आखिरकार कौन है वह जिससे खौफजदा है स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी

कब किस पर लग जाए इल्जाम, अटकी रहती है कर्मचारियों की जान

पटौदी नागरिक अस्पताल कहीं राजनीति का अखाड़ा तो नहीं बन रहा

जिसका खौफ वही राजनेताओं के यहां  लगा रहे हाजिरी बेखौफ

फतह सिंह उजाला 

पटौदी 5 फरवरी । मैडम यह एक सीरियस इल्जाम है, जिससे हमें डर लगता है । यह पंक्तियां किसी टीवी सीरियल नाटक फिल्म इत्यादि की नहीं है। यह पंक्ति उस फरियादी पत्र की है, जिस पर स्वास्थ्य विभाग के ही चार दर्जन से अधिक कर्मचारियों के द्वारा हस्ताक्षर भी किए गए हैं । 

हमें डर लगता है, यही एक पंक्ति बयां कर रही है कि स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी किस तनाव और आतंक के बीच काम करने के लिए मजबूर हो रहे होंगे । इतना ही नहीं इस तनाव और आतंक से डॉक्टर भी नहीं बचे हुए हैं। जिस प्रकार के मामले बीते कुछ लंबे समय से सुनने के लिए या जानकारी में आ रहे हैं, उन्हें देखते हुए लगता है कि पटौदी नागरिक अस्पताल शायद राजनीति का अखाड़ा बनता जा रहा है ? यहां कार्यरत स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों की माने तो हर समय इस बात का खटका बना रहता है कब और किस प्रकार का इल्जाम मनमाने तरीके से लगाते हुए शिकायत कर दी जाए । जबकि इल्जाम और शिकायत में रत्ती भर का भी सच नहीं होता है। वहीं सूत्रों की माने तो ऐसी आशंका जाहिर की गई है कि अपना दबाव या दबदबा बनाने के लिए इस प्रकार की शिकायतें और इल्जाम लगाने का खेल विभाग के ही कुछ लोगों की सरपरसती में खेला जा रहा है। जिसका खामियाजा कहीं न कहीं पटौदी नागरिक अस्पताल में उपचार के लिए आने वाले रोगियों को भुगतना पड़ रहा है।

 इस प्रकरण में सूत्रों के द्वारा उपलब्ध जानकारी के मुताबिक अपना दबदबा और आतंक बनाये हुए पटौदी नागरिक अस्पताल के कर्मचारियों को राजनेताओं पहुंचने से भी परहेज नहीं है । राजनेताओं के पास भी शिकायत करने का सिलसिला बना रहता है और शिकायत के साथ ही पटौदी नागरिक अस्पताल के कर्मचारी के तबादले का कथित रूप से दबाव तक बनाने के लिए हर संभव प्रयास तक किए जाते हैं । पटौदी नागरिक अस्पताल के एक, दो, तीन, चार, नहीं इससे भी अधिक कर्मचारी कथित रूप से अपने ऊपर झूठे इल्जाम की शिकायत पर अपनी सफाई में अनेको बार जवाब और स्पष्टीकरण देकर जैसे तैसे अपना अपना काम कर रहे हैं । यहां तक जानकारी सामने आई है कि इसी इल्जाम और शिकायत के खेल के चलते पटौदी नागरिक अस्पताल के कर्मचारी डॉक्टर अन्य स्टाफ पर बिना किसी ठोस कारण के तबादले तक की गाज गिर चुकी है । 

पटौदी नागरिक अस्पताल के ही कर्मचारियों में यहां तक आतंक बना हुआ है कि अपनी अपनी ड्यूटी सीसीटीवी लगे हुए परिसर या क्षेत्र में लगवाने की मान मुनवल तक वरिष्ठ अधिकारियों से करने के लिए मजबूर हो जाते हैं । तनाव और आतंक के चलते स्वास्थ्य सेवाओं के दौरान मामूली सी चूक भी किसी के लिए भारी पड़ सकती है । पटौदी नागरिक अस्पताल के कर्मचारियों की स्वास्थ्य विभाग और स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से मांग है कि काल्पनिक और मनगढ़ंत इल्जाम और शिकायतों की उच्च स्तरीय निष्पक्ष जांच कर इस प्रकार का खेल खेलने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए। या फिर पटौदी नागरिक अस्पताल से किसी अन्य स्वास्थ्य केंद्र में इनका तबादला किया जाए । जिससे कि पटौदी नागरिक अस्पताल का माहौल भी स्वास्थ्य विभाग और सरकार के वायदे के मुताबिक पूरी तरह से स्वस्थ बना रहे।

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