अयोध्या से दूरी लेकिन सोनिया गांधी का मंदिरों से है रिश्ता पुराना अशोक कुमार कौशिक अयोध्या के राम मंदिर के उद्घाटन में कांग्रेस ने शामिल होने से मना कर दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी और अधीर रंजन चौधरी समेत सभी पार्टी नेता रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में नहीं जाएंगे। उनका कहना है कि भारतीय जनता पार्टी ने राजनीतिक लाभ लेने के लिए यह कार्यक्रम आयोजित किया है। कांग्रेस ने इससे दूरी बनाने का फैसला किया है। कांग्रेस के इस फैसले के बाद सियासत तेज हो गई है। बीजेपी इस फैसले को लेकर कांग्रेस पर निशाना साध रही है और उसे राम विरोधी और सनातन विरोधी बता रही है। कांग्रेस ने बीजेपी और आरएसएस पर इस मुद्दे पर राजनीति करने का आरोप लगाया है।यह पहली बार नहीं है, धर्म के मुद्दे पर सोनिया गांधी को इस तरह से घेरा गया हो, उनके राजनीति में आने के बाद से ही वे राजनीतिक पार्टियों के निशाने पर रही हैं। 1999 के लोकसभा चुनावों में जब संघ ने सोनिया के विदेशी मूल और ईसाई धर्म के आधार पर ‘राम राज्य’ बनाम ‘रोम राज्य’ का मुद्दा खूब उठाया था। धर्म की राजनीति के बीच समय समय पर सोनिया गांधी भारत के विभिन्न राज्यों में कई बड़े मंदिरों में पूजा अर्चना के लिए जाती रही हैं। 1988 का एक किस्सा है, जब नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर में सोनिया गांधी को प्रवेश की अनुमति नहीं मिली थी और फिर तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने नेपाल के साथ रिश्ते तल्ख कर लिए थे। उस वक्त राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे और उनके नेपाल के पूर्व राजा बीरेंद्र बीर बिक्रम सिंह के साथ अच्छे रिश्ते थे। राजीव गांधी नेपाल दौरे पर थे और उनके साथ सोनिया गांधी भी गई थीं। गांधी परिवार पशुपतिनाथ मंदिर दर्शन के लिए जाना चाहता था, लेकिन सोनिया गांधी के ईसाई होने की वजह से उन्हें एंट्री नहीं मिली। इसके बाद राजीव गांधी ने नेपाल पर नाकाबंदी लगा दी, जिसे सोनिया गांधी को पशुपतिनाथ मंदिर में प्रवेश नहीं मिलने के बदले के तौर पर देखा गया। क्या है सोनिया गांधी को पशुपतिनाथ मंदिर में प्रवेश न मिलने की कहानी नवंबर, 1987 में दक्षेस शिखर सम्मेलन में शामिल होने बाद 1988 में राजीव गांधी फिर से नेपाल दौरे पर गए। इस दौरान सोनिया गांधी भी उनके साथ गई थीं और राजीव गांधी चाहते थे कि वह सपरिवार पशुपतिनाथ मंदिर में दर्शन के लिए जाएं। इसके लिए वह राजा बिक्रम सिंह से बात करने गए। दरअसल, पशुपतिनाथ मंदिर में हिंदुओं के अलावा किसी और धर्म के लोगों को प्रवेश की अनुमति नहीं है। भारत के जगन्नाथ पुरी मंदिर और तिरुपति बालाजी मंदिर में भी ऐसी ही व्यवस्था है। इस वजह से राजावी गांधी राजा बिक्रम सिंह से सोनिया गांधी की मंदिर में सुरक्षित एंट्री का आश्वासन चाहते थे। जब नेपाल के राजा भी नहीं कर सके थे राजीव गांधी की मदद राजा बीरेंद्र बिक्रम सिंह इस मामले में राजीव गांधी की कोई मदद नहीं कर सके और इस मामले में पुजारियों को ऐसा आदेश देने में अपनी असमर्थता जताई। राजा बिक्रम सिंह की पत्नी और नेपाल की तत्कालीन महारानी ऐशवर्या का मंदिर के प्रबंधन में काफी दखल रहता था और उन्हें भी गैर-हिंदुओं के मंदिर में प्रवेश पर आपत्ति थी। ऐसा माना जाता है कि राजीव गांधी ने इस घटना को अपने अपमान के तौर पर लिया और वह मंदिर के दर्शन एवं पूजा किए बिना ही वापस लौट आए। इस घटना के कुछ समय बाद ही नेपाल पर नाकाबंदी लगा दी गई, जिसे मंदिर में सोनिया गांधी को प्रवेश नहीं मिलने पर बदले के तौर पर देखा गया। हालांकि, विश्लेषकों का ऐसा भी मानना है कि नाकाबंदी के पीछे का एक कारण नेपाल द्वारा चीन से विमानभेदी तोपों और अन्य हथियारों की खरीद भी था। पुरी के जगन्नाथ में भी सोनिया गांधी को नहीं मिला था प्रवेश उस समय नेपाल एकलौता हिंदू राष्ट्र था और पशुपतिनाथ मंदिर हिंदुओं का पवित्र तीर्थ है। एक वरिष्ठ पत्रकार ने बताया कि सोनिया गांधी ने उसी समय इंडियन सिटीजनशिप ली थी और वह पुरी के जगन्नाथ मंदिर में दर्शन करना चाहती थीं, लेकिन पुरी के शंकराचार्य ने उन्हें अनुमति नहीं दी थी। पुरी के पीठ के शंकराचार्य के अंतर्गत नेपाल का पशुपतिनाथ मंदिर भी आता है तो उन्हें वहां भी अनुमति नहीं मिली। उन्होंने कहा कि नेपाल पर पाबंदी का फैसला इसी घटना से संबंधित है क्योंकि सरकार तो ऐसा साफ तौर पर कहेगी नहीं। 2018 में सोनिया गांधी ने कहा था, बीजेपी लोगों को यह समझाने में कामयाब रही है कि कांग्रेस एक मुस्लिम पार्टी है. हम हमेशा मंदिरों में जाते रहे हैं। जब मैं राजीव गांधी के साथ यात्रा करती थी, हम जहां भी जाते थे, वहां हमेशा एक प्रमुख मंदिर होता था जहां हम जाते थे। लेकिन हमने कभी इसका प्रदर्शन नहीं किया। राजीव गांधी से शादी के बाद सोनिया गांधी अपने पति के साथ कई मंदिरों में पूजा अर्चना करते देखी गईं। वे राजीव गांधी के साथ गुजरात के अंबाजी मंदिर भी गई थीं। सोनिया गांधी ने 1998 में लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान तिरूपति मंदिर में पूजा अर्चना की थी। तिरूपति मंदिर का प्रबंधन करने वाले तिरुमला तिरूपति देवस्थानम के तत्कालीन अध्यक्ष सुब्बीरामी रेड्डी ने विरोध के बीच सोनिया के लिए दर्शन की व्यवस्था की थी। 24 जनवरी 2001 को कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के रूप में सोनिया गांधी ने कुंभ मेले के दौरान इलाहाबाद में पवित्र स्नान किया था। तब सोनिया गांधी की डुबकी लगाते, गंगा पूजा करते, और त्रिवेणी पूजा करते हुए तस्वीरें भी सामने आई थीं। अक्टूबर 2002 में सोनिया गांधी ने नई दिल्ली में दशहरा उत्सव के दौरान भगवान राम की पूजा अर्चना करती सोनिया गांधी। इस दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी मौजूद थे। अगस्त 2003 में जन्माष्टमी के अवसर पर बिड़ला मंदिर में दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के साथ भगवान कृष्ण की पूजा करती देखी गई सोनिया गांधी। इसके अलावा वह महर्षि वाल्मिकी जयंती के अवसर पर ‘शोभा यात्रा’ के दौरान पूजा अर्चना करती भी देखी गई सोनिया गांधी। सोनिया गांधी अप्रैल 2014 में अमेठी में राहुल गांधी के समर्थन में एक चुनाव अभियान रैली को संबोधित करने पहुंची थीं, इससे पहले उन्होंने एक मंदिर में पूजा अर्चना की थी। 3 अक्टूबर 2014 को नई दिल्ली के सुभाष मैदान में दशहरा समारोह में भगवान राम और लक्ष्मण का अभिनय करने वालों की आरती करतीं सोनिया गांधी। इस दौरान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, तत्कालीन उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी और पूर्व प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह भी मौजूद थे। अक्टूबर 2023 में सोनिया गांधी ने विजय दशमी पर कर्नाटक में भीमनाकोली मंदिर में भी पूजा-अर्चना की थी। जब काशी विश्वनाथ के दर्शन नहीं कर पाईं सोनिया सोनिया गांधी अगस्त 2016 में पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी का दौरा करने पहुंची थीं। इस दौरान सोनिया गांधी ने रोड शो किया था। इस रोड शो के बाद उन्हें काशी विश्वनाथ में पूजा अर्चना करनी थी। लेकिन रोड शो के दौरान ही उनकी तबीयत बिगड़ गई थी, इसके बाद उन्हें दिल्ली लौटना पड़ा था और वे काशी विश्वनाथ के दर्शन नहीं कर पाई थीं। Post navigation पुलिस पर विश्वास कम क्यों हो रहा है ? …….. प्रदेश कांग्रेस संघटनात्मक ढांचे का जल्द 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