*किसानों की दोगुनी आय वाली गारंटी की विफलता पर कुछ बोले बगैर निकल गए मोदी : माईकल सैनी (आप)
*तारीख पर तारीख समान सी क्यों लग रही है मोदीजी की गारंटी पर गारंटी ? माईकल सैनी (आप)

गुरुग्राम 16 फरवरी 2024 प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रेवाड़ी रैली को ऐतिहासिक महत्व नहीं मिल सकने व जुनून के आभाव वाले कारणों को यदि देखा जाए तो प्रमुखता से जनसरोकार की घोर अंदेखियाँ होना नजर आता है उधर आत्ममुग्ध मोदीजी पर शायद ही इन बातों का कोई असर हो चूँकि थोड़े कम को बहुत अधिक बताने में माहिर गोदिमीडिया जो है साथ है उनके मगर जहां तक बात जन भागीदारी की करें तो उसका क्या है मौजूदा सरकार में और क्या उसके लिए भी लोगों को किसानों की तर्ज पर संघर्ष करना पड़ेगा ?
आम आदमी पार्टी नेता माईकल सैनी ने कहा कि किसान एमएस स्वामीनाथन की रिपोर्ट जिसके मुताबिक लागत मूल्य का 50 फीसदी मूल्य बढ़ाकर एमएसपी ही तो लागू करने की बात है जिसे बतौर कमेटी सदस्य व गुजरात के मुख्यमंत्री रहते स्वम् अत्याधिक बल देकर प्रस्तावित कर चुके थे , किसान हितों के लिए कड़ी चुनोतियों को देने का कार्य करते थे फिर प्रधानमंत्री बन जाने के बाद उसे भूला दिया गया सवाल यह है और यह भी है कि क्या इस तरह से किसानों को न्याय देने का सोच रखते थे मोदी ?
दो साल बाद भी केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त कमेटी सदस्यों से रिपोर्ट तलब कर कोई निर्णय नहीं ले सकी मोदी सरकार अपने द्वारा किए गए वायदे के मुताबिक तो इसमें भी क्या किसानों की गलती है और क्या अब किसान आपके उसी वायदे की याद दिलाने दिल्ली आना चाहते हैं तो क्या वह कोई पाप कर रहे हैं सवाल यह भी है कि सरकार की मंशा एमएसपी लागू करने की थी ही नहीं तो झूठा वायदा ही क्यों किया ?
माईकल सैनी ने कहा यह तो ठीक वैसा ही लगता है कि कर्ज कर मुकर जाओ और मांगने वाला आए तो पिटाई करो उनकी बात को जायज ठहराने वालों को भी धमकाओ, किसान घायल हो रहे हैं, मारे जा रहे हैं उनपर ज्यादतियां और जुल्मों को दुनिया देख रही है किस प्रकार उन्हें चुन-चुनकर निशाना बनाया जा रहा है , आय दोगुनी करना तो दूर उन्हें आपको आपका ही किया वायदा याद कराने के लिए भी जानें गंवानी पड़ रही हैं, जो मंजर बन रहा है वह प्रत्येक नागरिक को झकझोर रहा है जो मन में विचार कर रहे हैं कि क्या ऐसे मानक कभी इतिहास में भी अपनाए गए थे अथवा पहली बार न्याय करने को ऐसे परिभाषित किया जा रहा है , सवाल है आखिर सरकार बनाम किसान के बीच इस संघर्ष का परिणाम क्या निकलेगा इस बात का प्रधानमंत्री ने रेवाड़ी रैली में कोई जिक्र तक नहीं किया मगर क्यों इसी निष्कर्ष को निकालना चाह रहे हैं लोग भी !
माईकल सैनी ने कहा आवाजाही अवरुद्ध हो जाने से उद्योगपतियों की चिंता तो बढ़ ही गई है साथ ही मजदूरों को भी मजदूरी की चिंता सताने लगी है , कम्पनियों के श्रमिको को भारी परेशानियों से गुजरना पड़ रहा है , सब्जियों के जरूरी समान की पहुंच नहीं होने के कारण ग्रहणीयों की रसोई का बजट बढ़ गया है , बच्चों की परीक्षाएं प्रभावित हो रही हैं अर्थात ऐसे घटनाक्रम को लेकर तनिक भी जिक्र नहीं करना भी लोगों की उमंग में कमीं ला रहा था , इधर मोदीजी गारंटी पर नयी गारंटी दिए जा रहे थे जब्कि वास्तविकता यह रही इस रैली की आत्ममुग्ध मोदी जी ने जनसरोकार को बिसरा दिया और जनता के मुद्दे धरे रह गए , अब देखते हैं कि जनता झूठ का क्या करेगी नकारेगी भाजपा को या फिर अभी और भी कुछ सहेगी ?