*माटी के हर कण में विद्यमान प्रभु श्रीराम के मंदिर की सज्जा का अधिकार सभिजन को, माईकल सैनी (आप)

*मर्यादाओं का निर्माण करती लक्ष्मण रेखा बन रही क्या जनकैद वाली दक्ष रेखा ? माईकल सैनी (आप)

*भृस्टाचार समाप्त कर राजा जन की बातें सुनना आरंभ करे उसदिन मनाओ दीपावली : माईकल सैनी (आप)

गुरुग्राम 22 जनवरी 2024 आज प्रभु श्री राम जी मेरे स्वप्न में आए उनके चेहरे का तेज वो अलौकिक रूप देख कुछ क्षण अपलक उन्हें निहारता रहा आभास होने पर प्रभु को शीश नवाते हुए माईकल सैनी ने दंडवत प्रणाम किया एवं उनके आगमन पर स्वागत अभिषेक सत्कार उपरांत आगमन का प्रयोजन जाना तो प्रभु ने उत्तर दिया मैं तो सदैव प्राणिमात्र के साथ उनके पास रहता हूँ प्रत्येक क्षण हर कण में रहता हूँ !

माईकल सैनी ने पुनः प्रभु से अयोध्या मे बनें विशाल महलनुमा मंदिर में पधारने बारे है जानना चाहा जिसपर प्रभु श्री राम समझाने की मुद्रा में कहते हैं कि पुत्र मैं कभी अयोध्या से गया ही नहीं, मैं तो कण-कण में विद्यमान हूँ, नभ, जल,आकाश,वायु, अग्नि क्या प्रत्येक प्राणिमात्र हर जीवतत्व में मौजूद हूँ अर्थात जब मैं कहीं गया ही नहीं तो आगमन का सवाल ही नहीं ,
प्रभु ने कहा कि सैंकड़ों वर्षों तक तम्बू में ही था जहां सब पूजते रहे हो मुझे, यदि मेरी पूजा नहीं कर रहे थे तो किसे पूज रहे थे आज से पहले तक यह भी बताओ ?

रही बात नए मंदिर के विषय में तो बताओ के तंबू में रखी मेरी मिट्टी की मूरत में तुम्हारी आस्था कम और हीरों जड़ित मूर्ति में कुछ अधिक रहेगी और क्या उसमे अलग राम दिखेगा ?

मैंने प्रभु श्रीराम से नव-निर्मित मंदिर में उनकी नवीन मूरत में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को राजा द्वारा किए जाने के संदर्भ में जानना चाहा तो प्रभु ने कहा साज-सज्जा का अधिकार जितना राजा को है उतना ही रंक को भी है अतः हर कोई अपनी निष्ठा और सामर्थ्य अनुसार कर सकता है इसमें उनका भाव देखा जाता है न कि धन और पद , प्रभु मुझसे ही प्रश्न कर बैठे कि तुम मुझे मूरत में पाते हो अथवा हृदय में – मैंने कहा हृदय में !

मन में राजा द्वारा घोषित नव दीपोत्सव अर्थात आज मनाई जाने वाली दीपावली के विषय में जिज्ञासा को समझाते हुए प्रभु ने कहा कि दीपावली पर्व लक्ष्मी जी के उद्गम दिवस पर मनाया जाता है संयोगवश मेरा भी अयोध्या आगमन एवं राजतिलक उसी दिन हुआ जिस प्रकार संयोग से ही राजा बली और राजा विक्रमादित्य का भी राज्याभिषेक हुआ !

रही बात आज मनाई जाने वाली दीपावली के बारे में तो न ही लक्ष्मी जी का उद्गमदिवस है और न ही किसी अहंकारी के अहंकार का नाश हुआ है और कोई चरित्र तथा किन्हीं मर्यादाओं की सीमाओं का निर्धारण हुआ है न ही राजा ने प्रजा को करमुक्त किया है और न ही आमजन की समस्याओं को समाप्त कर उनकी बातों को सुना जाने लगा है , न्याय एक समान हुआ न नागरिकों को सुरक्षित वातावरण मिल पाया यदि ऐसा हो जाए जिस दिन उस दिन दीपावली मनानी चाहिए ! आगे तुम स्वम् समझदार हो…..

माईकल सैनी कुछ और जान पाते उससे पहले प्रभु यह कहकर अंतर्ध्यान हो गए कि पुत्र तुम अपने प्रयास जारी रखो अड़ियल आदतायियों अहंकारियों के विरुद इनका विनाश करने मैं अवश्य अवतार लेकर लौटूंगा और हाँ वायु प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए आतिशबाजी से दूर रहना !

ब्रह्मज्ञान पाने उपरांत प्रभुभक्ति से ओतप्रोत जयकारे लगाते हुए जय जय श्री सीता राम गाने लगा और आंख खुल गई तभी सोचा लिख देता हूँ सुंदर स्वप्न

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