हरियाणा में वेसे भी लोगों को ठंड से बचाने रैनबसेरे हर शहर व कस्बे मेें क्या तो है ही नही और यदि है भी तो नाममात्र है जिनमें भीे ताले लटके रहते है : विद्रोही

ठंड से लोगों को बचाने के लिए या तो भाजपा खट्टर सरकार फंड देती ही नही और यदि फंड देती है तो उसे कागजों में खर्च करके अधिकारी व भाजपाई-संघी नेता मिलकर हडप लेते है : विद्रोही

6 जनवरी 2024 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि दक्षिणी हरियाणा अहीरवाल के क्षेत्र में कडाके की सूखी ठंड पड रही है, फिर भी भाजपा खट्टर सरकार व प्रशासन ने गरीबों, बेघरों, बेसहारा लोगों को ठंड से बचाने पैसेभर का भी प्रबंध न करके असंवेदनशीलता की पराकाष्ठा की है। विद्रोही ने कहा कि वैसे तो पूरा हरियाणा ही ठंड के प्रकोप को झेल रहा है, लेकिन अहीरवाल क्षेत्र में तो सूखी ठंड इस कदर पड रही है कि दिन व रात के तापमान में मात्र 4 डिग्री का अंतर रह गया है। दिन में धूप के दर्शन नही होते और दिन-रात ठंड से आजन का दैनिक जीवन किस कदर कष्ट में है, बताने की जरूरत नही। सर्दी के समय आम लोगों को ठंड से बचाने सरकारे उचित प्रबंध करती रही है, लेकिन जब से हरियाणा में भाजपा सरकार बनी है तब से विगत 9 सालों से गरीबों, बेघरों, बेसहारा लोगों को ठंड से बचाने सरकार व प्रशासन पूर्णतया उदासीन रहा है।  

विद्रोही ने कहा कि हरियाणा में वेसे भी लोगों को ठंड से बचाने रैनबसेरे हर शहर व कस्बे मेें क्या तो है ही नही और यदि है भी तो नाममात्र है जिनमें भीे ताले लटके रहते है। कांग्रेस जमाने में स्थाई रैन बसेरों के अलावा  अस्थाई रैन बसेरे बनाये जाते थे, जरूरतमंद लोगों को कम्बल बाटने का सरकारी व गैरसरकारी अभियान चलाने को प्राथमिकता दी जाती थी। गांवों व शहरों में पंचायतो, नगर निकायो के माध्यम से सार्वजनिक अलाव जलाने का प्रबंध किया जाता था, लेकिन ठंड से बचाव के उपरोक्त उपाय विगत 9 सालों में एक सपना बनकर रह गए है। सरकार के मंत्री-संतरी मीडिया बयान बहादुर बनकर ठंड से बचाव के दावे तो करते है, लेकिन जमीन पर कुछ नही होता। ठंड से लोगों को बचाने के लिए या तो भाजपा खट्टर सरकार फंड देती ही नही और यदि फंड देती है तो उसे कागजों में खर्च करके अधिकारी व भाजपाई-संघी नेता मिलकर हडप लेते है। विद्रोही ने आरोप लगाया कि भाजपा खट्टर सरकार आने के बाद न तो रैन बसेरों की संख्यो बढाई गई और न ही अस्थाई रैन बसेरे बनाकर लोगों को ठंड से राहत देने के ठोस व प्रभावी कदम उठाये गए। ऐसी स्थिति में अहीरवाल में पडती सूखी ठंड के मध्यनजर विद्रोही ने सरकार व प्रशासन से गरीबों, बेघरों व बेसहारा लोगों को ठंड से बचाने के लिए ठोस कदम उठाने का आग्रह किया। 

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