अजीत सिंह

हिसार। फरवरी 10 – हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय की पूर्व प्रोफेसर डॉ सुनीता श्योकंद ने कहा है कि जलवायु परिवर्तन अब इस स्तर पर पहुंच चुका है कि अमेरिका के कैलिफोर्निया जैसे इलाकों में बारिश अब आसमानी नदियों से होने लगी है जो एक ही दिन में 300 मिलीमीटर तक जल बरसा कर भारी बाढ़ के हालात पैदा कर देती हैं।

वानप्रस्थ संस्था में पावर प्वाइंट प्रस्तुति के ज़रिए उन्होंने बताया कि किस तरह ग्लोबल तापमान बढ़ रहा है। इसी वजह से समुद्र से वाष्पीकरण बढ़ रहा है जो कैलिफोर्निया के ऊपर करीबन 3000 किलोमीटर लंबी और कुछ सौ किलोमीटर चौड़ी नदी जैसा रूप ले लेता है जिसे मौसम वैज्ञानिक अब आसमानी नदी का नाम देने लगे हैं। यह आसमानी नदी बरसती है तो जलथल कर देती है और जान माल का भारी नुकसान करती है।

प्रो श्योकंद ने कहा कि औद्योगिक क्रांति के साथ वातावरण का तापमान बढ़ना शुरू हुआ और यह वृद्धि एक दशमलव एक पांच डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुकी है। स्थिति नहीं संभाली गई तो शीघ्र ही यह एक दशमलव पांच डिग्री सेल्सियस की उस सीमा को भी पार कर जाएगी जो दुबई में विश्व पर्यावरण सम्मेलन में 200 देशों के प्रतिनिधियों ने तय की थी। बीबीसी की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक 2023 इतिहास का अब तक का सबसे गर्म वर्ष रहा जिसमे औसत तापमान वृद्धि डेढ़ डिग्री तक पहुंच गई।
प्रो श्योकंद ने कहा कि पहाड़ों पर ग्लेशियरों का पिघलना, मैदानों में सूखा पड़ना, जंगलों में आग, समुद्री तूफानों की बढ़ती संख्या और तीव्रता का कारण कोयले और पेट्रोलियम पदार्थों के बढ़ते उपयोग के कारण हो रही ग्लोबल वार्मिंग का परिणाम हैं।

प्रो सुनीता जैन ने विषय को आगे बढ़ाते हुए कहा कि हमें सोलर, वायु, जल और न्यूक्लीयर ऊर्जा जैसे गैर परंपरागत साधनों की ओर जाने की जरूरत है। देश में एक करोड़ घरों पर सोलर प्लांट लगाने की प्रधान मंत्री की घोषणा को एक सराहनीय कदम बताते हुए उन्होंने कहा कि हर नागरिक को इस योजना का लाभ उठाना चाहिए ताकि कोयले से चलने वाले बिजलीघर बंद किए जा सकें जो सबसे ज़्यादा प्रदूषण फैलाते हैं और ग्लोबल वार्मिंग करते हैं। इलेक्ट्रिक वाहनों को भी बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
सुनीता मेहतानी ने कहा कि बड़े पैमाने पर पेड़ लगाने और स्वच्छता अभियान से भी पर्यावरण सुधार किया जा सकता है। संस्था के सह सचिव प्रो आर के जैन ने कहा ग्लेशियर पिघलने से उनमें सदियों से दबे पड़े माइक्रोब कोरोना जैसी खतरनाक बीमारियां भी फैला सकते हैं, इसलिए ग्लेशियर सुरक्षित रखना भी ज़रूरी है। प्रो राज गर्ग ने पर्यावरण संरक्षण पर एक कविता सुनाई।
विषय पर हुई चर्चा में अजीत सिंह व डी पी ढुल सहित कई सदस्यों ने भाग लिया।

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