भगवान राम ने पिता के वचन पर राजगद्दी का किया त्याग 

राम के नाम पर राजनीति करने वाले नहीं हो सकते राम भक्त 

हनुमान से बड़ा ब्रह्मांड में कोई भी राम भक्त नहीं हो सकता 

भगवान राम को लेकर धार्मिक उन्मादिता की अति नुकसानदेय

फतह सिंह उजाला 

गुरुग्राम 20 जनवरी । भगवान श्री राम हजारों लाखों वर्ष पहले अवतरित हुए और भगवान श्री राम भगवान विष्णु का ही अवतार हैं। इस कटु सत्य में किसी को भी कोई शंका नहीं होनी चाहिए । यह सत्य धर्म ग्रंथो और ऋषि मुनियों के कहे मुताबिक प्रमाणिक है । यह बात भी उतनी ही सत्य है जितना सत्य भगवान श्री राम है ।  महर्षि वाल्मीकि ने भगवान राम के जन्म लेने से सैकड़ो वर्ष पूर्व ही रामायण की रचना अपनी कलम से की और माता सीता के द्वारा लव और कुश को महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में ही जन्म दिया गया। भगवान राम भारतीय सनातन और प्रत्येक सनातनी के घट घट में विराजमान हैं । भगवान राम के द्वारा जो भी कुछ अपने जीवन काल में आदर्श स्थापित किए गए, मौजूदा समय और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में सवाल यह है कि भगवान राम के जैसे आदर्श और मर्यादा अब कहां है ? भगवान राम ने अपने पिता और माता के वचन को पूरा करने के लिए अपने लिए घोषित राजगद्दी या फिर सत्ता का त्याग किया। सही मायने में भगवान राम के नाम पर कथित राजनीति करने वाला या फिर सत्ता लालसा रखने वाला राजनीतिक दल और व्यक्ति राम भक्त नहीं हो सकता है । यह बात पूर्व कांग्रेस विधायक स्वर्गीय भूपेंद्र चौधरी की पुत्री कांग्रेस नेत्री पर्ल चौधरी के द्वारा कही गई ।

पर्ल चौधरी ने कहा आजादी के सात दशक से अधिक समय बाद भी और डॉ भीमराव अंबेडकर के द्वारा रचित संविधान की कथित अवहेलना करते हुए आज भी वर्ग विशेष को भगवान श्री राम का विरोधी या फिर वर्ग विशेष की जाति को लेकर कटाक्ष देखने और सुनने के लिए मिल रहे। दूसरी और कहा जाता है की शिक्षा पर सभी का अधिकार है और सभी वर्ग धर्म संप्रदाय का भारतीय संविधान के मुताबिक एक दूसरे को सम्मान भी करना चाहिए । उन्होंने कहा वन गमन के उपरांत जब भगवान श्री राम को पिता सूर्यवंशी राजा दशरथ के निधन की सूचना भरत के द्वारा देते हुए वापस अयोध्या लौटने का अनुरोध किया गया तो भगवान श्री राम ने पिता के वचन को पूरा करने की पुत्र की मर्यादा का पालन किया । इसके उपरांत भरत ने 14 वर्ष तक चरण पादुका सिंहासन पर रखकर राज्य की व्यवस्था का संचालन किया । 

उन्होंने कहा ब्रह्मांड में हनुमान से बड़ा राम भक्त कोई भी नहीं है और न हो सकता है । भगवान राम के राजतिलक के समय का स्मरण करते हुए उन्होंने कहा जब वहां पर मौजूद हनुमान जी से सवाल जवाब किया गया तो हनुमान जी ने बिना विलंब किया अपनी छाती क्या कर भगवान श्री राम को विराजमान दिखा दिया । जहां तक सत्ता के परित्याग की आजादी के बाद के इतिहास पर नजर डाली जाए तो यह बात कहने में कोई संकोच नहीं है कि पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई के द्वारा ही सत्ता  का परित्याग करने का दुस्साहस दिखाया गया। उन्होंने कहा जिस प्रकार से अयोध्या में राम मंदिर निर्माण और वहां पर भगवान श्री राम विग्रह रूप की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर शंकराचार्य सहित अन्य प्रकांड साधु- संतों, सन्यासियों सहित शास्त्रों और धर्म ग्रंथो के ज्ञाताओ के द्वारा तर्क वितर्क दिए जा रहे हैं । इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए यही सभी के कल्याणकारी होगा कि शास्त्र के मुताबिक ही यह धार्मिक अनुष्ठान संपूर्ण होना चाहिए।

इसी कड़ी में पर्ल चौधरी ने कहा है कि विभिन्न मंदिर और देवस्थान खुलने का एक निर्धारित समय ब्रह्म मुहूर्त में है। विभिन्न मंदिरों में वहां पर रहने वाले या फिर देखरेख करने वाले पुजारी अथवा पंडित के द्वारा ब्रह्म मुहूर्त में ही मंदिर के कपाट खोलकर साफ-सफाई करने के साथ ही देव स्तुति अथवा आरती भी की जाती है। उन्होंने कहा सही मायने में प्रकांड विद्वानों ऋषि मुनियों धर्माचार्य और बुजुर्गों के द्वारा कहा भी गया है की मन एक मंदिर या फिर मन ही मंदिर है । इसलिए राष्ट्रहित और समाज हित को प्राथमिकता देते हुए जरूरत मन रूपी मंदिर को साफ करने की है । इसके साथ ही समाज के सबसे उपेक्षित और पिछड़े वर्ग सहित सलम बस्तियों में शिक्षा और सफाई एवं चिकित्सा को उपलब्ध करवाया जाना चाहिए।

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