गुडग़ांव, 5 फरवरी (अशोक): बिजली चोरी के मामले की सुनवाई करते हुए सिविल जज मानसी गौड़ की अदालत ने बिजली निगम द्वारा लगाए गए चोरी के आरोपों को गलत पाते हुए बिजली निगम को आदेश दिए हैं कि जमा कराई गई 44 हजार 942 रुपए की जुर्माना राशि का भुगतान 24 प्रतिशत ब्याज दर से उपभोक्ता को किया जाए।

जिले के गांव हसनपुर के निवासी ब्रह्म के अधिवक्ता क्षितिज मेहता से प्राप्त जानकारी के अनुसार बिजली निगम ने उपभोक्ता को मार्च 2020 में एक नोटिस देकर बताया था कि उसके आवास पर लगे बिजली के मीटर को 11 जुलाई 2019 में चैक किया गया था और उसकी सील टैंपर्ड पाई गई थी। जिससे साबित होता है कि वह बिजली की चोरी कर रहा है। उपभोक्ता ने पत्र लिखकर बिजली निगम से आग्रह किया था कि उसने कोई बिजली की चोरी नहीं की है, लेकिन निगम के अधिकारियों ने उसकी एक नहीं सुनी और उसके बिजली के बिलों में 44 हजार 942 रुपए की जुर्माना राशि लगाकर भेज दी। बिजली निगम के अधिकारियों ने उस पर दबाव बनाया कि वह बिल में जोड़ी गई जुर्माना राशि जमा कर दे, अन्यथा उसका बिजली का कनेक्शन काट दिया जाएगा।

अधिवक्ता का कहना है कि उपभोक्ता ने बिल में जोड़ी गई जुर्माना राशि का भुगतान बिजली निगम को कर दिया और बिजली निगम के खिलाफ 25 अगस्त 2020 को अदालत में केस दायर कर दिया। इस मामले की सुनवाई सिविल जज मानसी गौड़ की अदालत में हुई। बिजली निगम ने अदालत में जो दस्तावेज व गवाह पेश किए, उनसे आरोपी पर लगे बिजली चोरी के आरोप साबित नहीं हो सके। अदालत ने बिजली निगम को आदेश दिए कि जमा कराई गई 44 हजार 942 रुपए की जुर्माना राशि का भुगतान 24 प्रतिशत ब्याज दर से उपभोक्ता को किया जाए। अधिवक्ता का कहना है कि बिजली निगम समय समय पर इस प्रकार के बिजली चोरी के मामले उपभोक्ताओं पर बनाता रहा है। जो अदालत में बिजली निगम साबित भी नहीं कर पाता है। इस सबको लेकर उपभोक्ताओं में बिजली निगम के प्रति रोष भी व्याप्त हो रहा है। बिजली निगम उन्हें तरह-तरह से परेशान कर रहा है। 

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