम हमारी विरासत हैं, श्री राम एक सभ्यता हैं, श्री राम एक संस्कृति हैं। इसलिए अब जब वे 550 वर्षों के बाद अयोध्या में विराजमान हुए हैं तो कश्मीर से कन्या कुमारी तक ही नहीं, पूरी दुनिया में फैले उनके भक्तों के इस अथाह मानव समुद्र में आस्था की प्रबल लहरें उठ रही हैं और हमारा परम सौभाग्य है कि हम ऐसे सुखद समय का आनन्द ले रहे हैं। हमें यह सुख व आनन्द हमारे लाखों पूर्वजों के तप और बलिदान से प्राप्त हुआ है। यह सदन अपने उन सब पूर्वजों के प्रति नतमस्तक होते हुए उनके प्रति अपार कृतज्ञता व्यक्त करता है।       

 उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि अमृत काल की शुभ बेला में प्राप्त हुई है। यह अगले 25 वर्षों में एक सशक्त, समावेशी और समृद्ध भारत बनाने के महत्वाकांक्षी विजन को प्राप्त करने का शुभ संकेत है।

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