– समिति अध्यक्ष एडवोकेट ओ.पी. कोहली ने मंत्री के समक्ष रखी ग्रामीणों की समस्याएं और मांग – मंत्री से पूछा क्या ग्रामीणों की स्थायी रोड संबंधी मांग नाजायज है? – डॉ. कमल गुप्ता ने ग्रामीणों को आश्वासन दिया ग्रामीणों की मांग जायज, बाकी बचा रोड बनवाने के लिए करूंगा प्रयास हिसार 22 जनवरी : पिछले 352 दिनों से तलवंडी राणा बाई पास पर धरने पर बैठे ग्रामीणों ने समिति अध्यक्ष एडवोकेट ओ.पी. कोहली की अध्यक्षता मे गांव तलवंडी राणा की गौशाला के कार्यक्रम में उपस्थित हुए डॉ. कमल गुप्ता के काफिले को रुकवाकर उनका स्वागत किया और उनसे धरना स्थल पर आने का आग्रह किया। उन्हें धरने पर बुलाकर एडवोकेट ओ.पी. कोहली ने तलवंडी राणा का रोड बंद करने से ग्रामीणों को आ रही भारी परेशाानियों से अवगत करवाया। वहीं सरकार द्वारा अभी तक स्थायी रोड के रूप में ग्रामीणों को केवल 2.6 कि.मी. का रोड ही दिया गया है जिस पर काम चालू हुआ है लेकिन बाकी बचे लगभग 3 कि.मी. के रोड के संबंध में अभी तक कोई कार्यवाही चालू नहीं हुई है। इस बारे में मंत्री को बताया। कोहली व ग्रामीणों ने मंत्री डॉ. कमल गुप्ता से पूछा कि क्या ग्रामीणों की स्थायी रोड की मांग नाजायज है। इस पर मंत्री डॉ. कमल गुप्ता ने कहा कि आप लोगों मांग बिल्कुल जायज है। आधा रोड बन रहा है बाकी बचे रोड को बनवाने के लिए मैं अपने स्तर पर ऊपर बात करूंगा और शीघ्र स्थायी रोड पूरा करवाने के पूरे प्रयास करूंगा। अध्यक्ष ओ.पी. कोहली ने बताया कि सरकार स्थायी रोड को पूरा करने में नाहक देरी कर रही है। ग्रामीणों के धरने को 352 दिन हो चुके हैं। इतने समय में कभी का रोड बनकर तैयार हो जाता लेकिन रोड को लेकर ढुलमुल कार्यवाही से रोड का कार्य बहुत धीमी गति से चल रहा है जो रोड मंजूर हुआ है उसे भी अब तक बनकर तैयार हो जाना चाहिए था लेकिन उसके निर्माण का कार्य भी मंद गति से चल रहा है। वहीं बाकी बचे लगभग 3 कि.मी. के रोड के भाग के संबंध में भी सरकार से बार-बार मांग उठाने के बावजूद भी रोड की कार्यवाही अभी ठंडे बस्ते में पड़ी है। कोहली ने कहा कि ग्रामीणों के लिए यह स्थायी रोड संजीवनी के समान है तथा उनके लिए एक-एक दिन गुजारना मुश्किल होता जा रहा है। इसलिए सरकार जल्द से स्थायी रोड के दोनों भागों को पूरा करवाकर ग्रामीणों को परेशानियों से मुक्ति दिलाए। उन्होंने बताया कि इतनी ठिठुरती ठंड में बुजुर्ग, महिलाएं, पुरुष, युवा बच्चे धरने पर डटे हुए हैं और जब तक हमें हमारा हक स्थायी रोड नहीं मिल जाता हम अपने कदम पीछे नहीं हटाएंगे। Post navigation मेरी यादों में जालंधर- भाग सत्रह …….. क्या मोहन राकेश ही कालिदास तो नहीं थे? मेरी यादों में जालंधर – भाग उन्नीस ………… किताबें उधार लेकर क्यों पढ़ें ?