गुडग़ांव, 3 जनवरी (अशोक): बिजली निगम द्वारा उपभोक्ता पर बिजली चोरी करने के मामले की सुनवाई करते हुए सिविल जज विनय काकरान की अदालत ने बिजली चोरी के मामले को गलत करार देते हुए बिजली निगम को आदेश दिए हैं कि उपभोक्ता द्वारा जमा कराई गई जुर्माना राशि को आगामी बिजली बिलों में समायोजित किया जाए। उपभोक्ता को जमा कराई गई राशि पर अदालत ने कोई ब्याज नहीं दिया है। जिस पर उपभोक्ता निचली अदालत के आदेश को उच्च अदालत में चुनौती देगा। जिसकी उसने तैयारियां भी शुरु कर दी हैं।

जिले के गांव खोड़ के उपभोक्ता राजेंद्र के अधिवक्ता क्षितिज मेहता से प्राप्त जानकारी के अनुसार उपभोक्ता ने 30 जुलाई 2019 को शिकायत दी थी कि उसके बिजली के मीटर में रीडिंग नहीं आ रही है। 2 अगस्त 2019 को बिजली निगम ने उसका मीटर बदल दिया, लेकिन उपभोक्ता को इसकी जानकारी नहीं थी। उतारे गए मीटर को बिजली निगम ने अपनी लैबोरेट्री में टेस्ट कराया और उसे टेस्ट की कोई रिपोर्ट भी नहीं दी और उससे हस्ताक्षर भी करा लिए। बिजली निगम ने उपभोक्ता को 64 हजार 824 रुपए का नोटिस भेजकर कहा कि मीटर की जांच में मीटर की सील टैंपर्ड पाई गई है। इसलिए उस पर बिजली चोरी का केस बनाया गया है और 64 हजार 824 रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है।

अधिवक्ता ने बताया कि बिजली निगम के खिलाफ अदालत में 6 नवम्बर 2020 को केस भी फाइल कर दिया था। अदालत ने 18 नवम्बर 2020 को उपभोक्ता को आदेश दिए थे कि वह जुर्माना राशि का 50 प्रतिशत बिजली निगम में जमा करा दे और बिजली निगम को भी आदेश दिए थे कि वह उपभोक्ता का बिजली का कनेक्शन न काटे। अधिवक्ता का कहना है कि मामले की सुनवाई अदालत में चलती रही। बिजली निगम अदालत में बिजली चोरी का मामला साबित नहीं कर सका। जिस पर अदालत ने बिजली चोरी के मामले को गलत पाते हुए फैसला सुनाया कि उपभोक्ता द्वारा जमा राशि को बिजली के बिलों में समायोजित किया जाए। अधिवक्ता का कहना है कि अदालत ने उपभोक्ता द्वारा जमा कराई गई धनराशि पर कोई ब्याज नहीं दिया है। अदालत के इस फैसले के खिलाफ वह उच्च अदालत में अपील करेगा।

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